सबकी अपनी अपनी जिम्मेदारी-महाना

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सबकी अपनी अपनी जिम्मेदारी-महाना
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सबकी अपनी अपनी जिम्मेदारी-महाना

विधानसभा के अध्यक्ष के नाते से मेरा चुनाव इस गरिमामयी विधानसभा में हुआ है। मैं सबके प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, कि सारे राजनीतिक दलों ने मुझे असेम्बली चेयर के लिए सेलेक्ट किया था। लोकतंत्र में विधायिका की एक अह्म भूमिका होती है। विगत कुछ वर्षों से विधायिका को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा था। संविधान में इस बात की चर्चा है। संविधान का जब पहले शुरूआत होती है, वह कहता है। हम भारत के लोग भारत का संविधान भारत के लोंगो के लिए है। और भारत के द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है। उस विधान के अनुरूप जनकल्याण के लिए लोक कल्याण के लिए चुने हुए जनप्रतिनिधि काम करें। तीनों की अलग-अलग शक्तियाँ है, संविधान में अलग-अलग तय किया गया है। कि जुडीशरी की कहाँ तक शक्तियाँ है। विधायिका की कहाँ तक लिमिट्स है। और कार्यपालिका की क्या शक्तियाँ है। सौभाग्य से कुछ समय के बाद लोकतंत्र के चौथे प्रहरी के रूप में मीडिया को पत्रकारिता को भी जोड़ा गया इस एक साल में विधानसभा में बहुत कुछ नया करने का प्रयास किया गया।

उ0प्र0 की विधानसभा मैंने आने के बाद जानकारी करी कि जिस समय नेशनल लेबल की कानफ्रेंस होती थी। देश के सभी विधानसभाओं के सम्मानित अध्यक्ष और विधानपरिषद के सम्मानित सभापति की बैठक होती थी। तो यू0पी0 का उस दिन अग्रणी रोल नहीं होता था। मेंरे को इस बात को कहते हुए प्रसन्नता होती है कि कार्यवाही व अधिकारियों की काॅफ्रेंस हो नेशनल लेबल पर कही भी विधायिका की चर्चा हो तो उ0प्र0 का अग्रणी रोल निरर्धारित है, जिसमें हम अग्रणी रोल अदा कर रहे हैं। सबकी अपनी-अपनी जिम्मेदारी हैं। हम एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा में काम नहीं कर रहे। हमारा अपना प्रस्तुति कैसे अच्छा हो सकता है, इसलिए हम काम करें। विधानसभा में 29 मार्च के बाद जो हमारा पहला सत्र हुआ 2022 में तो लगभग डेढ़ महीना था उस डे़ढ महीने के समय में ही उ0प्र0 के हर सीट के ऊपर हमने टैबलेस लगा दी पेपर लेस करने का प्रयास किया। हमारे पास 379 सीट थी उसको 417 सीटे करी जो 403 हमारे माननीय सदस्य है ,14 माननीय मंत्री हमारे विधान सरकार में है। जो विधानपरिषद के सदस्य है, लेकिन उनके लिए सीट और लोकशन होना आवश्यक है। इसलिए 417 ये प्रश्न नहीं है, कि 417 कैसे कर दी आज हमारे सारे सम्मानित सदस्य विधानसभा के सत्र के दौरान अपनी उस डिवाइस पर काम करते है। उसी के अनुरूप पूरा ऐजेंडा उस पर होता है, उस पर काम करते है।

पूरे देश की कई विधानसभा के सम्मानित सदस्य स्पीकर और कई विधानसभा के अधिकारी हमारे विधानसभा को देखने आ चुके है। जैसे मैंने विधानसभा में भी कहाँ था। मैं उसी बात को फिर रिपीट करना चाहता हूँ, कि विधानसभा केवल 403 सदस्यों की नहीं है उ0प्र0 की 25 करोड़ जनता की है इस नाते से विधानसभा सुन्दर होनी चाहिए मैं आॅफिस में बैठा था तो कुछ लोगों ने कहा महाना जी आप का कार्यालय बहुत अच्छा है। मैनें कहा कि मेरा कार्यालय कानपुर में है ये स्पीकर आॅफिस है। देश-विदेश से जब लोग आते हैं, तो यह महसूस होना चाहिए कि उ0प्र0 की प्रगति कितनी है, मैने लाबी को ठीक कराया उसको नया स्वरूप दिया छोटी सी बात होती है। काफी उपलब्ध कराना काफी उपलब्ध कराना कोई बड़ी बात नहीं है। सारा दिन बैठने के बाद जिस समय सदस्य काॅफी पीने के नीचे कैनटिन में जाते थे तो एक दो और पीते थें अब वही काॅफी पी कर वही बैठते है आवश्यकता अनुसार वहीं पर विधानसभा में आ गये विधानसभा में प्रजेंस् काफी बढ़ गई है। पहले विधानसभा में इतनी प्रजेन्टस् नहीं होती थी, जितनी अब बढ़ गयी है। प्रजेन्टस बढे़गी तो काम करने की सुविधा भी बढ़ेगी काम करने का इन्वारमेन्ट भी होगा काम करने में मन भी लगेगा।

