मनरेगा के 140 करोड़ के कामों में 35 करोड़ कमीशन डकार गए “जिम्मेदार”

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कमाई का जरिया बने मनरेगा के कार्य,9 माह में ही खफा दिए 140 करोड़! टीए,बीडीओ-डीसी,जीआरएस व प्रधान की कमाई में निकल गया सरकारी खजाने का बड़ा पैसा….! गांवों की नहीं बदली रंगत पर जिम्मेदारों कि सुधर रही सेहत… अमौली,भिटौरा,असोथर, तेलियानी,विजयीपुर,खजुहा व हथगांव ने पानी की तरह बहाया पैसा! एक सामाजिक कार्यकर्ता ने अधिकारियों-कर्मचारियों के कामों एवं कमाई का ब्यौरा जुटाना किया शुरू…! शासन व विजिलेंस को सौंपेंगें भ्रष्टाचार का पुलिंदा…! बेनामी संपत्ति इकट्ठा करने वाले कई आएंगे कार्रवाई की जद में! टीपीबी ने इकट्ठा कर ली अकूत संपत्ति,जीआरएस ने भी सुधार ली सेहत,प्रमुखों की है बल्ले-बल्ले…! “मनरेगा” के 140 करोड़ के कामों में “35 करोड़” “कमीशन” “डकार” गए “जिम्मेदार”

हरीश शुक्ल

गांवों की शक्लो-सूरत बदलने को लेकर साल में 500 करोड़ से अधिक की खर्च होने वाली धनराशि जिम्मेदारों के कमाई का जरिया बनी है।हर साल खपने वाले करोड़ों रुपये के बावजूद गांवों की रंगत नहीं बदली जा सकी है। केंद्रीय वित्त,राज्य वित्त,स्वच्छ भारत मिशन(ग्रामीण)एवं मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों में खर्च होने वाली धनराशि कमीशन खोरों की भेंट चढ रही है। मनरेगा कार्यों में जिस तरह से भ्रष्टाचार बढ़ा है उससे उच्चाधिकारी अनजान हैं। मौजूदा बजट सत्र के 9 महीने में जिले की ग्राम पंचायतों में ₹139 करोड 73 लाख 52 हजार मनरेगा में खर्च कर दिए गए जिनमें 35 करोड़ से अधिक की धनराशि तो कमीशन के खाते में ही निकल गई। अब जब इस तरह से भ्रष्टाचार होगा तो फिर गांवों की रंगत भला ठीक कहां होने वाली है….?


फतेहपुर जिले के 13 विकास खंडों की 834 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत हो रहे कामों में जमकर घपलेबाजी की जा रही है। कच्चे कामों की आड़ में जिस तरह से गुणवत्ता को दरकिनार कर काम पर काम कराए जा रहे हैं उससे पैसा तो पानी की तरह बह रहा है लेकिन गांवों की तस्वीर अभी धुंधली ही है। अप्रैल से लेकर अब तक मनरेगा के तहत जो काम कराए गए हैं उनमें ऐरायां विकास खंड में 790.22 लाख,अमौली विकास खंड में 1470.60 लाख,असोथर विकास खंड में 1502.44 लाख,बहुआ में 685.78 लाख,भिटौरा में 1090.82 लाख,देवमई विकास खंड में 558.97 लाख की धनराशि खर्च की जा चुकी है।धाता विकास खंड में 745.89 लाख,हंसवा में 1108 लाख,हथगांव में सर्वाधिक 1973.89 खजुहा में 1041.77 लाख,मलवां में 911.41लाख,तेलियानी विकास खंड में 1077.78 लाख तथा विजयीपुर विकास खंड में 1015.89 लाख की धनराशि को मिलाकर ₹13973.52 लाख की धनराशि मनरेगा के कार्यो में खर्च की जा चुकी है।मनरेगा में हर साल अकेले ग्राम पंचायतों में 200 करोड़ के करीब धनराशि खपने के बावजूद गांवों के काम समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहे।


विभागीय सूत्रों ने जो जानकारी दी है उसमें कमीशन के बड़े खेल ने भ्रष्टाचार को गले लगा रखा है।मनरेगा कार्यों में तकनीकी सहायकों को 5 फ़ीसदी,विकास खंड एवं विभागीय अधिकारी के लिए 5फ़ीसदी,ग्राम रोजगार सेवक को हर दिन 2-3मजदूरों की मजदूरी एवं प्रधान के हिस्से में 10 से 15 फ़ीसदी की धनराशि का बंदरबांट किया जा रहा है। मोटे तौर पर अगर ग्राम पंचायतों की नई सरकार के गठन के बाद का आंकड़ा लिया जाए तो अप्रैल से दिसंबर तक के 9 माह में ही मनरेगा में खर्च की गई ग्राम पंचायतों की धनराशि में 35 करोड़ से अधिक का जिम्मेदार कमीशन डकार गए। ग्राम पंचायतों में मनरेगा के होने वाले कार्यों से सचिवों की झोली खाली रहती है जबकि जिले के बड़े अफसरों को अंधेरे में रखकर मनरेगा में भ्रष्टाचार का खेल-खेला जा रहा है। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने टीए,बीडीओ एवं विभागीय अधिकारी की कमाई के स्रोत जुटाने एवं विजिलेंस से इनकी जांच कराए जाने की तैयारी शुरू की है। वह इनके भ्रष्टाचार का पुलिंदा शासन तक पहुंचाएंगे। कमीशन की आड़ में लाखों-करोड़ों डकारने वाले अधिकारी-कर्मचारी जल्द ही कार्रवाई की जद में आएंगे।