धीरे-धीरे अपने वैभव की ओर लौट रही अयोध्या

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त्रेतायुगीन अयोध्या धीरे-धीरे ही सही अपने वैभव की ओर लौट रही है। नए सिरे से सज संवर रही है। धर्म के सबसे बड़े केंद्र के रूप में विकसित होने की ओर अग्रसर है..। अंदाजा श्रद्धालुओं की कतार से लगा सकते हैं जो देश-दुनिया से दौड़े चले आ रहे हैं।

    सरयू नदी के तट पर बसा अयोध्या एक अति प्राचीन धार्मिक नगर है। मान्यता है कि इस नगर को मनु ने बसाया था और इसे ‘अयोध्या’ का नाम दिया जिसका अर्थ होता है अ-युध्य अर्थात् ‘जिसे युद्ध के द्वारा प्राप्त न किया जा सके। ‘ इसे ‘कोसल जनपद’ भी कहा जाता था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अयोध्या मे सूर्यवंशी/रघुवंशी राजाओं का राज हुआ करता था, जिसमें भगवान् श्री राम ने अवतार लिया। यहाँ पर सातवीं शाताब्दी में चीनी यात्री हेनत्सांग आया था। उसके अनुसार यहाँ 20 बौद्ध मंदिर थे तथा 3000 भिक्षु रहते थे।

अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका ।पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिका:॥

अयोध्या,   अब से एक साल पहले नौ नवंबर, 2019 को सर्वोच्च न्यायालय ने देश का सबसे बड़ा फैसला सुनाकर न सिर्फ 491 साल पुराने विवाद का पटाक्षेप किया बल्कि अयोध्या का गौरव भी वापस लौटाया। अब अयोध्या पूरे प्रदेश के विकास का इंजन बन रही है। विश्व के नक्शे पर सबसे बड़े धार्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में उभरते ही प्रदेश की अर्थव्यवस्था का यह एक मजबूत संबल साबित होगी।

युद्ध का अर्थ तो सभी जानते है तो योध्य का अर्थ हुआ- जिससे युद्ध किया जा सके और मनुष्य उसी से युद्ध करता है जिससे उसे जीतने की सम्भावना होती है। अतः योध्य का अर्थ हुआ जिससे युद्ध कर जीता जा सके। इसलिये अयोध्य का तात्पर्य हुआ जिससे जीता न जा सके और अयोध्या शब्द स्त्रीलिंग है , अर्थात अयोध्या वह नगरी है जिसे युद्ध कर जीता न जा सके। अयोध्या का अर्थ अयोध्या का अर्थ है जिसे युद्ध में हराया न जा सके जिससे युद्ध संभव न हो ! ….. जब राज्य अभिषेक के लिए लाया सप्त सरिताओं और सप्त सागरों का जल कलशों में रखा रह गया और श्रीराम वन चले गए तब हार गई  अयोध्या।

अयोध्या में आयोजित होने वाले दिव्य दीपोत्सव से इसकी वैश्विक पहचान बन रही है तो केंद्र और राज्य सरकार का सबसे अधिक जोर यहां की कनेक्टिविटी बढ़ाने पर है। कुशीनगर के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से भी यहां की पहुंच आसान होगी। इसके अलावा चित्रकूट तक फोरलेन मार्ग, बनारस के लिए फोरलेन सड़क, राम वनगमन मार्ग का विकास आदि योजनाएं इनसे जुड़े सभी जिलों में विकास का नया अध्याय लिखेंगी। अंतरराष्ट्रीय श्रीराम एयरपोर्ट अयोध्या को सीधे विश्व से जोड़ देगा। इसके लिए छह सौ एकड़ भूमि खरीद की प्रक्रिया पूरी होने को है तो नव्य अयोध्या पूरे विश्व में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगी। नव्य अयोध्या 1250 एकड़ में प्रस्तावित है, जहां पर्यटकों के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं होंगी। इसी क्रम में कई और बड़ी योजनाएं हैं।

