मुख्य सचिव ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित वैदिक विज्ञान केन्द्र का किया भ्रमण

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मुख्य सचिव ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित वैदिक विज्ञान केन्द्र का भ्रमण किया।मुख्य सचिव ने वैदिक विज्ञान केन्द्र के संचालन समिति के सदस्यों एवं सलाहकार मण्डल के सदस्यों के साथ केन्द्र के विकास एवं वैदिक विज्ञान को जनोपयोगी बनाने हेतु चर्चा की।

लखनऊ/वाराणसी। प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने वाराणसी प्रवास के दौरान काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित वैदिक विज्ञान केन्द्र का भ्रमण किया तथा वैदिक विज्ञान केन्द्र के संचालन समिति के सदस्यों एवं सलाहकार मण्डल के सदस्यों के साथ केन्द्र के विकास एवं वैदिक विज्ञान को जनोपयोगी बनाने हेतु चर्चा की।मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि वैदिक विज्ञान के तथ्यों को रोजगारपरक एवं समाजोपयोगी बनाने की आवश्यकता है तथा सनातन परम्परा के संस्कारों एवं मान्यताओं को वर्तमान समय के सन्दर्भ में परिभाषित करते हुए वैज्ञानिक अध्ययन कर समाज में सरल तरीके से स्थापित करने की आवश्यकता है। साथ ही वैदिक विज्ञान परम्परा के उन तथ्यों के अध्ययन पर बल देने की आवश्यकता है, जिसे जनसाधारण आसानी से समझ सके एवं उनका जीवकोपार्जन में उपयोग कर सकें।

केन्द्र के समन्वयक प्रो0 उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने केन्द्र के शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक कार्यों एवं इसके लक्ष्यों तथा भावी संकल्पनाओं के बारे में मुख्य सचिव को विस्तार से बताया। प्रारम्भ में वैदिक मंगलाचरण एवं माल्यार्पण के माध्यम से मुख्य सचिव का स्वागत किया गया तथा कार्यक्रम के अन्त में प्रो0 उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मुख्य सचिव को उत्तरीय एवं स्मृतिचिन्ह भेंट किया गया। इस अवसर पर कमिश्नर दीपक अग्रवाल, प्रो0 सुद्युम्नाचार्य, प्रो0 चन्द्रमौली उपाध्याय, डॉ0 ब्रजभूषण ओझा, प्रो0 राजकुमार मिश्रा, प्रो0 मृत्युंजय देव पाण्डेय, डॉ0 दया शंकर त्रिपाठी, पवन कुमार मिश्र, डॉ0 पंकज तिवारी एवं केन्द्र के कर्मचारीगण के साथ बड़ी संख्या में अध्येतागण उपस्थित थे।इससे पूर्व, प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र अस्सी घाट स्थित सुबह-ए-बनारस के मंच पर पहुंचे और वैदिक मंत्रोच्चारण और सप्त आरती देख अभिभूत हो उठे। इस अवसर पर बीएचयू मंच कला संकाय की छात्रा तेजस्विनी दिगंबर का गायन हुआ। मुख्य सचिव ने कलाकार को प्रमाण पत्र प्रदान किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सुबह-ए-बनारस का आयोजन भारतीय संस्कृति के मूल्यों को अभिव्यक्त करता है।