चीनी मिलों पर वर्तमान पेराई सत्र का 2960 करोड़ बकाया…!

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गन्ना मूल्य बकाया भुगतान में गन्ना मंत्री के जिले शामली की चीनी मिलें फिसड्डी। गन्ना बकाया मूल्य भुगतान में सीएम के दावों की खुली पोल। 120 चीनी मिलों में वर्तमान पेराई सत्र का 2960 करोड़ रुपये बकाया…..!

राकेश यादव

लखनऊ। किसानों को समय पर बकाया गन्ना मूल्य के भुगतान के मामले में शासन  में बैठे गन्ना आयुक्त/ अपर मुख्य सचिव गन्ना मुख्यमंत्री के मंसूबो पर पानी फेर रहे है। गन्ना मूल्य बकाया भुगतान के मामले में गन्ना मंत्री के जिले शामली  की तीनों चीनी मिलें फिस्सड्डी साबित हो रही है। प्रदेश के गन्ना मंत्री के जिले की शामली चीनी मिल पर पिछले साल का 200 करोड़ सहित वर्ष- 2021-22 का भी 300 करोड़ रुपया बकाया है। आलम यह है प्रदेश के गन्ना किसान बकाया गन्ना मूल्य भुगतान के लिए दर-दर भटकने को विवश हो रहे है। किसानों के लिए बकाया गन्ना मूल्य के सरकारी दावे हवा-हवाई साबित हो रहे है। प्रधान मंत्री तथा मुख्य मंत्री की गन्ना किसानों की आय दुगनी करने के बजाय गन्ना मंत्री के गृह जनपद शामली सहित बागपत, मुजफ्फरनगर, लखीमपुर खीरी, मेरठ,हापुड़ तथा गाजियाबाद के गन्ना किसान तो लगातार कर्ज में डूबते जा रहे हें क्योंकि इन जिलों मे अधिकतर बजाज, मोदी तथा सिंभावली ग्रुप की चीनी मिले है जो हर साल गन्ने के बकाया भुगतान मे डिफॉल्टर रहने के बाद भी इनके मालिकों पर सरकार के साथ साथ गन्ने के शासन के अधिकारी की मेहरबानी किसी से छुपी नहीं है। 

विभागीय  सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गन्ना मंत्री के गृह जनपद के शामली चीनी मिल में गन्ना किसानों का  इस सत्र का 102 करोड़ रुपया बकाया है। किसानों को अभी तक कोई भुगतान नही किया गया है।  निजी क्षेत्र की मिलों के साथ साथ  मुख्य मंत्री के क्षेत्र की चीनी निगम की चीनी मिलों पर 14 दिनों का कुल बकाया 93.41 करोड़ में 50.59 करोड़ का भुगतान हुआ ।  कुल रुपये 42.42 करोड़  अब भी बकाया है तथा भुगतान भी मात्र 54 फीसदी हुआ है ।  इसी प्रकार 24  सहकारी चीनी मिलों में  इस पेराई सत्र  का रुपये 726 करोड़ में से मात्र रुपये 178 करोड़ का ही भुगतान हुआ है। अब  भी रुपये 548 करोड़ बकाया है।  सहकारी चीनी मिलों का भुगतान प्रतिशत मात्र 25% है।  शेष 93 निजी मिलों में  वर्तमान पेराई सत्र का कुल रुपये 8954 करोड़  मे से रुपये 6585 का भुगतान हुआ है  शेष 2959 करोड़ अभी भी बकाया है। प्रदेश की 120 चीनी मिलों पर नजर डाले तो पेराई सत्र 2021-22 की नियमानुसार भुगतान राशि रुपये 9773  करोड़  में  से गन्ना किसानों को मात्र 6813 करोड़ का भुगतान ही प्राप्त हुआ है। अवशेष 2960 करोड़ रुपये  का करीब  30 फीसद भुगतान बकाया है।

जानकार सूत्रों की माने तो इस पेराई सत्र का बजाज ग्रुप की 14 मिलो पर 1295 करोड़ में 1295 बकाया, सिम्भाली ग्रुप की तीन मिलो पर 246 में 246 करोड़ बकाया, मोदी ग्रुप की दो मिलो पर 188 में 188 बकाया,है वही दूसरी ओर त्रिवेणी ग्रुप की सात मिलो ने इस पेराई सत्र का बकाया रुपये 773 मे 772 करोड़ का भुगतान डीसीएम की चार मिलों पर 673 करोड़ में 698, धामपुर की पाँच मिलो में 777 करोड़ में 816,  मवाना की दो मिलो में 284 करोड़ में 313, करोड़ का भुगतान अपने गन्ना किसानों को कर दिया है वही एकल शुगर मिलों की तुलना करने पर शामली पर  रुपये 102करोड़ में से 102 करोड़ बकाया,  वही टिकौला मिल द्वारा 154 करोड़  के भुगतान  की तुलना में 154 करोड़ का 100 फीसदी भुगतान और दौराला मिल ने रुपये 171 करोड़ की तुलना में 167 करोड़ का भुगतान  कर दिया है। हकीकत यह है कि मात्र बजाज, मोदी तथा सिंभावली ग्रुप की कुल 19 मिलों के साथ शामली, गागलहेड़ी सहित 7 एकल मिल मालिकों को छोड़कर शेष मिले अपने क्षेत्र के गन्ना किसानो को नियमानुसार 14 दिन या उससे पहले भी पूरा भुगतान कर रही हैं तो फिर यह 25 डिफॉल्टर मिले अपने गन्ना किसानो को क्यों भुगतान नहीं कर पा रही हैं तथा गन्ना किसानो के उधार गन्ने से बनी चीनी, शीरा, बिजली और एथनोल के उत्पादन से प्राप्त धनराशि को मिल मालिक कौन सी तिजोरी में भर रहे है। आगामी विधानसभा चुनावों में गन्ना किसान इस सवाल का जवाब नेताओं से जरूर पूछेंगे तथा इस सवाल का खामियाजा वर्तमान बीजेपी सरकार को भी उठाना पड़ सकता है?