जो हमारी मेन गैलरी है इसमें देश के शहीदो के लिए देश के ऐसे प्रतिष्ठित, प्रख्यात, समाज सेवियों के लिए जिन्होने समाज और देश के लिए काम किया है। उनके चित्र लगावाये, साइड की गैलरी में जो मैं इस बात को कई बार कहता हूँ कई बार आगे यह कहना भी पड़ेगा कि विधानसभा का जो प्रासेप्शन होता था, पहले वो जाति के हिसाब से अपराध के हिसाब से होता था। अब विधानसभा का प्रासेप्शन योग्यता के आधार पर होता है। फिर मुझसे कुछ लोगों ने प्रश्न किया कि क्या पहले एसी उनकी चर्चा नहीं करते थें पाजिटिव चर्चा उन्हीं की करते थे। कुछ पाजिटिव चर्चा जिस प्रकार से हुई उस प्रकार से लोगो में भी एक एवैरनेस हुई मैं जहाॅ कही भी जाता हूँ कोई ऐसा मंच मिलता है। तो वहाँ पर लोगों को बोलता हूँ अच्छे लोगों को आना चाहिए पढ़े लिखे लोगों को आना चाहिए हमारे पास ऐसे लोग है। इतने इंजीनियर्स, फिर डाॅक्टर इत्यादि तो लोगो ने कहाॅ यहाॅ क्यों बोल रहे हो तो मैंने कहाॅ यहाॅ इसलिए बोल रहा हूँ कि ये लोग भी प्रेरित होगे इनको भी ज्ञान होगा कि अच्छे लोगों को आना चाहिए समाज में जब अच्छे लोगों को लगगेगा कि नहीं वहाॅ इस प्रकार के लोग है। तो उनका भी इन्ट्रेस्ट बढे़गा जब उनका इन्ट्रेस्ट जगेगा तो जो हमारी है, जो हम जनता के लिए काम कर रहे है। वो पूरा हो इसलिए इसका प्रचार किया। कुछ लोग बोले क्यों बार-बार बोलते हो मैंने कहा 30 ,40 साल से घाव इतना गहरा हो चुका था कि उस घाव गहरे को ठीक करने के लिए कई बार बोलना पड़ेगा एक बार बोलने से समाप्त नहीं होगा। इसीलिए मैं अपने पत्रकार मित्रों से निवेदन करना चाहता हूँ कि ये जो आपने लिखना शुरू किया है।

विधानसभा के नये स्वरूप को आप के द्वारा और अच्छा मैसेज जाये इसलिए मैं आपका आभारी हूँ। क्योंकि लोकतंत्र में एक व्यवस्था है कोई राजशाही व्यवस्था नहीं है। पहले राजा होते थे मैं एक जगह पे गया तो उन्होंने कहा नेता लोगो को हटा देना चाहिए मैंने कहा मान लिया हटा दे तो कौन चलायेगा सिस्टम को तानाशाही व्यवस्था हो सकती है। क्या अधिकारिक व्यवस्था हो सकती है क्या कौन चलायेगा उन्होने कहा पत्रकार चलायेगे तो मैंने कहा जब चुनाव लड़ेगें तो उसको क्या कहेंगे नेता ही तो कहेंगे। मासक्म्यूनीकेशन तो कहा नहीं जायेगा। आप चुनाव में खड़े होगे तो आपको क्या कहेंगे पत्रकार को वोट दे या नेता जी को वोट दे तो उस सिस्टम में से हम खामियाँ कैसे दूर कर सकते है। इसके ऊपर तो चर्चा हो सकती है। लेकिन उस सिस्टम को कोलेप्स करने के लिए चर्चा नहीं हो सकती इस बात को स्वीकार नहीं करना चाहिए लेकिन अगर हमने इस बात को स्वीकार कर लिया तो लोकतंत्र कमजोर होगा और लोकतंत्र के प्रभाव को पूरा नहीं कर सकते । जनता कि बात सुनने वाला किसी भी राजनीतिक दल का हो वही जनता कि बात सुने तो इसके ऊपर मेरा एनालेसिस था। इस एनालेसिस के कारण विधानसभा में के अन्तर्गत लोगों का कैसे इन्ट्रेस्ट बने मैंने विधायकों के जन्म दिन की शुरू किया विधानसभा को मैंने ज्यादा से ज्यादा प्रश्न देना शुरू किया। माननीय मंत्री जी विधानसभा में उत्तर देते थे और उत्तर सुनने के बाद फिर अनपूरक आता था। मैंने कहा नहीं आप कि डिवास के ऊपर आप सीधा बोलिये तो उससे ज्यादा प्रश्न मिलेगा मैंने कहा काम में थोडी सी तेजी आयेगी कोई नयी चीज नहीं आयेगी काम में तेजी आयेगी।

