अदभुत बने इंजीनियर रामनिवास खाती

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अदभुत बने इंजीनियर रामनिवास खाती

अदभुत बने इंजीनियर रामनिवास खाती,अद्भुत चीजे संग्रहित करते करते खुद अदभुत बन गए हैं इंजीनियर रामनिवास खाती।15 फरवरी को अजमेर के एमडीएस यूनिवर्सिटी में लगेगी दुर्लभ वस्तुओं की प्रदर्शनी। इसमें 350 साल पुराना अखबार, 10 किलो वजन का कैलकुलेटर, विश्व की सबसे छोटी किताब, ऐतिहासिक सिक्के, डाक टिकट आदि शामिल है।

एस0पी0मित्तल

जब कभी दुर्लभ वस्तुओं की प्रदर्शनी का सवाल आता है तो आम तौर पर पुराने डाक टिकट सिक्के आदि ही जेहन में आते हैं, लेकिन जलदाय विभाग के सहायक अभियंता रामनिवास खाती 15 फरवरी को अजमेर के एमडीएस यूनिवर्सिटी परिसर में एक ऐसी प्रदर्शनी लगा रहे हैं, जिसमें प्रदर्शित वस्तु राजस्थान के लोगों ने पहले कभी नहीं देखी होगी। 2 हजार 500 पत्रों का कलेक्शन तो सिर्फ खाती के पास ही है। क्योंकि यह पत्र उनके देश विदेश के प्रशंसकों ने लिखे हैं। सभी पत्र खाती को ही संबोधित है। दुर्लभ वस्तुओं की यह प्रदर्शनी 15 फरवरी को दिनभर खुली रहेगी। प्रदर्शनी का अवलोकन राज्यपाल कलराज मिश्र भी करेंगे। प्रदर्शनी के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9351484472 पर रामनिवास खाती से ली जा सकती है। खाती का कहना है कि प्रदर्शनी में प्रदर्शित वस्तुओं की कीमत 25 करोड़ रुपए में भी नहीं आंकी जा सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी बिक्री मुंह मांगी कीमत पर हो सकती है। उनके लिए दुर्लभ वस्तुओं की कीमत कोई मायने नहीं रखती क्योंकि इन वस्तुओं में उनकी सांसे बसी है। यदि वस्तुओं को अलग कर दिया जाए तो उनके जीवन का कोई महत्व नहीं रहेगा


इस प्रदर्शनी के अंदर कैलकुलेटिंग मशीन एवं नोट गेल्ड का मुख्य रूप से प्रदर्शन होगा। कैलकुलेटिंग मशीन जब से चालू हुई है तक से लेकर आज दिवस तक किस प्रकार से इनका विकास हुआ है। इनके लगभग 14 तरह के मॉडल जिसमें लगभग 45 विभिन्न प्रकार के केलकुलेटर हैं, इसमें कई कैलकुलेटर जिसका वजन 10 किलो के लगभग है वह भी होंगे। इसके अलावा पॉकिट मैकेनिकल कैलकुलेटर जो लगभग 1920 से 1950 के बीच में चलन में थे उनको देखकर आज भी ऐसा लगता है कि यह प्रासंगिक है। इस प्रदर्शनी में केलकुलेटर मुख्य आकर्षण का केन्द्र होंगे। इस प्रदर्शनी में दूसरा मुख्य है नोट गेल्ड इसके बारे में शायद ही कोई लोग जानते होंगे कि नोट गिल्ड क्या है। नोट गेल्ड एक आपातकालीन मुद्रा है जो कि आपात स्थिति में या बहुत आवश्यकता होने पर जैसे इकोनॉमिक और पॉलिटिकल संकट के समय जारी की जाती है। सामान्य: सेंट्रल गवर्नमेंट के द्वारा इजाजत दी जाती है कि लोकल नगरपालिका सेविंग बैंक या अन्य कोई सोसाइटी एक निश्चित अवधि के लिए आपात स्थिति के नोट छाप कर उसको चला सकते है। प्रथम विश्वयुद्ध के समय मेटल का उपयोग युद्ध में होने के कारण मेटल की बहुत कमी हो गई। उस समय सिक्कों की काफी वैल्यू होती थी और सिक्के ज्यादा प्रचलन में रहते थे अब क्योंकि धातु युद्ध में काम आ रही थी इसलिए विशेषकर जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया की सेंट्रल गवर्नमेंट ने नगर पालिका व अन्य संस्थाओं को कागज के सिक्के व नोट छापने की परमिशन दी थी प्रथम विश्वयुद्ध के बाद और द्वितीय विश्वयुद्ध के पहले तक इनका काफी प्रचलन रहा। ऑस्ट्रेलिया के नोटगेल्ड का इनके पास का विशाल संग्रह है जोकि ज्ञात सूत्रों के अनुसार अपने देश में अन्य व्यक्तियों के पास नहीं है उनमें से कुछ नोटगेल्ड का प्रदर्शन यहां पर किया जाएगा।

