जानें लखनऊ कैंट विधानसभा

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की एक विधानसभा सीट लखनऊ कैंट विधानसभा सीट है. कैंट विधानसभा सीट ऐसी सीट है, जहां भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही दल मजबूत रहे हैं. लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से सात बार भाजपा और सात बार ही कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को जीत मिली है. इस सीट पर सपा और बसपा के उम्मीदवारों को इस सीट से कभी जीत नहीं मिली है.कैंट विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो ये सीट आजादी के बाद शुरुआती साल में कांग्रेस का गढ़ रही है. इस विधानसभा सीट से 1957 में कांग्रेस के श्याम मनोहर मिश्रा, 1962 में कांग्रेस के बालक राम वैश्य, 1974 में कांग्रेस के चरण सिंह, साल 1980, 1985 और 1989 में कांग्रेस की प्रेमवती तिवारी और 2012 में कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीती थीं.


कैंट विधानसभा से बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी अनिल पाण्डेय क्षेत्र भ्रमण कर लोगों की समस्याएं सुनते हैं और उनसे उन समस्याओं को विधायक बनने के बाद निराकरण का आश्वासन भी देते रहते हैं.जनता से अपील कर रहे हैं कि ऐसा प्रत्याशी चुने जो आपके बीच आपकी समस्याओं का सुनने वाला हो.बाहर से आए प्रत्याशी की ओर या उसके बहकावे में ना अपने समस्याओं को ध्यान में रखते हुए 2022 में बहन कुमारी मायावती के हाथों को मजबूत करें और अपना विधायक नहीं बल्कि कैंट विधानसभा से अपना बेटा अनिल पांडे के रूप में चुने.ऐसा जो सदैव आपके बीच रहेगा और आपकी समस्याओं का निराकरण करता रहेगा आजादी के बाद से कैंट विधानसभा ने हमेशा कांग्रेस और भाजपा को ही मौका दिया है इस बार कैंट विधानसभा इतिहास रचने जा रहा है और यहां से संपूर्ण लखनऊ का विकास करने वाली बहन मायावती जी के प्रत्याशी एवं विधानसभा का बेटा अनिल यादव को अपना विधायक चुनेगा.

लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से भाजपा को 1991 में पहली दफे जीत हासिल की थी. 1991 और 1993 में बीजेपी के सतीश भाटिया,1996, 2002 और 2007 में सुरेश चंद्र तिवारी विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए. साल 2017 में रीता बहुगुणा जोशी जीतीं. रीता बहुगुणा जोशी के लोकसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. 2019 के उपचुनाव में भाजपा के सुरेश चंद्र तिवारी जीते थे. 1967 में जनता पार्टी के कृष्णकांत, 1969 में भारतीय क्रांति दल के सच्चिदानंद और 1977 में निर्दल उम्मीदवार बीपी अवस्थी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे.

लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से साल 2017 के चुनाव की बात करें तोभाजपा ने कांग्रेस छोड़कर पार्टी में शामिल हुईं रीता बहुगुणा जोशी को उम्मीदवार बनाया. रीता बहुगुणा जोशी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को मात दी और इस विधानसभा सीट पर कब्जा बरकरार रखा.लखनऊ कैंट विधानसभा सीट के सामाजिक ताना-बाना की बात करें तो इस सीट पर ब्राह्मण उम्मीदवार अधिक जीते हैं. अब तक 12 बार ब्राह्मण उम्मीदवार इस सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. लखनऊ कैंट शहरी इलाके की विधानसभा सीट है. यहां वोटिंग पैटर्न पर जातीय फैक्टर नजर नहीं आता. इस विधानसभा क्षेत्र में हर जाति-वर्ग के मतदाताओं की अच्छी तादाद है.लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से विधायक सुरेश चंद्र तिवारी का दावा है कि उनके कार्यकाल में इस विधानसभा क्षेत्र का चहुंमुखी विकास हुआ है. वहीं, विपक्षी दलों के नेता विधायक के दावों को हवा-हवाई बताते हुए ये कह रहे हैं कि इलाके की सभी समस्याएं जस की तस हैं. लखनऊ कैंट विधानसभा सीट के तहत कैंट, सदर बाजार, आलमबाग, आशियाना, कृष्णा नगर, चारबाग, मवैया नाका और तेलीबाग आते हैं.