विधानसभा अध्यक्ष

विधानसभा सामान्यतः इस बात को सम्मानित मीडिया के लोग इस बात को लिखते हैं और लिखना ही चाहिए था। कि विधानसभा में बिल पास हुए है तो लाॅ मेकर को यह पता होना चाहिए लाॅ कैसे बनाया जाता है। मैनें अबकी बार जितने भी बिल आये तो अबकी बार जितने भी संसोधन करने वाले माननीय सदस्य मैंने सबको मौका दिया पहले ऐसा होता था और मैंने पूरे विधानसभा के सदस्यों को फालो किया कि इस विषय के ऊपर जो जो बोलना चाहता है। सब बोलिये पहले इस विषय पर कभी चर्चा नहीं हुई। और जब उन बिलों के ऊपर 2, 3 सदस्य बोले तब मैंने कहा बोलिये एक शुरूआत करिये। ये एक नया शुरूआत किया मैंने विधानसभा में जितनी बड़ी संख्या के अन्तर्गत सदस्यों ने बजट के ऊपर और राज्यपाल के अभीभाषण के ऊपर भागीदारी करी है। पिछले तीन दशकों में नहीं हुई है। तीन दशक तो मैंने देखा उसके पहले मैंने देखा नहीं इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने भागीदारी करी 8,9 बजे तक विधानसभा चली 12 बजे तक भी विधानसभा चली जो कि कई दशकों के बाद हुआ। उसके नियमावली के अन्तर्गत हम काम कैसे करे। अगली विधानसभा में हम नयी नियमावली प्रस्तुत कर देंगे। और 1958 में जो व्यवस्थायें थी 1958 की नियमावली बनी और आज वो नियमावली कई वर्षों के प्रस्तुत हुई। विधायक के पास कोई मैसेज भेजा था तो पहले टेलीफैक्स किया जाता था। पहले मोबाईल भी नहीं होता था, टेलीफोन भी नहीं होते थे अब कैबिनेट कोई चीज पास करती है, तो राज्यपाल जी की मंजूरी के लिए अभी जाता है। तो विधानसभा उसके पहले लोगो को पता चल जाता है। कि विधानसभा इस तारीख को है। इतना तेज मीडिया है। विधानसभा को जैसे मैनें बोला अब बहुत सारे फर्क है। मैने समय को कम किया जो काम पहले 15 दिन में होता था हम उसको 3 दिन में करेगे। ये सारे के सारे परिवर्तन हमने विधानसभा में किया है। प

हले विधानसभा का प्रश्न लगाने के लिए यहाँ पर लिखित देना पड़ता था। मेरे आने से पहले ये था, कि सुबह 10 बजे से 5बजे तक सेल खुला रहेगी और छुट्टी के दिन भी खुला रहेगा। मैंने कहा आप 24 घण्टे प्रश्न लगा सकते है। विधायक जी ने कहा अगर रात में कोई बात याद आई तो मैने कहा लगा दो रात में खुला हुआ है। पोर्टल तो इससे काम की ऐफीशियन्स भी बढे़गी। मैने बताया कि जिस विधेयकों के ऊपर मैंने चर्चा करी महिला सदस्यों को एक बहुत महत्वपूर्ण एक दिन उनके लिए मैने रखा था। मेरे को एक माननीय सदस्य ने कहा कि आप 5 दिन में एक दिन महिला सदस्य को दे रहे हो तो मैनें कहा मैं 5 दिन में एक दिन नहीं 75 साल में एक दिन महिलाओं दे रहा हूँ। 75 साल में एक दिन महिलाओं उसके ऊपर एक नई शुरूआत जिसको पूरे देश ने फालो किया विधायिका के अधिकार लोगों को नहीं मालूम था। विधायिका क्या कर सकती है। लोगों को नहीं मालूम था।

अभी प्रिबिलेज व मोशन के अन्तर्गत हमने विधानसभा में 1962 केशव सिंह वाला केस था जिसमें सजा सुनाई गयी थी और वो सुप्रीमकोर्ट गया था और फिर प्रेसीडेन्ट रिर्फेन्स हुआ था और मामला रफा दफा हो गया था। और बीच में खत्म हो गया था। उसके पहले 1958 में ब्रीक्स के जो सम्पादक थे उनको बुलाया गया था लेकिन अध्यक्ष जी के कमरे में बैठ के वो समाप्त हो गया था। उसके बाद 89 में एक विषय आया था जिसमें लगाया था तो उन्होने क्षमा मांग ली थी तो जब से विधानसभा बनी है। पहली बार विधानसभा में विधानसभा के अधिकारों का प्रयोग करते हुए यूनानी मसलों को सजा सुनाई गयी ये भी एक इतिहास है पूरे देश के किसी भी विधानसभा में ये नहीं हुआ । ये भी एक साल के अन्तर्गत उ0प्र0 के विधानसभा में हुआ है, मैने इसमें सुरक्षा को लेकर विधानसभा की उसमें भी मैनें नई चीजे करी है। आगे क्या-क्या करूगाँ मैंने अलग-अलग मीटिंग किया है। ये बताने की जरूरत नहीं है। मैने 403 सदस्यों के साथ अलग-अलग मीटिंग किया कोई भी ऐसे सदस्य नहीं है। जिनको मैंने ना बुलाया हों। जो माननीय सदस्य नहीं है किसी व्यस्तता के कारण नहीं आये होगे किसी न किसी कारण उनके लिए जो गैलरी बनी है। 1987 से लेकर अब तक जो उसमें बनाया है। पत्रकार मित्रों के लिए भी मैंने एक एक दिन किया है।