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विशेष डाक टिकटों का प्रदर्शन-


इसके अलावा विशेष डाक टिकटों का प्रदर्शन किया जाएगा। सामान्यतः: हम डाक टिकट के बारे में जानते है कि यह एक छोटा सा आयताकार कागज का टुकड़ा होता है और ज्यादातर डाक टिकट इसी तरह के होते है। इस प्रदर्शनी में विशेष रूप से छपे हुए डाक टिकटों का प्रदर्शन किया जाएगा। लोगों को इस बारे में न तो जानकारी होती है ना कभी इन्होंने देखा है ऐसे ऐसे डाक टिकट है। जैसे कांच के ऊपर छपे हुए, पोर्सलिन के ऊपर छपे हुए, चमड़े के ऊपर छपे हुए, कपड़े के ऊपर छपे हुए, सोने की परत के उपर छपे हुए, चांदी की परत पर छपे हुए, एलुमिनियम की परत पर, स्टील की परत पर, कम्प्यूटर सीडी के रूप में छपे हुए फोनोग्राफ के रूप में छपे हुए, खादी पर छपे हुए, रेशम के कपडे के उपर छपे हुए, टॉयलेट पेपर पर छपे हुए और अनेक तरह की चीजें उनके साथ में लगी हुई है जैसे पेड़ों के बीज, उन बीजों को आप निकालकर घर में पेड़ उगा सकते है। कॉफी की खुशबू और भी कई अलग अलग तरह के पदार्थों की खुशबू के डाक टिकट है। डाक टिकटों के साथ वीडियो भी है, चलचित्र भी देख सकते है ऐसे डाक टिकट भी है, साथ अनेको अनेक आकृतियों के टिकट भी है। कुल मिलाकर यह डाक टिकट भी एक आकर्षण का विषय होगा।

इसके अलावा मिनिएचर शीट (विशेष आदमी) जगह आदि को स्मरण करने के लिए बड़े आकार के डाक टिकट निकाले जाते है प्रदर्शित किया जाएगा। सामान्य आदमी भी इसके बारे में नहीं जानते है। संग्रहकर्ता के पास स्वतंत्र भारत के आज तक की सभी मिनिएचर शीट है और इस संग्रह के अंदर उनमें से कुछ आकर्षक मिनिएचर शीट को भी प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा इस संग्रह में पुराने पोस्ट कार्ड और लिफाफो का भी प्रदर्शन किया जाएगा जो ईस्ट इंडिया कंपनी और ब्रिटिश इंडिया समय के है और इन पत्रों को देखने से एक खात बात आपको नजर आएगी कि उस समय पत्र नागौर से अजमेर हो चाहे अजमेर से केकड़ी हो या आसपास 200 किलोमीटर की दूरी के अंदर उसी दिन डिलीवरी हो जाती थी। आज इतना आधुनिक संसार हो गया है जिसमें ट्रांसपोर्टेशन व संचार के आधुनिक साधन होने के बावजूद भी डाक उसी दिन डिलीवरी नहीं हो पा रही है।
विश्व की सबसे छोटी किताब, 2 हजार 600 साल पुराना सिक्का


