आयुर्वेद चिकित्सक डॉ.के स्थान पर वैद्य लिखें-मुख्य सचिव

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आयुर्वेद चिकित्सक डॉ.के स्थान पर वैद्य लिखें-मुख्य सचिव
आयुर्वेद चिकित्सक डॉ.के स्थान पर वैद्य लिखें-मुख्य सचिव

‘डॉ0 त्रिपाठी आयुर्वेद निदानशाला एवं पंचकर्म सेन्टर’ का मुख्य सचिव ने किया उद्घाटन।आयुर्वेद चिकित्सक डॉक्टर के स्थान पर वैद्य लिखें। कोविड महामारी के दौरान आयुष पद्धतियां कारगर सिद्ध हुई। आयुर्वेद चिकित्सक डॉ.के स्थान पर वैद्य लिखें-मुख्य सचिव
. ब्यूरो निष्पक्ष दस्तक

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने आज रायबरेली रोड, लखनऊ के सरस्वतीपुरम् में राजवैद्य शिव शंकर त्रिपाठी द्वारा स्थापित ‘डॉ0 त्रिपाठी आयुर्वेद निदानशाला एवं पंचकर्म सेन्टर’ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रमुख सचिव आयुष लीना जौहरी, आयुर्वेद निदेशक डॉ0 प्रकाश चन्द्र सक्सेना सहित बड़ी संख्या में गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। मुख्य सचिव ने कहा कि भारत की प्राचीनतम विधा ‘आयुर्वेद’ का अपना एक विशेष महत्व है। हमारा देश आयुर्वेद का मूल स्थल रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय चिकित्सा पद्धति चाहे आयुर्वेद हो, योग हो, सिद्धा हो, प्राकृतिक हो सभी में ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामय’ की कामना की गई हैं। भगवान धन्वन्तरि ने आयुर्वेद को जन्म देकर एक बहुत बड़ी विधा मानव कल्याण के लिये हम सभी को दिया है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी ने जब पूरी दुनिया को हिला दिया था, तो उस समय हमारी आयुष पद्धतियां कारगर सिद्ध हुईं और इसी के माध्यम से जनमानस ने अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर अपना जीवन सुरक्षित किया।

श्री मिश्र ने कहा कि पिछले 9-10 वर्षों में हमारे देश में आयुष का बहुत विकास हुआ है। उत्तर प्रदेश में कई हजार आरोग्य केन्द्र बन चुके हैं। देश के लोगों को स्वस्थ्य बनाये रखने के लिये आयुर्वेद की और जड़ी-बूटियों को पहचाने की जरूरत है। उन्होंने आयुर्वेद के चिकित्सकों से अपने नाम के आगे डॉक्टर न लिखकर वैद्य लिखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत में राजाओं के दरबार में जिस प्रकार कुल गुरू होते थे, उसी प्रकार कुल वैद्य भी होते थे। वैद्य की प्रथा हमारे देश की बहुत बड़ी ताकत थी। उस ताकत को महसूस किया जाना चाहिए।

मुख्य सचिव ने राजवैद्य शिव शंकर त्रिपाठी जी की सराहना करते हुए कहा कि मैं उन्हें पिछले तीस वर्षों से जानता हूँ जब वे राजभवन में चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्य करते थे। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि राजवैद्य शिव शंकर त्रिपाठी द्वारा स्थापित यह ‘डॉ0 त्रिपाठी आयुर्वेद निदानशाला एवं पंचकर्म सेन्टर’ लोगों के लिये वरदान सिद्ध होगा।
कार्यक्रम में प्रमुख सचिव आयुष लीना जौहरी ने कहा कि पंचकर्म सेन्टर के उद्घाटन से लखनऊ ही नहीं, वरन आने वाले समय में प्रदेश के जनमानस को भी आयुर्वेद के माध्यम से उपचार की विशिष्ट सुविधा प्राप्त होगी।

निदेशक आयुर्वेद डॉ0 प्रकाश चन्द्र सक्सेना ने उपचार की विधियों पर प्रकाश डालते हुए आयुर्वेद के महत्व को रेखांकित किया। समारोह में राजवैद्य शिव शंकर त्रिपाठी के उपचार से स्वस्थ हुए रोगियों को मुख्य सचिव द्वारा ‘अमृता हेल्थ किट व तुलसी का पौधा’ भेंट कर सम्मानित किया गया। पूर्ण स्वस्थ हुए रोगियों में अजय सक्सेना – माइग्रेन एवं पाली न्यूराइटिस, कु0 आकांक्षा – सोराइसिस, नीलम शुक्ला – रूमेटाइड अर्थराइटिस, अजय मिश्र – पिट्यूटरी मैक्रो एडीनोमा तथा राम किशोर यादव – क्रॉनिक कोलाइटिस रोग से पीड़ित थे। इस अवसर पर स्वस्थ हुए इन रोगियों द्वारा अपने अनुभव भी साझा किये गये।

कार्यक्रम में राजवैद्य शिव शंकर त्रिपाठी द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत व अभिनन्दन पुष्प गुच्छ भेंट कर एवं अंगवस्त्र प्रदान कर किया गया। मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव आयुष ने डॉ0 त्रिपाठी आयुर्वेद निदानशाला एवं पंचकर्म सेन्टर के उद्घाटन के उपरान्त सेन्टर का अवलोकन कर प्रदान किये जाने वाले उपचारों एवं सुविधाओं की जानकारी प्राप्त की गई।कार्यक्रम का शुभारम्भ भगवान धन्वन्तरि की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन कर हुआ। कार्यक्रम का संचालन वैद्य माण्डवी बाजपेयी तथा धन्यवाद ज्ञापन वैद्य दीपांजली त्रिपाठी द्वारा किया गया। आयुर्वेद चिकित्सक डॉ.के स्थान पर वैद्य लिखें-मुख्य सचिव