राष्ट्रपति भवन अब बनेगा मुर्मू का कनक भवन….!

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द्रौपदी मुर्मू एक महिला राजनेता होने के बाद भी ज्यादा संपत्ति की मालकिन नहीं है उनके मात्र मुश्किल से बुरी परिस्थियों में अपने घर को सँभालने लायक संपत्ति है जो की है मात्र रु 9.5 लाख। इसके अलावा ना कोई आभुषण , ना जमीन और ना ही कोई चल और अचल सम्पति।

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओड़िशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंचि नारायण टुडु था। उनके दादा और उनके पिता दोनों ही उनके गाँव के प्रधान रहे।उन्होंने श्याम चरण मुर्मू से विवाह किया। उनके दो बेटे और एक बेटी हुए। दुर्भाग्यवश दोनों बेटों और उनके पति तीनों की अलग-अलग समय पर अकाल मृत्यु हो गयी। उनकी पुत्री विवाहिता हैं और भुवनेश्वर में रहतीं हैं।द्रौपदी मुर्मू ने एक अध्यापिका के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन आरम्भ किया। उसके बाद धीरे-धीरे राजनीति में आ गयीं।द्रौपदी मुर्मू एक भारतीय महिला राजनेत्री हैं,जो आजाद भारत में जन्मी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं। भारत के सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने भारत के अगले राष्ट्रपति के लिये उनको अपना प्रत्याशी घोषित किया हैं।इसके पहले 2015 से 2021 तक वे झारखण्ड की राज्यपाल थीं। द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में राइरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ किया था।उन्होंने भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। साथ ही वह भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रहीं है।

द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में भाजपा के टिकट पर दो बार जीती और विधायक बनीं। ओडिशा में नवीन पटनायक के बीजू जनता दल और भाजपा गठबंधन की सरकार में द्रौपदी मुर्मू को 2000 और 2004 के बीच वाणिज्य, परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री बनाया गया थाद्रौपदी मुर्मू मई 2015 में झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनाई गई थीं। उन्होंने सैयद अहमद की जगह ली थी। झारखंड उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल पद की शपथ दिलाई थी।झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का खिताब भी द्रौपदी मुर्मू के नाम रहा। साथ ही वह किसी भी भारतीय राज्य की राज्यपाल बनने वाली पहली आदिवासी भी हैं।अब वह भारत की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति होने जा रही हैं।

द्रौपदी मुर्मू

एक आदिवासी महिला का स्वतंत्र भारत में सर्वोच्च पद की दौड़ में सबसे आगे होना यह दर्शाता है की भारत में सबकुछ मुमकिन है। हम यह भी कह सकते हैं कि मोदी है तो मुमकिन है। द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी महिला हैं जो आजाद भारत में जन्मी पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं। श्रीमती मुर्मू का राष्ट्रपति बनना लगभग तय है। राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद ‘राष्ट्रपति भवन’ श्रीमती मुर्मू के सपनों सा वास्तविकता का ‘कनक भवन’ होगा।

द्रौपदी मुर्मू ने रायरंगपुर में श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में एक सहायक शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया। इसके बाद,उन्होंने सिंचाई और बिजली विभाग के हिस्से के रूप में ओडिशा सरकार के साथ काम किया।मुर्मू के राजनीतिक करियर की शुरुआत 1997 में हुई जब उन्होंने पार्षद के रूप में स्थानीय चुनाव जीते। उसी वर्ष, वह भाजपा के एसटी मोर्चा की राज्य उपाध्यक्ष बनीं। भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर मुर्मू ने रायरंगपुर सीट से दो बार जीत हासिल की, 2000 में ओडिशा सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनी ।ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल गठबंधन सरकार के दौरान, वह 6 मार्च, 2000 से 6 अगस्त, 2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार मंत्री रही।साल 2007 में मुर्मू को संयोग से ओडिशा विधानसभा द्वारा वर्ष का सर्वश्रेष्ठ विधायक होने के लिए सम्मानित किया गया था।अगले एक दशक में उन्होंने भाजपा के भीतर कई प्रमुख भूमिकाएँ निभाईं, एसटी मोर्चा के राज्य अध्यक्ष और मयूरभान के भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में कार्य किया।6 अगस्त, 2002 से मई 16, 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री थीं।ओडिशा की विधान सभा ने उन्हें वर्ष 2007 के सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए “नीलकंठ पुरस्कार” से सम्मानित किया।उन्हें 2013 में मयूरभंज जिले के लिए पार्टी के जिला अध्यक्ष पद के लिए पदोन्नत किया गया था।मई 2015 में, भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें झारखंड के राज्यपाल के रूप में चुना। वह झारखंड की पहलीमहिला राज्यपाल हैं। वह ओडिशा की पहली महिला और आदिवासी नेता हैं जिन्हें भारतीय राज्य में राज्यपाल नियुक्त किया गया है।राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान 18 जुलाई को होना है और मतगणना 21 जुलाई को होनी है। 29 जून नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख है।