इस प्रदर्शनी में यूनिक आइटम का भी प्रदर्शन किया जाएगा जिनके बारे में आपको जानकर देखकर हैरानी हो सकती है जैसे कि संसार की सबसे छोटी किताब प्रिंटिंग साइज 3.5गुणा 3.5एमएम है और यह 6 भाषाओं में लिखी हुई है इसमें लेदर की बाइंडिंग है और बाइंडिंग करने के बाद में इसकी साइज 5 गुणा 5 एमएम है, यह बहुत ही दुर्लभ और अद्वितीय किताब है। इसके अलावा इसमें 350 साल पुराना लंदन से निकलने वाला अखबार लंदन गजेड और लगभग 160 साल से भी ज्यादा पुराना न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार भी देखने को मिलेगा। इसमें जर्मन द्वारा द्वितीय विश्वयुद्ध के अंदर कोडेड मैसेज भेजने के लिए काम में ली जाने वाली मशीन की प्रतिकृति भी है। इसके अलावा और कई सारी ऐसी चीजे है जो सामान्य रूप से अपने को देखने के लिए नहीं मिल पाती है। इस प्रदर्शनी के अंदर सिक्कों का प्रदर्शन भी किया जाएगा और इनके पास जब से भारत में सिक्के चालू हुए है, जब से लेकर आज तक के सिक्कों का संग्रह है, इसमें सबसे पुराना सिक्का जो है वह 2 हजार 600 साल पुराना है।अदभुत बने इंजीनियर रामनिवास खाती

इसमें विश्व का सबसे छोटा सिक्का भी है जिसकी साइज 2 एमएम है और उसका वजन 40 मिलीग्राम है वो भी आपको देखने को मिल सकता है। प्राचीन काल, सल्तनत एवं मुगल काल, रियासत कालीन, ईस्ट इंडिया कंपनी और ब्रिटिश काल, स्वतंत्र भारत सहित अन्य देशों के सिक्के भी देखने को मिलेंगे। इसके अलावा ऐसे सिक्के जो कि प्रचलन में नहीं आते हैं लेकिन भारत सरकार द्वारा व्यक्ति विशेष को व स्थान विशेष को स्मरण करने के लिए निकालते है यह सिक्के वैसे तो लीगल टेंडर है, लेकिन सामान्य रूप से काम में नहीं लिए जाते हैं। यह काफी बड़ी साइज के होते हैं उनका वजन भी लगभग 35 से 45 ग्राम होता है इसमें लगभग 50 प्रतिशत चांदी होती है और बाकी अन्य धातुएं होती है। इस प्रकार के सिक्के कई मूल्यवर्ग में निकले हुए है जैसे 10, 20, 25, 50, 60, 75, 100, 125, 150, 200, 250, 400, 500, 550 व 1000 रुपए के सिक्के। इसके अलावा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना के बाद से लेकर 5000 व 10 हजार रुपए को छोड़कर अब तक के सारे बैंक नोट आपको देखने को मिलेंगे। इसके अलावा प्रदर्शनी में आपको हुण्डी, प्रोमिशरी नोट भी देखने को मिलेंगे।


इन सब कलेक्शन के आलावा रामनिवास खाती के पास स्वयं का ऐसा निजी कलेक्शन है जो कोई दूसरा आदमी नहीं कर सकता क्योंकि यह कलेक्शन स्वयं के नाम से है जैसे इनके पास अन्य देशो के मित्रों से आए हुए लगभग 2500 पत्र है जो कि इनके स्वयं के नाम से है जोकि दूसरा कोई इतना कलेक्शन नहीं कर सकता हैं। इसी तरह से इनके पास ग्रीटिंग काड्र्स भी है और एक फ्रेंडशिप बुक है जो कि आजकल की फेसबुक के समान ही है उस समय इंटरनेट नहीं था तो उन्होंने इस फ्रेंडशिप बुक के माध्यम से ही अन्य देशों में लोगों से संपर्क स्थापित किया और दोस्ती की और पत्र व्यवहार किया। इनकी फ्रेंडशिप बुके भी आपको यहां देखने को मिल सकती है। और इसके अलावा अन्य देशों के दोस्तों के द्वारा भेजे गए व्यू कार्ड जिसमें उस देश की सभ्यता संस्कृति, ऐतिहासिक इमारतों की तस्वीरें होती है वह भी आपको देखने को मिल सकती है।

अदभुत बने इंजीनियर रामनिवास खाती