70,000 कार्यकर्ताओं के बगावत के बावजूद क्या उभरेगी कांग्रेस….!

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अल्पसंख्यकों का कांग्रेस से किनारा..!
अल्पसंख्यकों का कांग्रेस से किनारा..!

राजू यादव

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का लगातार आधार खो रहा है. एक तरफ जहां सत्ताधारी दल नगर निकाय चुनाव पर नजर रखते हुए 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी में लगी है. वहीं कांग्रेसी अपने पुराने जनाधार को बचाने में असफल हो रहे हैं. परंतु ऐसा भी है कि उत्तर प्रदेश से अब तक लगभग 70,000 कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ दी है या फिर उन्हें पार्टी ने निष्कासित कर दिया है. अगर आधार खोता हुआ दल इस तरह से अपने कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई करता है तो उसे अपनी राजनीति में कुछ परिवर्तन की आवश्यकता भी नजर आनी चाहिए. ऐसा भी ज्ञात हुआ है कि जो रुष्ट कार्यकर्ताओं ने पार्टी को छोड़ा है या फिर उन्हें निष्कासित किया गए हैं. वह आज के दौर में पार्टी की रणनीतियां या नए कार्यकर्ताओं से रुष्ट होकर उन्होंने पार्टी छोड़ी है. जैसा कि आपको ज्ञात होगा उत्तर प्रदेश कांग्रेस में आज बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता व निष्कासित कार्यकर्ता अपनी रणनीति के अनुसार पार्टी का संचालन कर रहे हैं. चाहे वह प्रदेश अध्यक्ष हो या कोर कमेटी सब जगह लगभग यही स्थिति प्रदेश की बनी हुई है.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राहुल गांधी की यात्रा के तुरंत बाद से ही देश के अलग-अलग राज्यों में विधानसभा के चुनावी बिगुल बज जाएंगे। ऐसे में साढ़े तीन हजार किलोमीटर से ज्यादा की भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस की सियासी परीक्षा तो इन चुनावों में मानी ही जा रही है, और इस परीक्षा में राहुल गांधी की भूमिका सबसे अहम होने वाली है। राहुल की भारत जोड़ो यात्रा एक मुद्दों के साथ देश के सभी लोगों को जोड़ने के लिए शुरू की है. इसे राजनीतिक रंग देना ठीक नहीं है. वह कहते हैं कि यह बात बिल्कुल सच है कि कोई भी राजनीतिक दल जब इस तरीके की यात्राएं करता है, तो अंततः उसको राजनीतिक नफा नुकसान के नजरिए से ही आंका जाता है. ऐसे में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा को भी उसी नजरिए से देखा जा रहा है.

आज के समय में कांग्रेस के पास उसका अपना कोई पुराना कार्यकर्ता लगभग नहीं बचा है. कुछ अपवादों को अगर छोड़ दें तो इस आधार से ऐसा नहीं लगता है कि कांग्रेस पार्टी नगर निकाय चुनाव में वापसी करेगी। जिसके भरोसे वह 2024 के लोकसभा चुनाव में देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश से अपना प्रतिनिधित्व देश को दे पायेगा. यही नहीं उत्तर प्रदेश जैसे बड़े प्रदेश से आज कांग्रेस के पास मात्र एक सांसद है वह भी कांग्रेस की मुखिया सोनिया गांधी हैं.अब देखना यह है कि 2024 के चुनाव में यह एक एक होगा या एक एक मिलकर 11 होता है. विगत चुनाव में राहुल गाँधी उत्तर प्रदेश से चुनाव हार के बाद से ऐसा प्रतीत होता है की राहुल का उत्तर प्रदेश से मोह भंग हो गया है.

आज अगर हम कांग्रेस कार्यालय पर गहरी नजर से देखें तो वहां पर उनका अपना कोई पुराना कार्यकर्ता ना के बराबर नजर आता है. वही एक क्षेत्रीय दल बसपा से निष्कासित कार्यकर्ताओं की भरमार है. अगर हम दूसरे शब्दों में कहें तो उत्तर प्रदेश कांग्रेस विशेषकर राजधानी लखनऊ बसपामय हो गई है. कहीं ना कहीं कांग्रेस पर हाथी सवार हो गया है. उत्तर प्रदेश से हाथी लगभग बहिर्गमन की ओर तेजी से बढ़ रहा है तो क्या कांग्रेस भी उस पर सवार होकर अपना रास्ता सुगम बनाते नज़र आ रही है.