बसपा संस्थापक क्या साइकिल पर होंगे सवार..?

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उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां अभी से शुरू हो गई हैं,सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारियों में जुटे हैं. विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल सपा भी चुनाव में भाजपा को टक्कर देने के लिए नेताओं को शामिल करने में लगी है.अखिलेश यादव पहले ही कह चुके हैं कि पार्टी के दरवाजे सबके लिए खुले हैं, जो आना चाहे आ सकता है. योगी के शासन को लेकर भी लगातार हमलावर हैं.

लखनऊ, यूपी के अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों में आने जाने का सिलसिला शुरू हो गया है.बसपा से निष्कासित दो बड़े नेता भी साइकिल पर सवार होने की तैयारी में हैं. विधानमंडल दल के नेता रहे लालजी वर्मा और बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर जल्द ही सपा में शामिल हो सकते हैं. दरअसल, लालजी वर्मा और राम अचल राजभर ने सपा प्रमुख और पूर्व सीएम अखिलेश यादव से मुलाकात की है. इस मुलाकात के बाद कहा जा रहा है कि दोनों नेता जल्द ही सपा का दामन थाम सकते हैं.

सूत्रों के अनुसार अक्टूबर में अंबेडकर नगर में बड़ी जनसभा में अखिलेश यादव दोनों नेताओं को पार्टी में शामिल कराएंगे. दोनों नेताओं के साथ मुलाकात की एक तस्वीर अखिलेश यादव ने ट्वीट की है. हालांकि, अखिलेश यादव ने इसे शिष्टाचार भेंट बताया है. अखिलेश ने बताया कि श्री लालजी वर्मा जी और श्री राम अचल राजभर जी से आज शिष्टाचार भेंट की.

रामअचल राजभर और लालजी वर्मा बसपा के संस्थापक सदस्यों में से थे और कांशीराम के समय से ही पार्टी में जुड़े हुए रहे थे. दोनों ही नेताओं को मायावती का करीबी माना जाता था, जिसके चलते पार्टी में इनका कद काफी बड़ा था. रामअचल राजभर बसपा सरकार में महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे हैं. इसके अलावा वो लंबे समय तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी को भी निभाया है. 

मायावती के 2012 में यूपी की सत्ता से बाहर होने के बाद से लगातारा सियासी ग्राफ डाउन हुआ है. इसके बाद भी पिछड़े वर्ग के ये दो बड़े नेता बसपा में बने हुए थे. राम अचल राजभर अतिपिछ़़ड़ा राजभर समाज से आते हैं जबकि लालजी वर्मा की कुर्मी समाज से हैं. ऐसे में दोनों ही नेताओं का सपा में शामिल होते हैं तो बसपा के लिए अंबेडकरनगर में बड़ा झटका साबित हो सकते हैं.विगत कुछ वर्षो से बसपा के कई दलित और ओबीसी नेताओं का मायावती से मोहभंग हुआ है पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य सहित बसपा में पहली कतार के सभी प्रमुख पिछड़े नेता या तो बसपा छोड़ चुके हैं या निष्कासित किये जा चुके हैं. ऐसे में रामअचल राजभर और लालजी वर्मा का सपा में जाने के बाद मायावती का ओबीसी समीकरण और भी गड़बड़ा सकता है