ममता को अब हुआ दर्द का अहसास

83

ममता बनर्जी को अब हुआ शरीर के दर्द का अहसास।काश! इस दर्द का अहसास तब होता,जब संघ और भाजपा के कार्यकर्ताओं का कत्लेआम हो रहा था।ममता बनर्जी राजनीतिक पाखंड कर रही हैं।मौके पर मौजूद लोगों ने ममता पर हमले के आरोप को नकारा। क्या ममता अब केन्द्र की सुरक्षा लेंगी…?

एस0 पी0 मित्तल

पश्चिम बंगाल – पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 10 मार्च से ही कोलकाता के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हैं। डॉक्टरों ने ममता को विश्राम की सलाह दी है। ममता का आरोप है कि 10 मार्च को जब वे नंदीग्राम में नामांकन दाखिल करने गई थीं, तब उन पर हमला किया गया। मुख्यमंत्री के सुरक्षा घेरे में रहते हुए ममता पर हमला कैसे हुआ यह तो कांग्रेस के पाखंड वाले बयान से समझा जा सकता है। लेकिन यह सही है कि ममता के पैर में चोट लगी हैं और उन्हें शरीर के दर्द का अहसास हो रहा है।

शरीर के किसी भी अंग में दर्द हो तो व्यक्ति परेशान होता है। एक कांटा भी चुभने से दर्द का अहसास होता है। लेकिन काश! ममता बनर्जी को शरीर के दर्द का अहसास तब होता जब उनकी पार्टी के कार्यकर्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के कार्यकर्ताओं का कत्लेआम कर रहे थे। संघ और भाजपा के कार्यकर्ताओ को सार्वजनिक स्थलों पर बेरहमी से मारा गया। सैकड़ों जख्मी कार्यकर्ता अपने दर्द की गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ममता की पार्टी के कट्टरपंथी कार्यकर्ताओं ने पश्चिम बंगाल में कितनी गुंडागर्दी मचाई है, इसे बंगाल की जनता अच्छी तरह समझती है। यदि ममता बनर्जी में थोड़ी सी भी संवेदनशीलता होती तो संघ और भाजपा के जख्मी कार्यकर्ताओं के दर्द को समझती।

चूंकि सत्ता के नशे में ममता ने कत्लेआम का दर्द भी नहीं समझा, इसलिए अब भाजपा की घोर विरोधी कांग्रेस भी ममता के दर्द को नहीं समझ रही है। बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष और लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ममता नंदीग्राम से हार रही हैं, इसलिए ममता बनर्जी राजनीतिक पाखंड कर रही है। अस्पताल में भर्ती होने और पैर में प्लास्टर बंधने वाले फोटो मीडिया में जारी कर ममता बनर्जी सहानुभूति के वोट लेना चाहती है। लेकिन बंगाल की जनता अब ममता के इस राजनीतिक पाखंड को अच्छी तरह समझती है।

ममता ने हमले वाले बयान पर कांग्रेस ने जो तीखी प्रतिक्रिया दी है उसके बाद भाजपा के नेताओं की प्रतिक्रिया कोई मायने नहीं रखती है। सवाल उठता है कि जो ममता बनर्जी हमेशा बंगाल पुलिस के 300 सुरक्षाकर्मियों से घिरी रहती हैं, उन ममता पर दिन दहाड़े हमला कैसे हो गया? ममता की सुरक्षा में हमेशा चार आईपीएस भी तैनात रहते हैं। सवाल उठता है कि हमले के समय आईपीएस और 300 सुरक्षाकर्मी क्या कर रहे थे?

मौके पर मौजूद लोगों की बात माने तो नामांकन के बाद ममता जब कार में बैठी थीं, तब दरवाजा खुला था और ममता का बायां पैर नीचे लटक रहा था, तभी टीएमसी के कार्यकर्ताओं की धक्का मुक्की से दरवाजे पैर से टकरा गया। इसी वजह से पैर में चोट आई, लेकिन प्रशांत किशोर जैसे पेशेवर सलाहकारों की सलाह पर ममता ने पैर की चोट को हमले की शक्त में बदल दिया, लेकिन प्रशांत किशोर बताएं कि क्या ममता बनर्जी की सुरक्षा करने में बंगाल पुलिस विफल हो गई है?

यदि बंगाल पुलिस अपनी मुख्यमंत्री की सुरक्षा नहीं कर सकती है तो पुलिस की योग्यता पर सवाल उठते है। यदि इतनी सुरक्षा के बाद भी ममता पर हमला हो जाए तो फिर ममता को केंद्रीय सुरक्षा बलों की जरूरत है। सवाल उठता है कि ममता केन्द्र की सुरक्षा लेंगी? हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ममता को जेड़ प्लस सुरक्षा देने का प्रस्ताव रखा है।