CM गहलोत की तबीयत नासाज
CM गहलोत की तबीयत नासाज

CM गहलोत की तबीयत नासाज

गहलोत साहब….! राजस्थान में मोदी की नहीं बल्कि केजरीवाल की हवा खत्म करने की जरूरत है। यदि केजरीवाल की हवा खत्म नहीं की गई तो राजस्थान में भी कांग्रेस का गुजरात की तरह भट्टा बैठ जाएगा। गुजरात चुनाव में अशोक गहलोत और रघु शर्मा ही थे सर्वेसर्वा। सीएम गहलोत की तबीयत नासाज। जालंधर और अजमेर का दौरा रद्द।

एस0 पी0 मित्तल

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि अब मोदी की हवा खत्म हो गई है और कांग्रेस की लहर चल रही है। मोदी की हवा खत्म और कांग्रेस की लहर का अहसास गहलोत को कैसे हो रहा है यह तो वही जाने, लेकिन यदि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की हवा को खत्म नहीं किया गया तो गुजरात की तरह राजस्थान में भी कांग्रेस का भट्टा बैठ जाएगा। राजस्थान में 9 माह बाद ही विधानसभा के चुनाव होने हैं। हालांकि राजस्थान में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है।

गुजरात में केजरीवाल की पार्टी ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया उसी तरह यदि राजस्थान में केजरीवाल ने शक्ति का प्रदर्शन किया तो कांग्रेस को जबरदस्त नुकसान होगा। दो माह पहले हुए गुजरात चुनाव की कमान अशोक गहलोत (सीनियर पर्यवेक्षक) और उनके शिष्य रघु शर्मा (प्रदेश प्रभारी) के हाथ में ही थी। 182 में से कांग्रेस को सिर्फ 19 सीटें मिलीं। गहलोत और रघु शर्मा ने कांग्रेस की हार के लिए केजरीवाल को ही जिम्मेदार बताया। दोनों का कहना रहा कि आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार ने जो वोट प्राप्त किए वही कांग्रेस की हार का कारण बने हैं। जिन अशोक गहलोत को मोदी की हवा खत्म और कांग्रेस की हार का सुखद अहसास हो रहा है उन्हें यह भी समझना चाहिए कि गुजरात तो गैर हिन्दी भाषी ही है। यहां केजरीवाल की पार्टी का असर गुजरात से ज्यादा होगा

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राजस्थान के प्रमुख समाचार पत्रों में प्रथम पृष्ठों पर पंजाब और दिल्ली के सरकारी विज्ञापन प्रकाशित हो रहे हैं। पंजाब के अखबारों में ऐसे विज्ञापन भले ही पंजाबी में हो, लेकिन राजस्थान में हिंदी में छप रहे हैं। केजरीवाल की पार्टी की उपलब्धियों वाले जो विज्ञापन अशोक गहलोत की नाक के नीचे है, उनका अहसास भी आंखों से नहीं हो रहा है तो फिर राजनीतिक समझ का अंदाजा लगाया जा सकता है। गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान गहलोत ने ही कहा था कि केजरीवाल की पार्टी का कोई असर नहीं है, लेकिन परिणाम के बाद कहा कि कांग्रेस की हार का कारण ही केजरीवाल की पार्टी रही है। अशोक गहलोत को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि 2018 के चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस को भाजपा से मात्र पौने दो लाख वोट ज्यादा मिले। तब 200 में से कांग्रेस को 99 तथा भाजपा को 77 सीटें मिली थीं। यदि गुजरात के मुकाबले में राजस्थान में केजरीवाल के उम्मीदवारों को आधे वोट भी मिल गए तो कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।

अशोक गहलोत मोदी की हवा खत्म करने के बजाए केजरीवाल की हवा की चिंता करें, नहीं तो कांग्रेस की हवा निकल जाएगी। भे ही गुजरात की तरह आम आदमी पार्टी के अधिकांश उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो जाए, लेकिन कांग्रेस का भट्टा बैठ जाएगा। अशोक गहलोत की राजनीतिक समझ की भी दाद देनी पड़ेगी कि सचिन पायलट, निकम्मा, नाकारा और कोरोना कहने के बाद भी कांग्रेस की लहर का अहसास हो रहा है। गहलोत के मंत्री राजेंद्र सिंह गुढा तो पहले ही कह चुके हैं कि यदि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो कांग्रेस को 11 सीटें भी नहीं मिलेंगी। यहां यह खास तौर से उल्लेखनीय है कि अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए कांग्रेस कभी भी चुनाव नहीं जीती है। 2013 में गहलोत के सीएम रहते कांग्रेस को मात्र 21 सीटें मिली थी, लेकिन 2018 में अपनी जादुई राजनीति से गहलोत फिर मुख्यमंत्री बन गए। अब तो गहलोत को लगता है कि उनके बगैर राजस्थान में कांग्रेस की सरकार चल ही नहीं सकती। मुख्यमंत्री बने रहने के लिए गहलोत ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को भी ठुकरा दिया।

मुख्यमंत्री का अजमेर दौरा रद्द-

27 जनवरी को तबीयत नासाज होने के कारण मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का अजमेर और जालंधर (पंजाब) का दौरा रद्द हो गया है। तय कार्यक्रम के अनुसार गहलोत को कांग्रेस के सांसद संतोख सिंह चौधरी के निधन पर होने वाले अरदास के कार्यक्रम में जालंधर जाना था। इसी प्रकार कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष रहीं श्रीमती सोनिया गांधी की चादर को ख्वाजा साहब के उर्स में पेश करने के लिए दोपहर बाद अजमेर आना था, लेकिन सुबह ही गहलोत की तबीयत खराब हो गई चिकित्सकों ने सर्दी के मौसम को देखते हुए पूर्ण विश्राम की सलाह दी। गहलोत के नहीं आने पर सोनिया गांधी की चादर को अल्पसंख्यक मामलात मंत्री सालेह मोहम्मद लेकर आए।

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