  1. वो बेटी, जो एक बड़ी उम्र तक घर के बाहर शौच जाने के लिए अभिशप्त थी.. अब वो भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही हैं।
  2. वो लड़की, जो पढ़ना सिर्फ इसलिए चाहती थी कि परिवार के लिए रोटी कमा सके.. वो अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही हैं।
  3. वो महिला, जो बिना वेतन के शिक्षक के तौर पर काम कर रही थी.. वो अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही हैं।
  4. वो महिला, जिसे जब ये लगा कि पढ़ने-लिखने के बाद आदिवासी महिलाएं उससे थोड़ा दूर हो गई हैं तो वो खुद सबके घर जा कर ‘खाने को दे’ कह के बैठने लगीं.. वो अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही हैं।
  5. वो महिला, जिसने अपने पति और दो बेटों की मौत के दर्द को झेला और आखिरी बेटे के मौत के बाद तो ऐसे डिप्रेशन में गईं कि लोग कहने लगे कि अब ये नहीं बच पाएंगी.. वो अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही हैं।
  6. जिस गाँव में कहा जाता था राजनीति बहुत खराब चीज है और महिलाएं को तो इससे बहुत दूर रहना चाहिए, उसी गाँव की महिला अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही है।
  7. वो महिला, जिन्होंने अपना पहला काउंसिल का चुनाव जीतने के बाद जीत का इतना ईमानदार कारण बताया कि ‘वो क्लास में अपना सब्जेक्ट ऐसा पढ़ाती थीं कि बच्चों को उस सब्जेक्ट में किसी दूसरे से ट्यूशन लेने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी और उनके 70 नम्बर तक आते थे इसीलिए क्षेत्र के सारे लोग और सभी अभिवावक उन्हें बहुत लगाव करते थे’.. वो महिला अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही हैं।
  8. वो महिला, जो अपनी बातों में मासूमियत को जिन्दा रखते हुए अपनी सबसे बड़ी सफलता इस बात को माना कि ‘राजनीति में आने के बाद मुझे वो औरतें भी पहचानने लगी जो पहले नहीं पहचानती थी’.. वो अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही हैं।
  9. वो महिला, जो 2009 में चुनाव हारने के बाद फिर से गाँव में जा कर रहने लगी और जब वापस लौटी तो अपनी आँखों को दान करने की घोषणा की.. वो अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही हैं।
  10. वो महिला, जो ये मानती हैं कि ‘Life is not bed of roses. जीवन कठिनाइयों के बीच ही रहेगा, हमें ही आगे बढ़ना होगा। कोई push करके कभी हमें आगे नहीं बढ़ा पायेगा’.. वो अब भारत की #राष्ट्रपति बनने जा रही हैं।

दशकों-दशक से ठीक कपड़ों और खाने तक से दूर रहने वाले समुदाय को देश के सबसे बड़े ‘भवन’ तक पहुँचा कर भारत ने विश्व को फिर से दिखा दिया है कि यहाँ रंग, जाति, भाषा, वेष, धर्म, संप्रदाय का कोई भेद नहीं चलता।जिनके प्रयासों से उनके गाँव से जुड़े अधिकतर गाँवों में आज लड़कियों के स्कूल जाने का प्रतिशत लड़कों से ज्यादा हो गया है, ऐसी द्रौपदी मुर्मू जी का हार्दिक स्वागत है।

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