जो हेलीकाॅप्टर राइड है उसमें 5 लोग बैठ सकते है। आगे आने वाले समय के अन्तर्गत मैं बहुत महत्वपूर्ण जानकारी देना चाहता हूँ कि इस साल क्या करेगे बढते हुए इलेक्ट्रानिक और डिजीटल युग में मैनेजमेंट का एक बहुत बड़ा रोल हो गया है। मैंनेजमेंट का बिजनेस में बहुत बड़ा रोल है। मैनेजमेंट का मीडिया में रोल है। मैनेजमेंट का एजूकेशन में रोल है। लेकिन मैनेंजमेंट का विधायिका में क्या रोल हो सकता है। इसके ऊपर मैने चर्चा करी हमारे मुख्यमंत्री जी माननीय प्रधानमंत्री जी ने शुरूआत की थी गुजरात से शुरूआत की थी तो मैं इस आने वाले वर्ष के अन्तर्गत करने जा रहा हूंँ। मैं मैनेजेमेंट के सीनियर लोगो को बुलाकर मैं उनको यह बताऊंगा कि मैं ये कर रहे है तो आप इसमें अच्छा सुझाव क्या दे सकते है। विधायिका में भी अच्छा मैनेजमेंट कैसे हो सकता है। आप इसके ऊपर कुछ बताइए। इसके ऊपर आज तक कही चर्चा नहीं हुई। आई.आई.टी के लोगो को बुलाऊगा इस प्रकार से मैं लोगो को इन्ट्रोडेक्सन करूंगा। मैनें एक प्रस्ताव रखा है। मंत्री जी से मैने इस बात पर चर्चा किया है। कि सारे एम.एल.ए. को ग्रुप्स बनाकर अलग-अलग इन्डेस्ट्रीज में कैसे भेजा जा सकता है। मैंने उसके ऊपर सहमत दिया उसके ऊपर काम चल रहा है। मैं एक और बात शुरूआत करने का प्रयास कर रहा हूँ। कि सब विभागों के माननीय मंत्री है अच्छा काम कर रहे है। मंत्री और अधिकारी के आपस में बातचीत होती है। योजनाएं बनती है कभी-कभी जो ग्राउन्ड रियलटी है वो विधायकांे को मालूम होती है। उसको पहंुचाने में कोई न कोई कठिनाई हो सकती है तो मैने अब इस प्रकार का विचार किया कि मैं योजना बना रहा हूँ।

माननीय उच्च शिक्षा मंत्री के लिए जो हमारे एम.एल.ए. है वो उच्च शिक्षा प्राप्त है। आई.आई.टीएन्स है उनके अधिकारियों के साथ हमारे अधिकारी है। ये वाला ग्रुप्स बात करेंगा। डाॅ मंत्री के साथ हमारे डाॅ को बैठा सकते है कि वो अपना सुझाव दे ताकि जो जमीन के ऊपर विधायकांे का मैसेज जा रहा है। इसके ऊपर भी कभी विचार नहीं किया गया। कि हर विभाग के मंत्री उस विभाग के अधिकारियों के साथ के एम.एल.ए. के साथ बैठकर उनको सुझाव दे कि आप ये करिये ये करिये करना न करना माननीय मंत्री के ऊपर होगा। बहुत सारे ऐसे सुझाव होंगे जो सरकार को अच्छा लगेगा। सरकार के बहुत सारे ऐसे सुझाव होंगे जिसपर सरकार पहले से ही कार्य कर रही है। और बहुत सारे ऐसे सुझाव होंगे जो सरकार को लगेगा की इसको करने की आवश्यकता नहीं है उसको सरकार नहीं करेगी। सरकार को हम सुझाव दे सकें यही हमारा महत्वपूर्ण विषय है। मैनेजमेंट लोग भी हमारे साथ जुडे़ मैनेजमेंट के बहुत बडे़-बडे़ इन्सटीयूट है लखनऊ में मैं पूरे देश के ऊपर विचार करूंगा। उ0प्र0 में मैने विधायक का पुरस्कार घोषित किया है इस साल हो जाने के बाद कम से कम जो हमने बनाया है क्राइटेरिया बनाकर उसके ऊपर मीटिंग बैठेगी। उसमें उत्कृष्ट विधायकों को चुनेगे। उ0प्र0 की विधानसभा की लाइबे्ररेरी को बनाने का भी काम चल रहा है। तो मेरा जो भाव है कि विधायिका को एक जो गैप बना हुआ था उस गैप को भरने का काम किया है। आगे भी मैने इस प्रकार की प्लानिंग की है।

एक वर्ष उ0प्र0 की विधानसभा के लिए उ0प्र0 की जनता के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी से मैं समय-समय पर चर्चा करता रहता हूँं। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि जो भी सुझाव मेरे द्वारा दिये जाते है। उस बहुत ही गम्भीरता से काम किया जाता है। उ0प्र0 की चर्चा आज पूरे प्रदेश में और जनता के बीच में भी है। पहले जनता के बीच में विधानसभा की चर्चा नहीं होती थी पहले सरकार की चर्चा होती थी। लेकिन अब जनता के बीच में भी है। लेकिन उ0प्र0 की जनता के साथ-साथ देश भी आज हमको फालो कर रहा है। हमारा यह जो निणर्य हुआ है। रेगुलेक्ट कमेटी वाला देश की विधानसभाओं ने करेला, कर्नाटका, तमिलनाडु इन्होंने हमसे कहाॅ आप इंगलिश में ट्रान्सलेट करके हमको दिजीए। हमने उसको इंगलिश में ट्रान्सलेट करके उनको भेजवा दिया। मैं अभी और इसको जिसको आप टंडन हाल कहते है। उसको अगले चक्र में उसको सुन्दर करेंगे। नीचे मीडिया सेन्टर है उसको भी बड़ा करके सुन्दर करने का काम है। मेरा जो सपना है विधानसभा और जो विधायिका के प्रति निगेटिविटी है। मैं उसको पाजटिव में ले आंऊगा। जो प्रयास मैंने शुरू किया ये सोच के नहीं करता कितने दिन में रिजेल्ट आयेगा। लेकिन ये पता है आयेगा रिजल्ट इस विश्वास के साथ करता हूँ तो ये साल जीओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आप सबका बहुत सहयोग मिला मैं आप सबको धन्यवाद देता हूँ। आगे भी उम्मीद करता हूँ कि जो विधायिका की इमेज है वो आगे बढ़ती रहेगी। विधानसभा के अध्यक्ष के नाते से मेरा चुनाव इस गरिमामयी विधानसभा में हुआ है। मैं सबके प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, कि सारे राजनीतिक दलों ने मुझे असेम्बली चेयर के लिए सेलेक्ट किया था।

