महात्मा गाँधी और बलरामपुर जनपद

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शिवकुमार

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”इस समाचार को सुने”] बलरामपुर (1929 मे गोण्डा जिला)स्वतंत्रता आन्दोलन के समय गोण्डा जनपद का एक प्रमुख राजनैतिक केन्द्र रहा है। महात्मा गाँधी के बलरामपुर दौरे का श्रेय ‘मौलवी जमा खान’ तथा ‘श्री भगवती प्रसाद’ को हैं, जिनके प्रयास से महात्मा गाँधी ने बलरामपुर की यात्रा की, परन्तु दोनो कार्यकर्ताओ के समक्ष जटिल समस्या थी कि महात्मा गाँधी को कोष का थैला कहा से एकत्र करके दिया जाये। उनकी अपनी आर्थिक स्थिति शोचनीय थी। इस प्रकार वे पूर्ण व्यवस्था करने में असमर्थ थे। मौलवी जमा खाँ ने बलरामपुर की जनपद को इस पुनीत कार्य के लिए बहुत प्रेरित किया। उन्होंने लोगों को नाटकीय ढंग से प्रभावित करने का प्रयास किया । धीरे-धीरे सम्पूर्ण घटनाओं की सूचना बलरामपुर की महारानी तथा महाराजा तक पहुंचा दी गई। उस समय यह रियासत “कोर्ट ऑफ आईस” के अन्तर्गत थी। जिस समय बलरामपुर की महारानी से महात्मा गाँधी के स्वागत के विषय में पूछा गया उस समय महारानी ने गवर्नर से टेलीग्राफ पर परामर्श किया। अन्त मे गवर्नर ने गाँधी जी के स्वागत तथा उन्हें सुविधा प्रदान करने की आज्ञा प्रदान कर दी।

गवर्नर की आज्ञा प्राप्त होते ही बलरामपुर के राजा ने एकत्र किये जा रहे कोष में धन देना स्वीकार कर लिया। गाँधी जी के ठहराने का प्रबंध यूरोपीयन गेस्ट हाउस मे किया गया| इस अतिथि गृह को उस अवसर पर गद्दर से सजा दिया गया था।कुवानों के वृक्ष के पास भव्य जन समारोह का आयोजन किया गया । इस समारोह में सर्वप्रथम महाराजा पटेश्वरी प्रसाद सिंह ने महात्मा गाँधी का स्वागत किया तथा उन्हें 4000 हजार रूपये की थैली प्रदान की।बलरामपुर मे ही महिलाओं ने भी महात्मा गाँधी को 2000 हजार रुपये की थैली तथा आभूषण भेट स्वरूप प्रदन किया । महात्मा गाँधी की इस सम्पूर्ण यात्रा से सम्पूर्ण जिले में चेतना की एक नई लहर फैल गई। गाँवों, कस्बो तथा दूर दूर के देहातों से लाखों की संख्या में लोग महात्मा गाँधी का दर्शन करने तथा उनका भाषण सुनने आते थे।

यात्रा का प्रभाव—-

महात्मा गाँधी की इस यात्रा का विशेष रूप से उन लोगो पर काफी गहरा प्रभाव पडा जिन लोगों ने आगे राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लिया। महात्मा गाँधी जी की इस यात्रा का इतना प्रभाव पड़ा कि आने वाले वर्षों में उन्होंने स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए जितने भी आन्दोलन चलाये बलरामपुर ( 1929 में गोण्डा) जनपद ने उसमें पूर्ण सहयोग प्रदान किया। इस प्रकार बलरामपुर( गोण्डा) जनपद राष्ट्रीय अन्दोलन में पहले से भी अधिक सक्रिय बन गया। [/Responsivevoice]

श्रोत- व्यक्तिगत अभिलेखागार पुस्तकालय लखनऊ। Acc. No. 1274