भाजपा के फूल पर गुजरात की धूल

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काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की क्रोनोलॉजी, सपा सरकार में करोड़ों का आवंटन हुआ, सपा सरकार में कॉरिडोर हेतु भवनों का अधिग्रहण शुरू हुआ, मंदिरकर्मियों के लिए मानदेय तय किया गया। ‘पैदलजीवी’ बताएं कि सपा सरकार के वरुणा नदी के स्वच्छता अभियान को क्यों रोका और मेट्रो का क्या हुआ।

इवेंट मैनेजमैंट का बेस्ट काम देखना हो तो आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देख सकते हैं। इवेंट्स के पुलों पर चढ़कर एक इंसान कैसे आपके सिर चढ़कर बोलता है, ये भी नरेंद्र मोदी को देखकर समझा जा सकता है। कारोबारी बस कारोबार करता है। हर बार बस यही करता है। और कारोबारी जब राजनेता बन जाता है तो पूछिये ही मत। कारोबारी साथियों की मौज हो जाती है। 2014 में जब नरेंद्र मोदी अपने बाज़ार के साथियों के साथ से रायसीना हिल्स पर स्थापित हुए तो कर्ज़ चुकाना नहीं भूले। तमाम महत्वपूर्ण सरकारी संसाधनों से बन सकने वाली रुपए की नदी को अपने कारोबारी मित्रों के व्यावसायिक कार्यालयों से गुज़ारने में नरेंद्र मोदी ने कोई गुरेज़ नहीं किया। 

नरेंद्र मोदी गुजरात से आते हैं। लिहाज़ा गुजरात के व्यवसायी भी मोदी सरकार में जमकर काम कर रहे हैं। गुजरात में तो काम कर ही रहे हैं, कमल के फूल की महक जहां तक पहुंचती है, वहां तक गुजराती ही काम कर रहे हैं। छोटे मोटे ठेकेदारों और प्रतिष्ठानों के काम छीनकर बड़ी बड़ी फर्मों को दे दिए गए। और इन फर्मों को गुजराती बनिया चला रहे हैं। ये फर्में नामी हैं तो बेनामी भी। ये मेरा आरोप नहीं बल्कि भुक्तभोगियों का दर्द है, जो गाहे बगाहे छलकता रहता है। धर्म और राष्ट्र की रेसिपी से आपकी रसोई भले ही ना महके, आपके ड्रॉइंग रूम और बेडरूम जरूर गरमाए रहते हैं। 

धर्म राष्ट्र के कॉकटेल से उपजे कारोबार पर ज्यों सवाल दागते हैं तो आप दाग दिए जाते हैं। आप धर्मद्रोही घोषित कर दिए जाते हैं। आप देशद्रोही घोषित कर दिए जाते हैं। धर्म राष्ट्र की ठेकेदारी बस भगवा ब्रिगेड के पास ही है। और किसी ने ज़रा सा भी कुछ बोला तो झूठे आंकड़ों और झूठों की भारी भरकम फौज आपके ऊपर हमला करने लगती है। इसके ताज़ा शिकार हुए हैं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव।अपनी नाकामियों को इवेंट्स से ढंकती महंत जी की यूपी सरकार बार बार नंगी हो जाती है। और योगी सरकार को नंगा करने से अखिलेश यादव चूकते भी नहीं हैं। समाजवादियों के बनवाए राममनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के नवें फ्लोर पर चलती अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल यूनिवर्सिटी की सच्चाई लोगों के भरोसे को डिगा ना दे, इसके लिए भगवा ब्रिगेड के आईटी सेल ने नया सिलेबस जारी किया है। इस सिलेबस में अखिलेश यादव पर मिम्स बनाए जा रहे हैं। इन मिम्स में अखिलेश यादव का जमकर मज़ाक उड़ाया जा रहा है। इसमें कहा जा रहा है कि दुनिया में जितने भी काम हुए हैं, सब अखिलेश यादव ने किए हैं। 