लोकतंत्र में विधायिका की एक अह्म भूमिका होती है। विगत कुछ वर्षों से विधायिका को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा था। संविधान में इस बात की चर्चा है। संविधान का जब पहले शुरूआत होती है, वह कहता है। हम भारत के लोग भारत का संविधान भारत के लोंगो के लिए है। और भारत के द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है। उस विधान के अनुरूप जनकल्याण के लिए लोक कल्याण के लिए चुने हुए जनप्रतिनिधि काम करें। तीनों की अलग-अलग शक्तियाँ है, संविधान में अलग-अलग तय किया गया है। कि जुडीशरी की कहाँ तक शक्तियाँ है। विधायिका की कहाँ तक लिमिट्स है। और कार्यपालिका की क्या शक्तियाँ है। सौभाग्य से कुछ समय के बाद लोकतंत्र के चौथे प्रहरी के रूप में मीडिया को पत्रकारिता को भी जोड़ा गया इस एक साल में विधानसभा में बहुत कुछ नया करने का प्रयास किया गया। उ0प्र0 की विधानसभा मैंने आने के बाद जानकारी करी कि जिस समय नेशनल लेबल की कानफ्रेंस होती थी। देश के सभी विधानसभाओं के सम्मानित अध्यक्ष और विधानपरिषद के सम्मानित सभापति की बैठक होती थी। तो यू0पी0 का उस दिन अग्रणी रोल नहीं होता था। मेंरे को इस बात को कहते हुए प्रसन्नता होती है कि कार्यवाही व अधिकारियों की काॅफ्रेंस हो नेशनल लेबल पर कही भी विधायिका की चर्चा हो तो उ0प्र0 का अग्रणी रोल निरर्धारित है, जिसमें हम अग्रणी रोल अदा कर रहे हैं।

सबकी अपनी-अपनी जिम्मेदारी हैं। हम एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा में काम नहीं कर रहे। हमारा अपना प्रस्तुति कैसे अच्छा हो सकता है, इसलिए हम काम करें। विधानसभा में 29 मार्च के बाद जो हमारा पहला सत्र हुआ 2022 में तो लगभग डेढ़ महीना था उस डे़ढ महीने के समय में ही उ0प्र0 के हर सीट के ऊपर हमने टैबलेस लगा दी पेपर लेस करने का प्रयास किया। हमारे पास 379 सीट थी उसको 417 सीटे करी जो 403 हमारे माननीय सदस्य है ,14 माननीय मंत्री हमारे विधान सरकार में है। जो विधानपरिषद के सदस्य है, लेकिन उनके लिए सीट और लोकशन होना आवश्यक है। इसलिए 417 ये प्रश्न नहीं है, कि 417 कैसे कर दी आज हमारे सारे सम्मानित सदस्य विधानसभा के सत्र के दौरान अपनी उस डिवाइस पर काम करते है। उसी के अनुरूप पूरा ऐजेंडा उस पर होता है, उस पर काम करते है। पूरे देश की कई विधानसभा के सम्मानित सदस्य स्पीकर और कई विधानसभा के अधिकारी हमारे विधानसभा को देखने आ चुके है। जैसे मैंने विधानसभा में भी कहाँ था। मैं उसी बात को फिर रिपीट करना चाहता हूँ, कि विधानसभा केवल 403 सदस्यों की नहीं है उ0प्र0 की 25 करोड़ जनता की है इस नाते से विधानसभा सुन्दर होनी चाहिए मैं आॅफिस में बैठा था तो कुछ लोगों ने कहा महाना जी आप का कार्यालय बहुत अच्छा है।

मैनें कहा कि मेरा कार्यालय कानपुर में है ये स्पीकर आॅफिस है। देश-विदेश से जब लोग आते हैं, तो यह महसूस होना चाहिए कि उ0प्र0 की प्रगति कितनी है, मैने लाबी को ठीक कराया उसको नया स्वरूप दिया छोटी सी बात होती है। काफी उपलब्ध कराना काफी उपलब्ध कराना कोई बड़ी बात नहीं है। सारा दिन बैठने के बाद जिस समय सदस्य काॅफी पीने के नीचे कैनटिन में जाते थे तो एक दो और पीते थें अब वही काॅफी पी कर वही बैठते है आवश्यकता अनुसार वहीं पर विधानसभा में आ गये विधानसभा में प्रजेंस् काफी बढ़ गई है। पहले विधानसभा में इतनी प्रजेन्टस् नहीं होती थी, जितनी अब बढ़ गयी है। प्रजेन्टस बढे़गी तो काम करने की सुविधा भी बढ़ेगी काम करने का इन्वारमेन्ट भी होगा काम करने में मन भी लगेगा। जो हमारी मेन गैलरी है इसमें देश के शहीदो के लिए देश के ऐसे प्रतिष्ठित, प्रख्यात, समाज सेवियों के लिए जिन्होने समाज और देश के लिए काम किया है। उनके चित्र लगावाये, साइड की गैलरी में जो मैं इस बात को कई बार कहता हूँ कई बार आगे यह कहना भी पड़ेगा कि विधानसभा का जो प्रासेप्शन होता था, पहले वो जाति के हिसाब से अपराध के हिसाब से होता था। अब विधानसभा का प्रासेप्शन योग्यता के आधार पर होता है।

