उच्च न्यायालय का निर्देश 30 अप्रैल तक कराएं प्रधानों के चुनाव

83

उच्च न्यायालय प्रयागराज ने उत्तर प्रदेश सरकार को दिया निर्देश,17 मार्च तक आरक्षण।

प्रयागराज/लखनऊ । यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर बड़ी खबर आ रही है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस संबंध में यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि 17 मार्च तक आरक्षण का कार्य पूरा कर लें. इसके बाद 30 अप्रैल तक प्रधानों के चुनाव कराए जायें. साथ ही हाईकोर्ट ने कहा है कि 15 मई तक जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव करा लें.

साल 2015 के पंचायत चुनाव के मुकाबले इस बार प्रदेश में ग्राम प्रधानों के 880 पद कम हो चुके हैं। 2015 में राज्य में विकास खंडों की संख्या 821 थी जो बढ़कर 826 हो चुकी है, यानी ब्लॉक प्रमुख के पदों में 5 पदों की बढ़ोतरी हुई है.

दरअसल विनोद उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बुधवार को चुनाव आयोग से जवाब मांगा था. चुनाव आयोग के शेड्यूल पेश करने के बाद आयोग ने यूपी सरकार से जवाब मांगा था, जिस पर गुरुवार को सुनवाई हुई. दरअसल चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट में जो शेड्यूल पेश किया था, उसमें चुनाव मई तक होने की बात सामने आई. इस पर हाईकोर्ट ने साफ कहा कि पंचायत चुनाव मई में कराने का प्रस्ताव प्रथम दृष्टया स्वीकार नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि नियमानुसार 13 जनवरी 2021 तक चुनाव पूरे करा लिए जाने थे. हाईकोर्ट ने शेड्यूल को संवैधानिक उपबंधों के विपरीत मानते हुए अस्वीकार कर दिया.

चुनाव आयोग ने दिया था ये तर्क –

दरअसल अपने शेड्यूल में चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट को बताया कि पिछली 22 जनवरी को पंचायत चुनाव की मतदाता सूची तैयार हो गई है. यही नहीं 28 जनवरी तक परिसीमन का काम भी पूरा कर लिय गया है. लेकिन सीटों का आरक्षण राज्य सरकार को फाइनल करना है. यही कारण है कि अब तक चुनाव कार्यक्रम जारी नहीं किया जा सका है. आयोग ने बताया कि सीटों का आरक्षण पूरा होने के बाद चुनाव में 45 दिन का समय लगेगा.

सरकार ने कोरोना को बताया देरी का कारण –

हाईकोर्ट ने 15 मई तक इनडायरेक्ट यानी सभी पंचायतों के गठन का आदेश दिया है. याची ने 13 जनवरी तक पंचायत चुनाव संपन्न न कराने के चलते अर्जी दाखिल की थी. याचिका में पांच साल के भीतर पंचायत चुनाव की प्रक्रिया संपन्न न कराने को आर्टिकल 243(e) का उल्लंघन बताया था. सरकार ने कोविड के चलते पंचायत चुनाव समय से पूरा नहीं करा पाने की वजह बताई थी.
एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह और एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने सरकार का पक्ष रखा. याची की तरफ से अधिवक्ता पंकज कुमार शुक्ला ने पक्ष रखा. जस्टिस एम एन भंडारी और जस्टिस आर आर अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने ये आदेश दिया है.

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में हो रही लेटलतीफी पर आखिरकार लगाम लगती दिख रही है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पंचायत चुनावों को लेकर अहम दिशा-निर्देश जारी किए हैं. कोर्ट ने साफ कहा है कि 17 मार्च तक आरक्षण का कार्य पूरा कर लिया जाए. पंचायत चुनाव में आरक्षण का विवाद क्या है…? जानिए इस बार यह आरक्षण कैसे प्रभावित करेगा चुनाव…?

अदालत ने राज्य निर्वाचन आयोग से कहा कि 30 अप्रैल तक पंचायत चुनाव करवा लें, इसके बाद 15 मई तक जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख चुनाव भी हो जाएं. दरअसल चुनाव आयोग ने हाई कोर्ट में जो कार्यक्रम पेश किया था, उसमें चुनाव मई तक होने की बात थी. हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को भी पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण का कार्य 17 मार्च तक पूरा करने का निर्देश दिया.