आओ टोल टोल खेलते हैं

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आओ टोल टोल खेलते हैं अरे नहीं इसका खेल समझते हैं….

नितिन गड़करी जी के अनुसार आने वाले एक वर्ष में देश से सभी टोल प्लाज़ा हटा दिए जाएँगे टोल का कलेक्शन सीधे GPS +फ़ास्टटैग + बैंक अकाउंट की सहायता से किया जाएगा । मंत्री जी के अनुसार इस नये क्रांतिकारी बदलाव के कारण टोल टैक्स पर लगने वाले समय और तेल की बचत होगी ।

है ना शानदार ख़बर ..?

पर रुकिए ….. ठहरिए । क्या सच में ऐसा होने जा रहा है या इसमें कुछ और झोल है ..?

देश में फ़ास्ट टैग अनिवार्य हुए कुछ ही महीनें हुए हैं और अब देश के ज़्यादातर टोल प्लाज़ा बिना लाइन के ही मिलते हैं क्यूँकि फ़ास्ट टैग अपने आप में ही बहुत तेज सिस्टम है और कैश वाले सिस्टम से कंपेयर करें तो फ़िर यह कई गुना बेहतर सिस्टम है । फ़िर ऐसे में मंत्री जी टोल प्लाज़ा हटाने की बात क्यूँ कह रहे हैं ..?
चलो समझते हैं यह पूरी कहानी ।

गड़करी जी ने वाहन चालकों से वसूली का एक ब्रह्मास्त्र चला दिया है । ब्रह्मास्त्र इसलिए क्यूँकि टोल प्लाज़ा हटने और समय बचने की लुभावनी घोषणा के बाद देश का हर पढ़ा लिखा आदमी भी वाह वाह करेगा , हमने भी किया ।

लेकिन सुनिए, यह टोल प्लाज़ा ख़त्म करने की योजना नहीं बल्कि अब हर एक किलोमीटर के लिए भी हाइवे के इस्तेमाल करने को चार्जेबल करने की वृहद् योजना है ।

कैसे ..? पूरा पढ़िए ।

हाइवे को निज़ी हाथों में सोंपने के समय शुरूआती नीति थी कि हर सौ किलोमीटर के बाद टोल प्लाज़ा बनाए जाएँगे ।

फ़िर नेताओं और कम्पनियों को लगा कि 0 से 99 kms तक चलकर अगर कोई वाहन हाइवे छोड़ देता है तो वह बिना टोल दिए ही चला गया

आधुनिक भारत कि जनता कि सरकार ने दो टोल प्लाज़ा के बीच की दूरी 60 किलोमीटर कर दी ।

वर्तमान में जनता हितैषी सरकार की मेहरबानी से दो टोल प्लाज़ा 35 KM की दूरी पर भी स्थापित किए जा सकते हैं । उदाहरण आपके आस पास ही बहुत हैं सो ख़ुद जाँच लें ।

अब सरकार को पूंजीपतियों के कहने पर 35 kms तक फ़्री चलने से भी ऐतराज़ होने लगा है । उदाहरण के लिए भरतपुर से फ़तेहपुर सीकरी के बीच हज़ारों वाहन रोज़ निकलते हैं लेकिन टोल देने की अनिवार्यता से बचे हुए हैं । ऐसा ही हाल आगरा के दक्षिणी बाई पास का है जहां 30kms तक आराम से बिना टोल दिए चला जा सकता है ।लोनी से किशनपुर बराल तक, गाजियाबाद से दौराला तक, हाईवे पर चलने वाले टोल टैक्स नहीं देते । अब बताइए यह कोई इंसाफ़ हुआ टोल कम्पनी के साथ ..? राष्ट्रवादी सरकार है सो टोल कम्पनी के हर हित का ख़याल रखना इनकी ज़िम्मेदारी है सो अब टोल कलेक्शन को सीधे गाड़ी के GPS + फ़ास्ट टैग + आधार से लिंक्ड बैंक अकाउंट से जोड़ा जा रहा है ।

हमारे पास विदेशों में हाईवे पर चलने का जितना अनुभव है उसके लिहाज़ से कहूँ तो आने वाले समय में टोल प्लाज़ा तो नहीं हटेंगे लेकिन हर पाँच किलोमीटर की दूरी पर वाहनों की स्पीड और नंबर को नोटिस करने वाले राडार लगाए जाएँगे । वह राडार इतने शक्तिशाली होते हैं कि हर वाहन के नम्बर प्लेट को रीड कर पाते हैं । आने वाले कुछ ही महीनों में केवल हाईटेक नम्बर प्लेट अर्थात् HSRP ही वैलिड मानी जाएँगी सो हर वाहन की नम्बर प्लेट उस राडार के अनुसार रीडेबल होगी । हर प्लेट वैलिड ID के साथ मिलेगी सो साफ़ है कि वाहन के नम्बर मात्र से ही वाहन स्वामी और उनके आधार नम्बर तक ट्रैकिंग की जा सकेगी । सो जिस तरह से किसी रूल के उल्लंघन पर ट्रैफ़िक पुलिस हमें नोटिस भेजती थी ठीक उसी तर्ज़ पर टोल कम्पनी टोल वसूली करेगी । सो तैयार रहिए हर पाँच किलोमीटर चलने के बाद पंद्रह – बीस रुपए + GST अपने बैंक खाते से कटवाने के लिए ।

एक और ग़ज़ब बात पता है आपको …? ग़ज़ब यह है कि टोल प्लाज़ा फ़िर भी नहीं हटेंगे क्यूँकि टोल कम्पनी को डर रहेगा कि आपने GPS सिस्टम को बाई पास किया है सो वहाँ ऑटमैटिक गेट्स बने रहेंगे ।

सबसे ज्यादा अचरज कि बात यह है कि यह कानून बनाने वाले, इसको लागू करने वाले, न्यायालय वाले टोल टैक्स देते हि नहीं ।