फिर मुझसे कुछ लोगों ने प्रश्न किया कि क्या पहले एसी उनकी चर्चा नहीं करते थें पाजिटिव चर्चा उन्हीं की करते थे। कुछ पाजिटिव चर्चा जिस प्रकार से हुई उस प्रकार से लोगो में भी एक एवैरनेस हुई मैं जहाॅ कही भी जाता हूँ कोई ऐसा मंच मिलता है। तो वहाँ पर लोगों को बोलता हूँ अच्छे लोगों को आना चाहिए पढ़े लिखे लोगों को आना चाहिए हमारे पास ऐसे लोग है। इतने इंजीनियर्स, फिर डाॅक्टर इत्यादि तो लोगो ने कहाॅ यहाॅ क्यों बोल रहे हो तो मैंने कहाॅ यहाॅ इसलिए बोल रहा हूँ कि ये लोग भी प्रेरित होगे इनको भी ज्ञान होगा कि अच्छे लोगों को आना चाहिए समाज में जब अच्छे लोगों को लगगेगा कि नहीं वहाॅ इस प्रकार के लोग है। तो उनका भी इन्ट्रेस्ट बढे़गा जब उनका इन्ट्रेस्ट जगेगा तो जो हमारी है, जो हम जनता के लिए काम कर रहे है। वो पूरा हो इसलिए इसका प्रचार किया। कुछ लोग बोले क्यों बार-बार बोलते हो मैंने कहा 30 ,40 साल से घाव इतना गहरा हो चुका था कि उस घाव गहरे को ठीक करने के लिए कई बार बोलना पड़ेगा एक बार बोलने से समाप्त नहीं होगा। इसीलिए मैं अपने पत्रकार मित्रों से निवेदन करना चाहता हूँ कि ये जो आपने लिखना शुरू किया है। विधानसभा के नये स्वरूप को आप के द्वारा और अच्छा मैसेज जाये इसलिए मैं आपका आभारी हूँ।

क्योंकि लोकतंत्र में एक व्यवस्था है कोई राजशाही व्यवस्था नहीं है। पहले राजा होते थे मैं एक जगह पे गया तो उन्होंने कहा नेता लोगो को हटा देना चाहिए मैंने कहा मान लिया हटा दे तो कौन चलायेगा सिस्टम को तानाशाही व्यवस्था हो सकती है। क्या अधिकारिक व्यवस्था हो सकती है क्या कौन चलायेगा उन्होने कहा पत्रकार चलायेगे तो मैंने कहा जब चुनाव लड़ेगें तो उसको क्या कहेंगे नेता ही तो कहेंगे। मासक्म्यूनीकेशन तो कहा नहीं जायेगा। आप चुनाव में खड़े होगे तो आपको क्या कहेंगे पत्रकार को वोट दे या नेता जी को वोट दे तो उस सिस्टम में से हम खामियाँ कैसे दूर कर सकते है। इसके ऊपर तो चर्चा हो सकती है। लेकिन उस सिस्टम को कोलेप्स करने के लिए चर्चा नहीं हो सकती इस बात को स्वीकार नहीं करना चाहिए लेकिन अगर हमने इस बात को स्वीकार कर लिया तो लोकतंत्र कमजोर होगा और लोकतंत्र के प्रभाव को पूरा नहीं कर सकते । जनता कि बात सुनने वाला किसी भी राजनीतिक दल का हो वही जनता कि बात सुने तो इसके ऊपर मेरा एनालेसिस था। इस एनालेसिस के कारण विधानसभा में के अन्तर्गत लोगों का कैसे इन्ट्रेस्ट बने मैंने विधायकों के जन्म दिन की शुरू किया विधानसभा को मैंने ज्यादा से ज्यादा प्रश्न देना शुरू किया। माननीय मंत्री जी विधानसभा में उत्तर देते थे और उत्तर सुनने के बाद फिर अनपूरक आता था। मैंने कहा नहीं आप कि डिवास के ऊपर आप सीधा बोलिये तो उससे ज्यादा प्रश्न मिलेगा मैंने कहा काम में थोडी सी तेजी आयेगी कोई नयी चीज नहीं आयेगी काम में तेजी आयेगी। विधानसभा सामान्यतः इस बात को सम्मानित मीडिया के लोग इस बात को लिखते हैं और लिखना ही चाहिए था। कि विधानसभा में बिल पास हुए है तो लाॅ मेकर को यह पता होना चाहिए लाॅ कैसे बनाया जाता है।

