गिरते भूजल के प्रति सतर्क और सजग है योगी सरकार

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नक्सलवाद और आतंकवाद का कारण बनीं कांग्रेस की नीतियां-योगी
नक्सलवाद और आतंकवाद का कारण बनीं कांग्रेस की नीतियां-योगी

गिरते भूजल के प्रति सतर्क और सजग है योगी सरकार। विधानसभा में सरकार ने दी भूगर्भ जल स्तर की गिरावट को रोकने के लिए किए गए उपायों की जानकारी। जल संचयन और भूगर्भ जल रिचार्ज के साथ भूजल संसाधनों की सुरक्षा, संरक्षण, प्रबन्धन एवं नियमन पर किया जा रहा गंभीरता से कार्य। भारत में भूजल स्तर में 5-10 मीटर की गिरावट को आमतौर पर ट्यूबवेलों की बढ़ती संख्या और औसत वार्षिक वर्षा में गिरावट के परिणामस्वरूप समझाया गया है। गिरते भूजल के प्रति सतर्क और सजग है योगी सरकार

निष्पक्ष दस्तक ब्यूरो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लोगों तक शुद्ध पीने योग्य पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ-साथ योगी सरकार भूगर्भ जल के संरक्षण को लेकर भी सजगता से कार्य कर रही है। सरकार ने भूगर्भ जल स्तर की गिरावट को रोकने के लिए अनेक उपाय किए हैं, जिनमें जल संचयन और भूगर्भ जल रिचार्ज के साथ-साथ भूजल संसाधनों की सुरक्षा, संरक्षण, प्रबन्धन एवं नियमन पर गंभीरता से कार्य किया गया है। मंगलवार को सरकार की ओर से भूगर्भ जल स्तर में गिरावट को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों के विषय में जानकारी प्रदान की गई।

प्रदेश में लागू की गई है अटल भूजल योजना


विधानसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने बताया कि प्रदेश में गिरते हुए जल स्तर की समस्या के निदान के लिए भारत सरकार द्वारा प्रदेश के 10 जनपदों (चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर, झांसी, मुजफ्फरनगर, शामली, ललितपुर, महोबा, बागपत एवं मेरठ) में अटल भूजल योजना लागू की गई है। इसके अन्तर्गत विभिन्न सम्बन्धित कार्यदायी विभागों द्वारा कन्वर्जेन्स के माध्यम से अपनी-अपनी योजनाओं के अधीन वर्षा जल संचयन एवं भूगर्भ जल रिचार्ज के विभिन्न कार्य कराये जाते है, जिनमें चेकडैम का निर्माण, तालाबों का जीर्णोद्धार, आन-फार्म हार्वेस्टिंग, मेढबन्धी, रूफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग आदि संरचनाओं के कार्य सम्मिलित है। अटल भूजल योजना के तहत प्रदेश के अवशेष 65 जनपदों को आच्छादित करते हुए उत्तर प्रदेश अटल भूजल योजना लागू की गयी है। इसके अतिरिक्त प्रदेश के समस्त जनपदों में लघु सिंचाई विभाग द्वारा चेकडैम का निर्माण एवं तालाबों का जीर्णोद्धार कराया जाता है।

