उ0प्र0 पंचायत चुनाव लग सकता है बड़ा झटका…..?

109

योगी सरकार पंचायत चुनाव को लेकर बड़ा कदम उठाने जा रही है। आगामी पंचायत चुनावों में उम्मीदवारों की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता तय करने की तैयारी है। यूपी सरकार ग्राम पंचायत चुनाव में महिला और आरक्षित वर्ग के लिए न्यूनतम 8वीं पास शैक्षिक योग्यता तय कर सकती है। इसके अलावा दो से ज्यादा बच्चों वाले दावेदारों को भी पंचायत चुनाव में झटका लग सकता है। सूत्रों की माने तो उ0प्र0 सरकार दो से अधिक बच्चे वाले महिला-पुरुष उम्मीदवार के चुनाव लड़ने पर रोक लगा सकती है।

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार राज्य में पंचायत चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए दो बच्चों का मानक और न्यूनतम शिक्षा आधार को शामिल करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। पंचायती राज के अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि प्रस्ताव पर सक्रियता से विचार किया जा रहा है और जल्द ही यह औपचारिक रूप ले सकता है। बीते महीने केंद्रीय मंत्री संजीव बाल्यान ने उत्तर प्रदेश सरकार से एक कानून लाने और दो से अधिक बच्चे पैदा करने वालों को चुनाव लड़ने से रोकने की अपील की थी।राजस्थान, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों ने ऐसे कानून बनाए हैं, जिसमें दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया गया है। उत्तराखंड ने भी इसी तरह का कानून पेश किया था, लेकिन बाद में राज्य के हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। बाल्यान ने एक पत्र के माध्यम से उत्तर प्रदेश की आबादी को लेकर चिंता व्यक्त की थी, जहां अब 23 करोड़ से अधिक जनसंख्या है।

उ0प्र0 सरकार इस तरह के कानून को लागू करता है, तो यह एक मिसाल कायम करेगा और आबादी को कम करने में मदद करेगा। उन्होंने लिखा, “हमारे राज्य को जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक अभियान शुरू करना चाहिए और यह अगले पंचायत चुनाव से शुरू किया जा सकता है। जिनके पास दो से अधिक बच्चे हैं, उन्हें अगला चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।” इस बीच कई विपक्षी दलों ने इस आधार पर प्रस्ताव लाने को लेकर आपत्ति जताई कि यह ‘अन्यायपूर्ण और मनमाना’ है।

समाजवादी पार्टी ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य पंचायत चुनाव लड़ने से निचले वर्गों को वंचित करना है।पार्टी प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि यह कदम ‘असंवैधानिक’ है, क्योंकि इससे कमजोर और दलित लोगों को न्यूनतम शिक्षा आधार के कारण चुनाव लड़ने से रोका जाएगा। कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि प्रस्तावित नियम पंचायती राज व्यवस्था की भावना के खिलाफ है, जो कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने और उन्हें राजनीतिक मुख्यधारा में लाने की मांग करते थे। उन्होंने कहा, “हालांकि हम जनसंख्या रोकने की आवश्यकता पर सहमत हैं लेकिन यह निश्चित रूप से ऐसा करने का तरीका नहीं है।” वहीं, उत्तर प्रदेश ग्राम प्रधान संघ ने कहा कि प्रस्ताव को उन्हें विश्वास में लिए बिना अंतिम रूप दिया जा रहा है और उन्होंने इसके लागू होने पर इसका विरोध करने की धमकी दी।

बीजेपी के सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान ने बीते दिनों उत्तर प्रदेश की सरकार से अपील की थी कि पंचायत चुनाव में उन लोगों को ना लड़ने दिया जाए, जिनके दो से ज्यादा बच्चे हैं। इसके लिए उन्होंने उत्तराखंड के नियमों का भी जिक्र किया था। संजीव बालियान ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को एक चिट्ठी भी लिखी थी। चिट्ठी में उन्होंने लिखा था कि हमारे प्रदेश को जनसंख्या नियंत्रण का अभियान शुरू करना चाहिए। आगामी पंचायत चुनाव में आगामी उत्तराखंड राज्य की तरह ही दो से अधिक बच्चे होने की स्थिति में किसी को भी चुनाव लड़ने का अधिकार ना मिले।

उ0प्र0 में ग्राम प्रधान समेत सभी पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल 25 दिसंबर को पूरा हो रहा है। वहीं कोरोना महामारी के चलते प्रदेश में चुनाव कराने की संभावना नहीं के बराबर है। सूत्रों की माने तो यूपी की योगी सरकार पंचायत चुनाव को अगले साल जून में कराने की तैयारी कर रही है। इस दौरान प्रदेश में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के चुनावों को लेकर यूपी सरकार उम्मीदवारी को लेकर बड़े बदलाव कर सकती है। सुभाष मिश्रा की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश सरकार पंचायती राज अधिनियम में एक संशोधन भी ला सकती है। इसके तहत दो से अधिक बच्चों वाले उम्मीदवारों को पंचायत चुनाव में अयोग्य घोषित किया जा सकता है।