मैनें अबकी बार जितने भी बिल आये तो अबकी बार जितने भी संसोधन करने वाले माननीय सदस्य मैंने सबको मौका दिया पहले ऐसा होता था और मैंने पूरे विधानसभा के सदस्यों को फालो किया कि इस विषय के ऊपर जो जो बोलना चाहता है। सब बोलिये पहले इस विषय पर कभी चर्चा नहीं हुई। और जब उन बिलों के ऊपर 2, 3 सदस्य बोले तब मैंने कहा बोलिये एक शुरूआत करिये। ये एक नया शुरूआत किया मैंने विधानसभा में जितनी बड़ी संख्या के अन्तर्गत सदस्यों ने बजट के ऊपर और राज्यपाल के अभीभाषण के ऊपर भागीदारी करी है। पिछले तीन दशकों में नहीं हुई है। तीन दशक तो मैंने देखा उसके पहले मैंने देखा नहीं इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने भागीदारी करी 8,9 बजे तक विधानसभा चली 12 बजे तक भी विधानसभा चली जो कि कई दशकों के बाद हुआ। उसके नियमावली के अन्तर्गत हम काम कैसे करे। अगली विधानसभा में हम नयी नियमावली प्रस्तुत कर देंगे। और 1958 में जो व्यवस्थायें थी 1958 की नियमावली बनी और आज वो नियमावली कई वर्षों के प्रस्तुत हुई। विधायक के पास कोई मैसेज भेजा था तो पहले टेलीफैक्स किया जाता था। पहले मोबाईल भी नहीं होता था, टेलीफोन भी नहीं होते थे अब कैबिनेट कोई चीज पास करती है, तो राज्यपाल जी की मंजूरी के लिए अभी जाता है। तो विधानसभा उसके पहले लोगो को पता चल जाता है। कि विधानसभा इस तारीख को है। इतना तेज मीडिया है। विधानसभा को जैसे मैनें बोला अब बहुत सारे फर्क है।

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सबकी अपनी अपनी जिम्मेदारी-महाना
सबकी अपनी अपनी जिम्मेदारी-महाना

मैने समय को कम किया जो काम पहले 15 दिन में होता था हम उसको 3 दिन में करेगे। ये सारे के सारे परिवर्तन हमने विधानसभा में किया है। पहले विधानसभा का प्रश्न लगाने के लिए यहाँ पर लिखित देना पड़ता था। मेरे आने से पहले ये था, कि सुबह 10 बजे से 5बजे तक सेल खुला रहेगी और छुट्टी के दिन भी खुला रहेगा। मैंने कहा आप 24 घण्टे प्रश्न लगा सकते है। विधायक जी ने कहा अगर रात में कोई बात याद आई तो मैने कहा लगा दो रात में खुला हुआ है। पोर्टल तो इससे काम की ऐफीशियन्स भी बढे़गी। मैने बताया कि जिस विधेयकों के ऊपर मैंने चर्चा करी महिला सदस्यों को एक बहुत महत्वपूर्ण एक दिन उनके लिए मैने रखा था। मेरे को एक माननीय सदस्य ने कहा कि आप 5 दिन में एक दिन महिला सदस्य को दे रहे हो तो मैनें कहा मैं 5 दिन में एक दिन नहीं 75 साल में एक दिन महिलाओं दे रहा हूँ। 75 साल में एक दिन महिलाओं उसके ऊपर एक नई शुरूआत जिसको पूरे देश ने फालो किया विधायिका के अधिकार लोगों को नहीं मालूम था। विधायिका क्या कर सकती है। लोगों को नहीं मालूम था। अभी प्रिबिलेज व मोशन के अन्तर्गत हमने विधानसभा में 1962 केशव सिंह वाला केस था जिसमें सजा सुनाई गयी थी और वो सुप्रीमकोर्ट गया था और फिर प्रेसीडेन्ट रिर्फेन्स हुआ था और मामला रफा दफा हो गया था। और बीच में खत्म हो गया था। उसके पहले 1958 में ब्रीक्स के जो सम्पादक थे उनको बुलाया गया था लेकिन अध्यक्ष जी के कमरे में बैठ के वो समाप्त हो गया था। उसके बाद 89 में एक विषय आया था जिसमें लगाया था तो उन्होने क्षमा मांग ली थी तो जब से विधानसभा बनी है। पहली बार विधानसभा में विधानसभा के अधिकारों का प्रयोग करते हुए यूनानी मसलों को सजा सुनाई गयी ये भी एक इतिहास है पूरे देश के किसी भी विधानसभा में ये नहीं हुआ । ये भी एक साल के अन्तर्गत उ0प्र0 के विधानसभा में हुआ है, मैने इसमें सुरक्षा को लेकर विधानसभा की उसमें भी मैनें नई चीजे करी है। आगे क्या-क्या करूगाँ मैंने अलग-अलग मीटिंग किया है।

ये बताने की जरूरत नहीं है। मैने 403 सदस्यों के साथ अलग-अलग मीटिंग किया कोई भी ऐसे सदस्य नहीं है। जिनको मैंने ना बुलाया हों। जो माननीय सदस्य नहीं है किसी व्यस्तता के कारण नहीं आये होगे किसी न किसी कारण उनके लिए जो गैलरी बनी है। 1987 से लेकर अब तक जो उसमें बनाया है। पत्रकार मित्रों के लिए भी मैंने एक एक दिन किया है। जो हेलीकाॅप्टर राइड है उसमें 5 लोग बैठ सकते है। आगे आने वाले समय के अन्तर्गत मैं बहुत महत्वपूर्ण जानकारी देना चाहता हूँ कि इस साल क्या करेगे बढते हुए इलेक्ट्रानिक और डिजीटल युग में मैनेजमेंट का एक बहुत बड़ा रोल हो गया है। मैंनेजमेंट का बिजनेस में बहुत बड़ा रोल है। मैनेजमेंट का मीडिया में रोल है। मैनेजमेंट का एजूकेशन में रोल है। लेकिन मैनेंजमेंट का विधायिका में क्या रोल हो सकता है। इसके ऊपर मैने चर्चा करी हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी माननीय प्रधानमंत्री जी ने शुरूआत की थी गुजरात से शुरूआत की थी तो मैं इस आने वाले वर्ष के अन्तर्गत करने जा रहा हूंँ। मैं मैनेजेमेंट के सीनियर लोगो को बुलाकर मैं उनको यह बताऊंगा कि मैं ये कर रहे है तो आप इसमें अच्छा सुझाव क्या दे सकते है। विधायिका में भी अच्छा मैनेजमेंट कैसे हो सकता है। आप इसके ऊपर कुछ बताइए। इसके ऊपर आज तक कही चर्चा नहीं हुई। आई.आई.टी के लोगो को बुलाऊगा इस प्रकार से मैं लोगो को इन्ट्रोडेक्सन करूंगा। मैनें एक प्रस्ताव रखा है। मंत्री जी से मैने इस बात पर चर्चा किया है। कि सारे एम.एल.ए. को ग्रुप्स बनाकर अलग-अलग इन्डेस्ट्रीज में कैसे भेजा जा सकता है। मैंने उसके ऊपर सहमत दिया उसके ऊपर काम चल रहा है।

