Tuesday, April 30, 2024
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पर्यटन

पर्यटन एक ऐसी यात्रा है। पर्यटक मनोरंजन या फुरसत के क्षणों का आनंद उठाने के उद्देश्यों से करता है।भारतीय प्राचीन ग्रंथों में स्पष्ट रूप से मानव के विकास,सुख और शांति की संतुष्टि व ज्ञान के लिए अति आवश्यक माना गया है। क्योंकि मानव धरा मानव द्वारा एवं प्रकृति द्वारा ही निर्मित है। यह मानव के लिए मनोरंजन एवं रोजगार का साधन है।

भारत के ऋषि मुनियों ने भी पर्यटन को प्रथम महत्व दिया है। प्राचीन गुरुओं ने कहा है कि “बिना पर्यटन मानव अन्धकार प्रेमी होकर रह जायेगा। पाश्चात्य विद्वान् संत आगस्टिन ने कहा है कि,”बिना विश्व-दर्शन ज्ञान ही अधुरा है। पर्यटन गैर निवासियों की यात्रा और उनके ठहरने से उत्पन्न सम्बन्ध और प्रक्रियाओं का योग है।

पर्यटक स्थायी रूप से निवासी नहीं होते हैं। पर्यटक इन स्थलों पर किसी कमाई की गतिविधि से नहीं जुड़े होते हैं। कुछ दशकों से पर्यटन में रूझान एक फेशन बन गया है। विशेष रूप से यूरोप में जहाँ छोटी अवधि के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर जाना आम हो गया है।

ऐतिहासिक दृष्टि से पर्यटन का उद्भव मानव की उदर पूर्ति तथा दैनिक आवश्यकताओं से जुड़ा रहा। धीरे-धीरे यह मानव के मनोरंजन,मानसिक शांति,रोमांस प्राप्त करने आदि से जुड़ता गया। कालांतर में यह बहुआयामी रूप में प्रचलित हो गया। वर्तमान में पर्यटन केवल घूमने-फिरने तक ही सीमित नहीं है। यह हमारे जीवन के विविध पक्षों से जड़ा हुआ है।

अभिव्यक्ति मनोरंजन,व्यापार,रोजगार,व्यावसायिक गतिविधियों आदि उद्देश्य से एक स्थान से दूसरे स्थान तक भ्रमण करता रहता है। इससे न केवल उसे अपने लक्ष्यों की पूर्ति होती है।

बल्कि उसे मानसिक शांति, कुछ समय के लिए अपनी दैनिक चिंताओं से मुक्ति,जीवन में नवीनता आदि का अनुभव प्राप्त होता है। इन सभी विविधताओं से पर्यटन के अनेक प्रकार स्पष्ट होते हैं।

 

'काशी तमिल संगमम' के दूसरे दिन तमिलनाडु के प्रतिनिधियों के पहले जत्थे ने सारनाथ और गंगा घाटों का अवलोकन किया। काशी तमिल संगमम में शामिल होने के लिए तमिलनाडु से काशी आए प्रतिनिधियों के पहले जत्थे ने पवित्र नदी गंगा के घाट, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, तथागत घाट और मूलगंधा कुटी विहार सारनाथ और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के विशाल परिसर में स्थित प्रदर्शनी स्थलों का अवलोकन किया। प्रतिनिधि सुबह-सुबह गंगा नदी के तट पर पहुंचे ।प्रतिनिधियों ने तेज धूप में सुबह की ठंडक का आनंद लेते हुए हनुमान घाट पर स्नान किया। स्नान के बाद वे बाबा दरबार पहुंचे जहां उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में ध्यान किया।पवित्र गंगा में स्नान और बाबा का ध्यान उनके लिए अत्यंत संतुष्टिदायक रहा था।प्रतिनिधियों ने सारनाथ का भी दौरा किया। यह स्थल चार प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है।  सारनाथ के निकट सराय मोहना में स्थित तथागत घाट का भ्रमण कर वे बहुत प्रसन्न हुए और सांस्कृतिक संध्या का आनंद लिया,उन्होंने भगवान बुद्ध के पहले उपदेश के स्थल पर जाकर हजारों वर्ष पुराने इतिहास और विरासत के बारे में जानकारी प्राप्त की। प्रतिनिधियों ने पुरातात्विक परिसर, 'मूलगंधा कुटी विहार' और इसके आसपास के आकर्षणों को देखकर प्रसन्नता व्यक्त की। प्रतिनिधियों, जिनमें ज्यादातर तमिलनाडु के विद्यार्थी शामिल थे, ने सुबह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय परिसर और "काशी तमिल संगमम" स्थल पर स्थित विभिन्न प्रदर्शनी स्थलों का भी दौरा किया। उन्होंने दो पवित्र शहरों के समृद्ध सांस्कृतिक और इतिहास के बारे में जानने और ज्ञान इकट्ठा करने में सफलता प्राप्त की। शिवमय (काशी) और शक्तिमय (तमिलनाडु) ने मिलकर "संगम" को प्रज्ज्वलित किया और इसकी आभा के अन्तरगत पूरी घटना का उत्साह हर पीढ़ी के दिल में उतर गया।इस कार्यक्रम में अब तक तमिलनाडु के मेहमानों और प्रतिनिधियों की उपस्थिति न केवल ऐतिहासिक "काशी तमिल संगमम" कार्यक्रम में प्रेरणादायक है, बल्कि बड़ी संख्या में स्थानीय काशी निवासियों की उपस्थिति भी उल्लेखनीय थी।
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