कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक पर्यावरण प्रदूषण…?

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संजीव ठाकुर

चीन के युहान शहर से उपजा भयानक संक्रमण वाला करोना भयानक और जानलेवा तो है ही। जिसने वैश्विक स्तर पर करोड़ों लोगों को प्रभावित कर लाखों लोगों की जान ले ली है, यह संक्रमण मनुष्य द्वारा चमगादड़ मैं अजीबो गरीब प्रयोग करके फैलाया गया है। यह संक्रमण अभी तक वैक्सीन का अन्वेषण करने के बाद भी थम नहीं रहा है पर वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तो एक तरह से अचानक आया हुआ संक्रमण है जो मनुष्य जाति की जान से खेल रहा है पर पृथ्वी पर फैला हुआ पर्यावरण प्रदूषण पूर्णकालिक एवं मानव द्वारा प्रकृति के विरोध में किए जा रहे हैं अपने सुख के लिए प्रयोगों से एवं रोजमर्रा की वस्तुओं के इस्तेमाल से फैलाया जा रहा है। जो संपूर्ण मानव जाति के लिए दीर्घकालिक खतरनाक एवं जानलेवा भी है,पर पर्यावरण प्रदूषण के भयावह परिणामों को दृष्टिगत रखते हुए मनुष्य अभी भी इसके प्रति गंभीर नहीं है।

धरती पर समस्त प्राणियों एवं वनस्पतियों जंगल जंगलात को सुरक्षित रखने के लिए हम सबको हमारे पर्यावरण को सुरक्षित रखना अत्यंत आवश्यक है। परंतु मनुष्य द्वारा अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए प्रकृति का इस प्रकार दोहन तथा खिलवाड़ किया जा रहा है कि हमारा पर्यावरण अत्यंत असंतुलित होकर दूषित हो गया हैद्य और पर्यावरण असंतुलित होने की वजह से वैश्विक स्तर पर लाखों लोग अनेक बीमारियों व्याधियों से ग्रसित होकर अपनी जान गवा बैठे हैं। पर्यावरण प्रदूषण भारत में एक बड़ी समस्या तो है ही यह वैश्विक समस्या का भी रूप धारण कर चुका है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण प्रदूषण को दूर करने के महत्वपूर्ण उपाय किए जा रहे हैं।पर्यावरण में संदुषकों,अपशिष्ट पदार्थों का असंतुलित अनुपात में मिलना प्रदूषण होने का बड़ा कारण है। वैसे प्रदूषण वैश्विक स्तर पर कई तरीके से व्याप्त है, जैसे जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण जीवन में घुल मिलकर जीवन को गंभीर चुनौती दे रहे हैं।

इनके अलावा कुछ अन्य प्रदूषण भी हैं प्रकाश प्रदूषण, रासायनिक प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण, जिनसे प्रदूषण के कारण खतरनाक रूप से मानव जीवन में बीमारियों को आमंत्रण दे रहे हैं। यह महत्वपूर्ण है,कि पर्यावरण प्रदूषण से एक तरफ हमारा वातावरण प्रदूषित हो रहा है, दूसरी तरफ प्रदूषण के चलते जीवन में अत्यंत जटिल समस्याएं उत्पन्न हो रही है। पृथ्वी में विभिन्न प्रकार के जीव जंतुओं और पौधों से परिपूर्ण सौरमंडल के पृथ्वी के वातावरण में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन, 21 प्रतिशत ऑक्सीजन, एक परसेंट ऑर्गन तथा जीरो तीन परसेंट कार्बन डाइ ऑक्साइड मौजूद रहती है जो जीवन के लिए अत्यंत अनिवार्य होती है। किंतु जब इन गैसों का अनुपात असंतुलित होता है, तो पर्यावरण में प्रदूषण उत्पन्न होने की स्थिति हो जाती है पूरे विश्व में हाई औद्योगिक क्रांति के साथ प्राकृतिक दोहन की शुरुआत हो गई थी, और इसके साथ साथ प्राकृतिक संपदाओं का निर्माण से दोहन शुरू करने के परिणाम स्वरूप पूरे विश्व में पर्यावरण प्रदूषण बहुत तेजी से फैला है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर वर्ष लगभग 13 लाख लोग केवल शहरी आउटडोर प्रदूषण के कारण तथा लगभग 200000 लोग घरेलू प्रदूषण के कारण अपनी जान गवा देते हैं। वर्ष 2020 के आंकड़ों के अनुसार केवल वायु प्रदूषण के कारण भारत सहित अमेरिका, ब्राजील, चीन, यूरोपियन संघ मेक्सिको मैं दो से तीन लाख लोग अपनी जान गवा देते हैं आज की स्थिति में मानव गतिविधियों से प्रत्येक वर्ष लगभग 30 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड गैस हवा में उत्सर्जित होती है, जिससे लाखों की जान प्रतिवर्ष गवा दी जाती है। यह बात वातावरण के प्रदूषण की भयानक परिणति है यह वायु प्रदूषण शहरों में चलने वाले वाहनों, कल कारखानों द्वारा वायु में उत्सर्जित विषैली गैसों, जंगलों की तेजी से कटाई, पॉलिथीन का वैश्विक उपयोग एवं इस को नष्ट करने के लिए जलाने से निकलने वाली मृत्यु दायक विषैली गैस वातावरण को दूषित करने में सफल हो जाती है।

लिटल रेल एवं घरेलू उपयोग में आने वाली वस्तुएं भी वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। पृथ्वी में प्रदूषण फैलाने के लिए किसानों द्वारा उपयोग में आने वाले रासायनिक खादों तथा कीटनाशकों का उपयोग भी मनुष्य के लिए अत्यंत घातक होता है। मनुष्य स्वभाविक रूप से प्रकृति पर निर्भर है। अत: मनुष्य को ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल किया जा कर प्रदूषण को पर्यावरण में प्रवेश करने से रोका जाना चाहिए। विश्व स्वास्थ संगठन द्वारा अपील भी की गई है कि केवल सरकार पर पर्यावरण प्रदूषण के नियंत्रण का दबाव नहीं डालना चाहिए, इसके लिए देश की जनता को अपने रोजमर्रा के उपयोग में प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों पर रोक लगानी चाहिए।