बेटियों के कानूनी कवच

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बेटियों के कानूनी कवच-पिता की संपत्ति पर बेटी का हक, अनुकंपा पर मिलती है नौकरी, कहीं दर्ज करा सकती हैं FIR, जानें सभी कानूनी अधिकार ।

दुनियाभर में सरकारों ने महिलाओं के अधिकारों और हितों के संरक्षण के लिए सख्त कानून बनाए। चीन अपने यहां महिलाओं के हित में कानून में संशोधन कर रहा है। भारत में महिलाओं को संपत्ति, सम्मान और समानता के लिए विशेष अधिकार हासिल हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे एडवोकेट विक्की रस्तोगी से जानें महिलाओं के कानूनी अधिकार…

पैतृक संपत्ति पर बेटी का भी हक

पिता की जायदाद पर बेटी का भी उतना ही हक है, जितना कि बेटे का। हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 के तहत बेटी को हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली में बेटे के बराबर ही संपत्ति में अधिकार मिलेगा। विवाह के बाद भी बेटी का पित्ता की संपत्ति पर अधिकार रहता है।

अनुकंपा पर बेटियां को भी मिलती है नौकरी

पिता की अकस्मात मौत के बाद बेटियों को भी अनुकंपा पर नौकरी पाने का हक है। शादी हुई हो या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।

पिता पति से वाजिब गुजारा भत्ता

एडवोकेट विक्की रस्तोगी के मुताबिक देश में महिलाओं के गुजारा भत्ता यानी मेंटेनेंस क्लेम करने के लिए तीन कानून हैं। सीआरपीसी की धारा 125 के तहत महिलाएं पिता या पति से गुजारा भत्ता ले सकती हैं। जबकि हिंदू मैरिज एक्ट-1955 की धारा 24 और 25 के तहत कोई भी महिला अपने पति से मुआवजा मांग सकती है। प्रोटेक्शन ऑफ वुमन फ्रॉम डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट 2005′ के तहत भी महिलाएं गुजारा भत्ता ले सकती हैं।

समान वेतन का अधिकार

समान पारिश्रमिक अधिनियम के मुताबिक, वेतन या मजदूर में महिलाओं के साथ लिंग के आधार पर किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता है। यानी कि किसी काम के लिए पुरुषों को जितनी सैलरी मिलती है, महिलाओं को भी उतनी ही सैलरी लेने का पूरा हक है।

मातृत्व संबंधी लाभ लेने का अधिकार

मातृत्व अवकाश यानी मैटरनिटी लीव काम-काजी महिलाओं के लिए सिर्फ सुविधा नहीं है, बल्कि यह उनका अधिकार है। मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत एक कामकाजी महिला प्रसव के दौरान 26 हफ्ते की लीव ले सकती है। इस दौरान महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती है और फिर से काम शुरू कर सकती है।

घरेलू हिंसा के खिलाफ महिलाओं के अधिकार

इंडियन पीनल कोड की धारा 498 के तहत पत्नी, महिला लिव इन पार्टनर या घर में रह रही किसी भी महिला पर की गई घरेलू हिंसा से सुरक्षा दी जाती है। महिला खुद या उसकी ओर से कोई भी शिकायत दर्ज करा सकता है।

वर्कप्लेस पर हुए हैरेसमेंट के खिलाफ अधिकार

कार्य स्थल पर अगर किसी महिला का यौन शोषण किया जा रहा है तो इसके खिलाफ उसे शिकायत दर्ज कराने का पूरा अधिकार है। अगर कंपनी कमेटी में पीड़ित महिला को न्याय नहीं मिलता है तो वह कानूनी कार्रवाई भी कर सकती है।

स्टॉकिंग से सुरक्षा

आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश 2013 के तहत किसी महिला का पीछा करना या उससे बिना उसकी मर्जी के संपर्क स्थापित करने की कोशिश करना, बार-बार मना करने बावजूद उसे बातचीत के लिए फोर्स करने आदि पर कानूनी मदद ली जा सकती है। कोई महिला इंटरनेट पर क्या करती है, इस पर नजर रखना भी स्टॉकिंग के दायरे में आता है। स्टॉकिंग के आरोप में जेल भी हो सकती है।

अश्लील चित्रण से बचने का अधिकार

किसी महिला को अभद्र तरीके से दिखाने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। कानून के तहत महिला के शरीर से जुड़े किसी भी हिस्से को इस तरह दिखाना कि वो अश्लील लगे, दंडात्मक कार्रवाई की वजह बन सकता है।

पहचान न बताने का अधिकार

यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को समाज में किसी तरह की परेशानी न उठानी पड़े, इसके लिए उनकी पहचान छिपाए रखने का प्रावधान है। अगर पीड़िता का नाम जाहिर किया जाता है तो दो साल तक की जेल और जुर्माने का भी प्रावधान है।

गरिमा और शालीनता से रहने का अधिकार

देश में हर महिला को गरिमा और शालीनता के साथ रहने का अधिकार है। अगर किसी मामले में आरोपी महिला है तो उस की जाने वाली कोई चिकित्सा जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी महिला की उपस्थिति में ही की जानी चाहिए।

मुफ्त कानूनी मदद के लिए अधिकार

पीड़ित महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का अधिकार है। इसके लिए महिला को स्टेशन हाउस ऑफिसर को विधिक सेवा प्राधिकरण को वकील की व्यवस्था करने के लिए सूचित करना होगा।

देश में कहीं से भी एफआईआर करने का अधिकार

एडवोकेट विक्की रस्तोगी बताते हैं कि कोई भी महिला अपने खिलाफ हुए किसी भी तरह के अपराध के लिए देश के किसी भी हिस्से में जीरो एफआईआर के तहत शिकायत दर्ज करा सकती है। इसके अलावा, वर्चुअल तरीके से भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। ऐसा उस परिस्थिति में जहां महिलाएं स्वयं थाने तक जाने में सक्षम नहीं हैं।

रात में नहीं हो सकती गिरफ्तारी

अगर कोई विशेष कारण न हो तो किसी भी महिला को सूरज ढलने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। गिरफ्तारी के लिए मजिस्ट्रेट महिला कांस्टेबल का होना अनिवार्य है। महिला कांस्टेबल की उपस्थिति में ही आरोपी महिला से पूछताछ की जा सकती है।