मैं एक और बात शुरूआत करने का प्रयास कर रहा हूँ। कि सब विभागों के माननीय मंत्री है अच्छा काम कर रहे है। मंत्री और अधिकारी के आपस में बातचीत होती है। योजनाएं बनती है कभी-कभी जो ग्राउन्ड रियलटी है वो विधायकांे को मालूम होती है। उसको पहंुचाने में कोई न कोई कठिनाई हो सकती है तो मैने अब इस प्रकार का विचार किया कि मैं योजना बना रहा हूँ। माननीय उच्च शिक्षा मंत्री के लिए जो हमारे एम.एल.ए. है वो उच्च शिक्षा प्राप्त है। आई.आई.टीएन्स है उनके अधिकारियों के साथ हमारे अधिकारी है। ये वाला ग्रुप्स बात करेंगा। डाॅ मंत्री के साथ हमारे डाॅ को बैठा सकते है कि वो अपना सुझाव दे ताकि जो जमीन के ऊपर विधायकांे का मैसेज जा रहा है। इसके ऊपर भी कभी विचार नहीं किया गया। कि हर विभाग के मंत्री उस विभाग के अधिकारियों के साथ के एम.एल.ए. के साथ बैठकर उनको सुझाव दे कि आप ये करिये ये करिये करना न करना माननीय मंत्री के ऊपर होगा। बहुत सारे ऐसे सुझाव होंगे जो सरकार को अच्छा लगेगा। सरकार के बहुत सारे ऐसे सुझाव होंगे जिसपर सरकार पहले से ही कार्य कर रही है। और बहुत सारे ऐसे सुझाव होंगे जो सरकार को लगेगा की इसको करने की आवश्यकता नहीं है उसको सरकार नहीं करेगी। सरकार को हम सुझाव दे सकें यही हमारा महत्वपूर्ण विषय है। मैनेजमेंट लोग भी हमारे साथ जुडे़ मैनेजमेंट के बहुत बडे़-बडे़ इन्सटीयूट है लखनऊ में मैं पूरे देश के ऊपर विचार करूंगा। उ0प्र0 में मैने विधायक का पुरस्कार घोषित किया है इस साल हो जाने के बाद कम से कम जो हमने बनाया है क्राइटेरिया बनाकर उसके ऊपर मीटिंग बैठेगी। उसमें उत्कृष्ट विधायकों को चुनेगे।

उ0प्र0 की विधानसभा की लाइबे्ररेरी को बनाने का भी काम चल रहा है। तो मेरा जो भाव है कि विधायिका को एक जो गैप बना हुआ था उस गैप को भरने का काम किया है। आगे भी मैने इस प्रकार की प्लानिंग की है। एक वर्ष उ0प्र0 की विधानसभा के लिए उ0प्र0 की जनता के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी से मैं समय-समय पर चर्चा करता रहता हूँं। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि जो भी सुझाव मेरे द्वारा दिये जाते है। उस बहुत ही गम्भीरता से काम किया जाता है। उ0प्र0 की चर्चा आज पूरे प्रदेश में और जनता के बीच में भी है। पहले जनता के बीच में विधानसभा की चर्चा नहीं होती थी पहले सरकार की चर्चा होती थी। लेकिन अब जनता के बीच में भी है। लेकिन उ0प्र0 की जनता के साथ-साथ देश भी आज हमको फालो कर रहा है। हमारा यह जो निणर्य हुआ है। रेगुलेक्ट कमेटी वाला देश की विधानसभाओं ने करेला, कर्नाटका, तमिलनाडु इन्होंने हमसे कहाॅ आप इंगलिश में ट्रान्सलेट करके हमको दिजीए। हमने उसको इंगलिश में ट्रान्सलेट करके उनको भेजवा दिया। मैं अभी और इसको जिसको आप टंडन हाल कहते है। उसको अगले चक्र में उसको सुन्दर करेंगे। नीचे मीडिया सेन्टर है उसको भी बड़ा करके सुन्दर करने का काम है। मेरा जो सपना है विधानसभा और जो विधायिका के प्रति निगेटिविटी है। मैं उसको पाजटिव में ले आंऊगा। जो प्रयास मैंने शुरू किया ये सोच के नहीं करता कितने दिन में रिजेल्ट आयेगा। लेकिन ये पता है आयेगा रिजल्ट इस विश्वास के साथ करता हूँ तो ये साल जीओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आप सबका बहुत सहयोग मिला मैं आप सबको धन्यवाद देता हूँ। आगे भी उम्मीद करता हूँ कि जो विधायिका की इमेज है वो आगे बढ़ती रहेगी। सबकी अपनी अपनी जिम्मेदारी-महाना