अयोध्या का वैभव लौटाने का काम तेज – रामलला 25 मार्च से तिरपाल के अस्थायी गर्भगृह की जगह विशेष किस्म की लकड़ी और फाइबर से बने वैकल्पिक गर्भगृह में विराजमान हैं। वहीं, पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विधि-विधान से भूमिपूजन कर मंदिर निर्माण की मुनादी बुलंद कर चुके हैं। तभी से श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की देखरेख में अयोध्या का वैभव लौटाने का काम तेजी पर है। मंदिर निर्माण के लिए 39 माह की अवधि तय है। साथ ही रामनगरी के विकास की अनेक योजनाएं भी आकार लेने लगी हैं। कोशिश प्राचीन इक्ष्वाकु नगरी के रूप में ढालने की है।

नदियों के पुनरोद्वार के साथ ही जल संवर्धन आदि के क्षेत्र में हर वर्ष मिलने वाले पुरस्कारों की श्रंखला में इस वर्ष का अवार्ड अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा को मिला है। उन्होंने विलुप्तप्राय हो चुकी तमसा नदी का कायापलट कर इसे फिर से पुनर्जीवित करने का काम किया है।

भक्तों की लगने लगी कतार – रामनगरी को दुनिया के बड़े धार्मिक केंद्रों के रूप में विकसित करने का खाका खींचा जा रहा है। पौराणिकता के साथ-साथ विशेषज्ञों का मानना है कि भौगोलिक परिस्थिति और देश के बड़े शहरों से इसकी करीबी लाभकारी है। रामनगरी के प्रति लगाव का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैैं कि फैसले के बाद से करीब लाख श्रद्धालु रामलला के दर्शन को पहुंच चुके हैैं। लाकडाउन के बाद से रोजाना करीब 10 हजार लोग रामनगरी पहुंच रहे हैैं, वहीं 2019 में महज डेढ़ लाख श्रद्धालु ही पहुंचे थे। भगवान राम से जुड़े अन्य क्षेत्रों प्रयागराज, चित्रकूट के समग्र विकास और उन्हें अयोध्या से जोड़ने पर पर्यटकों की संख्या और बढ़ेगी जिसका लाभ पूरे प्रदेश को मिलेगा। 

भव्य बनेगी अयोध्या अंतरराष्ट्रीय श्रीराम एयरपोर्ट के लिए छह सौ एकड़ भूमि खरीद की प्रक्रिया पूरी होने को है।पर्यटन की आधुनिक सुविधा, आवास एवं बाजार से युक्त नव्य अयोध्या 1250 एकड़ में प्रस्तावित। गांवों की भूमि क्रय करने की तैयारी।251 मीटर ऊंची प्रभु श्रीराम की प्रतिमा के लिए दो सौ एकड़ भूमि खरीद निर्णायक दौर में।नगरी की परिधि से गुजरते फोरलेन मार्ग से राम मंदिर को जोड़ने के लिए दो कॉरीडोर प्रस्तावित।अयोध्या-फैजाबाद के 13 किलोमीटर लंबे मुख्य आंतरिक मार्ग को फोरलेन के रूप में विकसित करने की तैयारी।52 करोड़ की लागत से रामनगरी के प्रतिनिधि पर्यटन स्थल राम की पैड़ी का कायाकल्प और अब इतनी ही लागत से पैड़ी का विस्तार कार्य पूर्ण होने को।20 करोड़ की लागत से सरयू तट पर भजन संध्या स्थल का निर्माण।करोड़ों की लागत से रामकथापार्क का कायाकल्प।7.35 करोड़ की लागत से फोरलेन पर नए बस स्टेशन का निर्माण।

क्रूज संचालन की भी तैयारी – सरयू में रामनगरी से गुप्तारघाट तक क्रूज संचालन की तैयारी है। वाराणसी की तर्ज पर लोग लगभग आठ किमी का सफर कर सकेंगे। सर्वे पूरा हो चुका है। इंतजार सिर्फ मुख्यमंत्री की हरी झंडी मिलने का है। नार्डिक क्रूजलाइन के मालिक विकास मालवीय के अनुसार, हमारी तैयारी पूरी है।