अखिलेश यादव ने विश्वनाथ कॉरिडोर को अपने मुख्यमंत्री रहते पैसे आवंटित करने की बात क्या कही, भगवाई सत्ता के हाथ पांव फूल गए। अखिलेश यादव को सरकार ने आधिकारिक तौर पर झूठा करार दे दिया। विकास की अपनी चमचमाती उपलब्धियों के साथ खड़े अखिलेश यादव की इमेज को डेंट करने के लिए सरकार और सरकारी लोग अपने सारे संसाधन झोंक रहे हैं। अखिलेश यादव पर टोपी दाढ़ी के तुष्टीकरण का आरोप लगाती इस जमात को कब ये मंजूर होता कि अखिलेश यादव हिन्दू और हिन्दू हितों के लिए मज़बूती से खड़े दिखें। लिहाज़ा उनको अपमानजनक भाषा और भाव के साथ संबोधित किया जा रहा है। मज़ेदार बात ये है कि अखिलेश यादव हर बार सही साबित हो रहे हैं और उनको कोसती जमात अपना मुंह लेकर रह जाती है। 2015 की मई में अखिलेश सरकार ने 5।50 करोड़ रुपए काशी विश्वनाथ परिसर के लिए दिए थे। और यूपी सरकार के प्रवक्ता और मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह झूठ बोलते हुए कहते हैं कि मैंने कैबिनेट के नोट्स पढ़े है, काशी विश्वनाथ को अखिलेश सरकार ने कोई फंड नहीं दिया था। सिद्धार्थ नाथ पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के नाती हैं, लेकिन शास्त्री जी की लेगेसी कहीं न कहीं समझौते करती दिख रही है। 

वो कहते हैं ना कि झूठ के पांव नहीं होते। उसको भरभराकर गिरना ही पड़ता है। इस मामले में भी यही हुआ। तथ्य सामने आते ही कुछ लोग सन्नाटा ओढ़ लिए हैं। भगवा ब्रिगेड की वाट्सअप विश्वविद्यालय से शिक्षित प्रशिक्षित जमात अभी भी झूठ फैलाने में शिद्दत से जुटी हुई है। ये जमात इतनी दयनीय है कि क्या ही कहें। एक तरफ अखिलेश यादव को टोंटीचोर कहती है तो दूसरी तरफ उनको हजारों करोड़ का मालिक भी बताती है। इन नव बौद्धिकों को समझ ही नहीं आता कि उनको किस स्टैंड पर खड़ा रहना है। 

ख़ैर बात काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के मौजूदा इंतज़ाम की।सैकड़ों मंदिरों को तोड़कर बनाए गए इस कॉरिडोर की भव्यता से आप भले ही चकाचौंध में हों लेकिन काशी विश्वनाथ की दिव्यता निश्चित तौर पर चोटिल हुई है। महादेव के इस दिव्य स्थान पर कारोबारियों ने अजगर की तरह नज़र गड़ा रखी थी,और कॉरिडोर के पूरा होते ही इसकी आभा, इसकी पवित्रता, इसके महात्म्य को निगलने की कोशिश शुरू कर दी है। कारोबारी ने इसका लोकार्पण किया और कारोबार ने इसे लपक लिया। काशी विश्वनाथ न्यास ने सुगम दर्शन के लिए तीन सौ रुपए फीस तय कर दिया है। पैसा फेंको, तमाशा देखो की तर्ज़ पर भगवान भोलेनाथ को बेचने का काम शुरू कर दिया गया है। ज़रा याद करिए भारत के कितने तीर्थस्थल पर दर्शन के लिए इस तरह की व्यवस्था की गई है। एक मजेदार बात और काशी विश्वनाथ के रखरखाव का “ठीका” फ़िरंगियों की कंपनी ‘अर्नस्ट एन्ड यंग’ के पास है। पंडे पुरोहितों के काम धंधे को लील गई भगवा सरकार पर भोलेनाथ की दृष्टि है।

प्रधानमंत्री  मोदी  द्वारा वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करने से एक दिन पहले, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने दावा किया कि हमारे कार्यकाल के दौरान परियोजना को मंजूरी दी गई थी और इसके दस्तावेजी सबूत मौजूद हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर अपने पिछले साढे चार साल के कार्यकाल के दौरान भेदभाव से काम करने का आरोप लगाया और कहा कि अंग्रेज फूट डालो और राज करो के मंत्र पर काम करते थे। उसी तरह भाजपा डरा कर और लोगों को मारकर राज करना चाहती है। आगामी विधानसभा चुनाव में जनता भाजपा को सबक सिखाएगी। उन्होंने कहा कि आज उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी का सवाल है। इसके अलावा पेपर लीक छात्रों पर लाठीचार्ज भर्तियों पर स्थगन आदेश के सवाल भी मौजूद हैं। शिक्षामित्र भटक रहे हैं। युवा दुखी हैं।


अखिलेश ने कहा कि लखीमपुर खीरी में किसानों पर गाड़ी चढ़ाए जाने की घटना कौन भूल जाएगा। कोविड-19 महामारी के दौरान अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी, नदियों में तैरती लाशें, बीमार अस्पताल और उनमें व्याप्त अव्यवस्थाओं को भी कोई कैसे भूल सकता है। नोटबदी के समय लोगों को लाइन में लगाने वाली सरकार को अब आगामी विधानसभा चुनाव में मतदाता वोट डालने के लिए कतार में खड़े होकर सत्ता से बाहर करेंगे।