जल ही ऐसा पदार्थ है जिसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मानव, पशु-पक्षी एवं अन्य सूक्ष्म जीवों के लिए पानी मूल आवश्यकता है। कहा जाता है कि मौत भोजन के अभाव में कम बल्कि पानी के अभाव में ज्यादा है लेकिन आज का मानव पानी की बहुमूल्य कीमत भूलकर उसे दिन-प्रतिदिन व्यर्थ बहाता जा रहा है जिसका खामियाजा आने वाली पीढ़ी को भोगना तय है। धरती पर रहने वाले सभी प्राणियों का जीवन जल पर ही निर्भर करता है लेकिन फिर भी एल बचाव के लिए कोई ठोस कदम नही उठाए जाते। आज के समय में जल ही जीवन जैसे प्रेरणादायक श्लोगन हवाहवाई होते जा रहे हैं । पानी की लगातार हो रही बबार्दी से भू-जल स्तर लगातार पाताल की ओर जा रहा है। मानव अपनी सुख सुविधाओं के लिए लगातार पेड़ों की कटाई तो कर रहा है लेकिन उसका परिणाम भी साथ के साथ भोग ही रहा है। आधुनिक सुविधाएं भले ही मानव की जिन्दगी आसान बना रही हो लेकिन इसका प्राकृतिक नुक्सान भी बहुत है। पहले लोग नलकूपों के माध्यम से जरूरत के अनुसार ही पानी निकालते थे लेकिन जब से आधुनिक सुविधाएं चली हैं पानी की बबार्दी बहुत अधिक बढ़ गई है। लोग जरूरत से ज्यादा तो व्यर्थ बहाने लगे हैं, भला ऐसे सुख-सुविधाओं की चकाचौंध मे हम कैसे प्रकृति के दिए उपहारो की रक्षा कर पाएंगे। घरो के अन्दर नलों से बहने वाला व्यर्थ जल इस बात का परिचय देता है कि मानव जल बचाने मे लिए कितना लापरवाह है लेकिन मानव की यही लापरवाही आजकल बड़ीपरेशानी का सबब बनती जा रही है। गलियों, सड़कों एवं फूटपाथ पर पानी डालना केवल जल की बबार्दी है। इसीलिए आज आवश्यकता है स्वयं से जागरूक होकर जल बचाएं एवं अन्य लोगों को भी जल बचाव के प्रति जागरूक कर ठोस कदम उठाने की ताकि समय रहते जल की बहुमूल्य कीमत सभी लोग जान सकें।

शहरी क्षेत्रों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की स्थापना


जल शक्ति मंत्री ने बताया कि प्रदेश में भूजल संसाधनों की सुरक्षा, संरक्षण, प्रबन्धन एवं नियमन किये जाने के लिए ‘उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल (प्रबन्धन और विनियमन) अधिनियम-2019’प्रख्यापित है। अधिनियम में निहित प्राविधानों के अन्तर्गत समस्त सरकारी/अर्द्धसरकारी भवनों तथा समस्त सरकारी सहायता प्राप्त भवनों एवं नियमानुसार निजी क्षेत्रों के 300 वर्ग मीटर एवं उससे अधिक के भवनों को अच्छादित करते हुए रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली अनिवार्य रुप से स्थापित किये जाने का प्राविधान है। इसके अतिरिक्त लघु सिंचाई विभाग एवं अन्य विभागों द्वारा भी रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना का कार्य किया जाता है। विगत वर्षों में प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में विभाग द्वारा विभागीय योजना के अन्तर्गत लगभग 2.40 लाख वर्ग मीटर क्षेत्रफल पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना की गयी है एवं इस वित्तीय वर्ष 2023-24 में 50,000 वर्ग मीटर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना की जानी है।

चलायी जा रही ‘कैच द रेन’ मुहिम


जल शक्ति मंत्री ने बताया कि भारत सरकार के जल शक्ति अभियान के अन्तर्गत ‘कैच द रेन’ की मुहिम चलाई गयी है, जिसके अन्तर्गत विभिन्न सम्बन्धित विभागों द्वारा अपनी-अपनी योजनाओं के अधीन वर्षा जल संचयन एवं भूगर्भ जल रिचार्ज के विभिन्न कार्य कराये जाते है, जिनमें चेकडैम का निर्माण, तालाबों का जीर्णोद्धार, आन-फार्म हार्वेस्टिंग, यथा-मेढबन्धी, रूफटाप रेनवाटर हार्वेस्टिंग आदि संरचनाओं के कार्य सम्मिलित है। गिरते भूजल के प्रति सतर्क और सजग है योगी सरकार