चक्रवात ‘बिपरजॉय’ केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने गुजरात और राजस्थान के तटीय क्षेत्रों के लिए बिजली आपूर्ति और त्वरित बहाली व्यवस्था की तैयारियों की समीक्षा की। आवश्यक लोगों और सामग्री के साथ रणनीतिक स्थानों पर आपातकालीन बहाली प्रणाली (ईआरएस) शुरू की जाएगी। पावरग्रिड ने मानेसर और वडोदरा में 24X7 नियंत्रण कक्ष स्थापित किए, नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर (एनएलडीसी) समय पर कार्रवाई करने के लिए इन राज्यों में ग्रिड आपूर्ति की लगातार निगरानी कर रहा है। चक्रवात बिपरजॉय
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने आज गुजरात और राजस्थान के चक्रवात ‘बिपरजॉय’ से प्रभावित होने वाले तटीय क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति के रखरखाव की तैयारियों की समीक्षा के लिए विद्युत मंत्रालय, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए), भारत के ग्रिड नियंत्रक और पीजीसीआईएल के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने गुजरात के ऊर्जा मंत्री से फोन पर विभिन्न आवश्यक व्यवस्थाओं पर भी चर्चा की। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने सभी को सख्त निर्देश दिए कि वे स्थिति की लगातार निगरानी करें और प्रभावित होने वाले राज्यों में स्थिर ग्रिड आपूर्ति बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं और रणनीतिक स्थानों पर आपातकालीन बहाली प्रणाली (ईआरएस) के साथ-साथ आवश्यक लोगों और सामग्री की व्यवस्था भी करें ताकि बिना किसी देरी के बहाली का काम शुरू किया जा सके। आर.के. सिंह ने पीजीसीआईएल को राज्य पारेषण लाइनों और वितरण नेटवर्क की बहाली के लिए गुजरात विद्युत विभाग को हर संभव सहायता देने का भी निर्देश दिया।
पावरग्रिड मौसम की स्थिति और इसकी संचरण प्रणाली की नियमित रूप से निगरानी कर रहा है और मानेसर और वडोदरा में 24X7 नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं।सीईए की ‘बिजली क्षेत्र के लिए संकट प्रबंधन योजना’ और पावरग्रिड की “संकट और आपदा प्रबंधन योजना” के अनुसार निम्नलिखित एहतियाती उपाय किए गए हैं: –
1.रणनीतिक स्थानों पर ईआरएस प्रशिक्षित जनशक्ति के साथ ईआरएस टावरों की उपलब्धता।
2.वाहन और टी एंड पी के साथ फिटर की उपलब्धता।
3.पारेषण लाइन और सब-स्टेशन के लिए अतिरिक्त सामान की उपलब्धता।
4.डीजी सेट, डिवाटरिंग पंप, वाहन के लिए डीजल, इमरजेंसी लाइट, ट्रांसफार्मर का तेल आदि की व्यवस्था।
5.तटीय क्षेत्रों के आसपास के क्षेत्र में पारेषण लाइनों के लिए विशेष गश्त।
6.हाइड्रा, क्रेन और गैस कटर की व्यवस्था।
गुजरात का कच्छ जिले के एक लंबी समुद्री सीमा है। इसमें गांधीधाम से कांडला, मुंद्रा और मांडवी और फिर अबडासा आता है। जखाऊ अबडासा तहसील में है। पहले यह यह पोर्ट था, लेकिन बाद में कांडला और मुंद्रा पाेर्ट बनाने के बाद यहां बंदरगाह का काम खत्म हो गया। जखाऊ तट की खास बात यह है कि यहां पर समुद्र तट पहुंचने के लिए आवागमन की अच्छी सुविधा है। आम दिनों में इंडिया कोस्टगार्ड का काफी मूवमेंट रहता है। जखाऊ तट जखाऊ गांव में स्थित है। इसीलिए इस जखाऊ कहा जाता है। बिपरजॉय का लैंडफॉल यहीं पर होने की उम्मीद है। ऐसे में यह पर ज्यादा जोखिम माना जाता रहा है। वर्तमान में यहां पर बंदरगाह से जुड़ी थोड़ी बहुत गतिविधियां होती हैं। मानसून में यह पूरी तरह से बंद रहता है। पहले के समय में जब कांडला और मुंद्रा पोर्ट नहीं थे तब जखाऊ पर काफी व्यस्तता रहती थी। यह भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि बिपरजॉय का लैंडफॉल अबडासा तहसील के सुथरी गांव के तट पर भी हो सकता है।
नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर (एनएलडीसी) लोड या उत्पादन में बदलाव की निगरानी के लिए इन राज्यों में ग्रिड आपूर्ति की लगातार निगरानी कर रहा है और ग्रिड के स्थिर संचालन को सुनिश्चित करने के लिए समय पर कार्रवाई करने के साथ-साथ हर संभावित सर्वोत्तम तरीके से अन्य ट्रांसमिशन लाइनों के माध्यम से वैकल्पिक आपूर्ति के लिए भी निगरानी कर रहा है। एनएलडीसी ने बिजली उत्पादन स्टेशनों, पारेषण लाइनों और उप-स्टेशनों की भी पहचान की है जो प्रभावित हो सकते हैं और हर संभावित स्थिति से निपटने के लिए पहले से ही एक विस्तृत आकस्मिक योजना तैयार कर ली है। चक्रवात बिपरजॉय