गहलोत सरकार को होलीका दहन की देनी पड़ी छूट

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आखिर होलीका दहन के लिए राजस्थान में गहलोत सरकार को छूट देनी ही पड़ी। सबसे पहले ब्लॉग में किया था ध्यान आकर्षित। यूनिवर्सल स्वास्थ्य बीमा का लाभ उठाएं प्रदेशवासी। सम्पन्न परिवार भी 850 रूपये का प्रीमियम देकर 5 लाख रूपये का बीमा करवाएं।

एस0पी0मित्तल

कोरोना की गाइड लाइन का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाने और कार्यकारी करने का अब अजमेर प्रशासन को नैतिक अधिकार नहीं। सरकारी गाइड लाइन की धज्जियां उड़ा कर नगर निगम के परिसर में हुआ होली का समारोह। मैं यह तो दावा नही करता कि 25 मार्च को मेरे द्वारा ब्लॉग लिखे जाने के बाद राजस्थान सरकार ने प्रदेश में होलिका दहन को छूट दी है, लेकिन यह सही है कि 25 मार्च को सभी प्रकार के मीडिया में सबसे पहले मैंने होली का दहन पर रोक लगाने का मुद्दा उठाया था। इसके बाद ही 26 मार्च को प्रदेश के गृह विभाग को अपना 24 मार्च का आदेश संशोधित करना पड़ा।

संशोधित आदेश के अनुसार 28 व 29 मार्च को सांय 4 बजे से रात्रि 10 बजे तक सार्वजनिक स्थलों पर होली और शब-ए-बारात का आयोजन हो सकेंगे। यानि हिन्दू समुदाय के लोग 28 मार्च को शुभ मुहूर्त में होलिका दहन कर सकेंगे तो 29 मार्च को शब-ए-बारात के अवसर पर शाम को मुस्लिम समुदाय के लोग कब्रिस्तान में जाकर अपने पूर्वजों की मजार पर दुआ कर सकेंगे।

गृह विभाग के 24 मार्च को जो आदेश निकाला था उसमें 28 व 29 मार्च को होली और शब-ए-बारात के सभी आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया गया था। इस आदेश के अनुरूप ही 25 मार्च को खबरों में खबर प्रकाशित हुई। विज्ञापनों के मोहताज कुछ मीडिया घरानों ने तो कोरोना के मद्देनजर सरकार के फैसले का स्वागत भी कर दिया। लेकिन मैंने अपने 25 मार्च के ब्लॉग में होली का दहन कर मुद्दा प्रभावी ढंग से उठाया।

मेरा तर्क रहा कि होलिका दहन हमारी सनातन संस्कृति से जुड़ा है। इसलिए सरकार को कम से कम होली का दहन की छूट देनी ही चाहिए। इस ब्लॉग में शब-ए-बारात के अवसर मुस्लिम परम्पराओं का उल्लेख किया गया। मुझे इस बात का संतोष है कि अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने दोनों संप्रदाओं की भावनाओं को समझा और अपने आदेश में संधोधन किया।

आज बीमा करवाएं :

27 मार्च को प्रदेश के सी.एम. अशोक गहलोत ने लोगों से अपील की है कि राज्य सरकार द्वारा घोषित योजना के अंतर्गत एक अप्रैल से यूनिवर्सल स्वास्थ्य बीमा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाए। इस योजना में कोई भी व्यक्ति 850 रुपए का प्रीमियम देकर 5 लाख रुपए सालाना का बीमा करवा सकता है। गहलोत सरकार ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा घोषित आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा में लाखों लोग वंचित हो रहे हैं, इसलिए राज्य सरकार ने यूनिवर्सल स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की है। आयुष्मान भारत में राज्य के लिए 350 करोड़ रुपए का प्रावधान है, जबकि हमारी यूनिवर्सल स्वास्थ्य बीमा योजना में तीन हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। प्रदेश के प्रत्येक नागरिक को इस योजना का लाभ उठाना चाहिए।

कार्यवाही करने का नैतिक अधिकार नही :

26 मार्च को अजमेर और नगर निगम के अधिकारियों ने मिलकर जिस प्रकार होली का उत्सव मनाया, उसके बाद अब अजमेर प्रशासन को कोरोना गाइड लाइन का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाने और कार्यवाही करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। जिला प्रशासन का दावा है कि जिला प्रशासन से अनुमति मिलने के बाद होली का समारोह आयोजित किया गया।

सवाल उठता है कि क्या शर्तों के अनुरूप अनुमति देकर जिला प्रशासन की जिम्मेदारी पूरी हो जाती है? शर्तों की पालना करवाने की जिम्मेदारी किसकी है? प्रशासन ने जो शर्तें लगाई, उनकी पालना निगम के समारोह में नहीं हुई। निगम के समारोह में 200 से ज्यादा लोग उपस्थित रहे। पार्षदों, अधिकारियों और तमाशबीनों ने मुंह पर मास्क नहीं लगा रखा था तथा समारोह में एक-दूसरे से चिपक कर बैठे हुए थे। बाजारों में मास्क नहीं लगाने वाले दुकानदारों और ग्राहकों पर नगर निगम के अधिकारी ही जुर्माना लगा रहे हैं।

कई बाजारों में तो दुकानें भी सील करवाई गई हैं। बताया जा रहा है कि निगम के समारोह में पुलिस भी मौजूद थी, लेकिन पुलिस के जाबांज होली के हुंडदंग में शामिल हो गए। नगर निगम के आयुक्त और उपायुक्त सरकार के प्रतिनिधि होते हैं, लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि सरकार के प्रतिनिधि भी सरकारी गाइड लाइन की धज्जियां उड़वाने में शामिल हो गए हैं। निगम की मेयर ब्रजलता हाड़ा जिस प्रकार उत्साह दिखाया, उसके बाद अब उन्हें कोरोना नियंत्रण के किसी भी समारोह में भाग लेने का नैतिक अधिकार नहीं है। आखिर अब हाड़ा किस अधिकार से लोगों को कोरोना से बचने की सीख देंगी। गंभीर बात यह है कि होली का जश्न मनाने में भाजपा और कांग्रेस के पार्षद भी एकजुट नजर आए। सवाल उठता है कि क्या ऐसा जश्न कोरोनाकाल में आम लोग मना सकते हैं।