विकास के नए आयाम पर अयोध्या-प्रधानमंत्री Ayodhya-Prime Minister on new dimension of development

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प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष को भी नहीं बख्शा उन्होंने कहा, एक समय था जब राम का नाम लेने से भी बचा जाता था, राम के अस्तित्व पर सवाल उठाए जाते थे। उसका परिणाम क्या हुआ। हमारे धार्मिक, सांस्कृतिक स्थान पीछे छूटते चले गए। हम यहीं अयोध्या के रामघाट पर आते थे तो दुर्दशा देखकर मन दुखी हो जाता था। काशी की तंगहाली, गंदगी परेशान कर देती थीं। जिन स्थानों को हम अस्तित्व का प्रतीक मानते थे, जब वही बदहाल थे तो देश के उत्थान का मनोबल अपने आप टूट जाता था।उन्होंने कहा कि बीते 8 वर्षों में देश ने हीन भावना की बेड़ियों को तोड़ा है। हमने भारत के तीर्थों के विकास की समग्र नीति को सामने रखा है। हमने राम मंदिर, काशी विश्वनाथ धाम से लेकर केदारनाथ, महाकाल-महालोक तक घनघोर उपेक्षा के शिकार हमारे गौरव को पुनर्जीवित किया है। एक समग्र प्रयास कैसे समग्र विकास का जरिया बन जाता है। आज देश इसका साक्षी है। आज अयोध्या के विकास के लिए हजारों करोड़ रुपए की नई परियोजनाएं शुरू की गई हैं। सड़कों का विकास हो रहा है, चौराहों, घाटों का सौंदर्यीकरण हो रहा है। नए इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहे हैं। अयोध्या का विकास नए आयाम छू रहा है। अयोध्या में रेलवे स्टेशन के साथ-साथ वर्ल्ड क्लास एयरपोर्ट का विकास भी किया जाएगा। यानी कनेक्टिविटी और पर्यटन का लाभ पूरे देश को मिलेगा।

अयोध्या के विकास के साथ-साथ रामायण सर्किट पर काम चल रहा है। निषादराज पार्क का निर्माण किया जा रहा है। यहां भगवान राम और निषादराज की 51 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा बनाई जा रही है। ये प्रतिमा रामायण के उस सर्वसमावेशी संदेश को भी जन-जन तक पहुंचाएगी जो हमें समानता और समरसता के लिए संकल्पबद्ध करता है। इसी तरह अयोध्या में क्वीनहोम मेमोरियल पार्क का निर्माण कराया गया है।ये पार्क भारत और दक्षिण कोरिया के संबंधों को प्रगाढ़ बनाने का एक माध्यम बनेगा। इस विकास से, पर्यटन की इतनी संभावनाओं से युवाओं के लिए रोजगार के कितने अवसर मिलेंगे। सरकार ने जो रामायण एक्सप्रेस ट्रेन चलाई, वो स्प्रिचुअल टूरिज्म की दिशा में बेहतरीन शुरुआत है। आज देश में चार धाम प्रोजेक्ट हो, बुद्ध सर्किट हो या प्रसाद योजना के तहत चल रहे विकास कार्य हों, हमारा ये सांस्कृतिक उत्कर्ष भारत के समग्र उत्थान का श्रीगणेश है।