चुनावी दंगल शुरू: पहलवान लगे मुगदर भांजने

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मधुकर त्रिवेदी

उत्तर प्रदेश में चुनावी दंगल के लिए अखाड़ों में पहलवान दंड बैठक करने लग गए हैं। मैदान में छोटे-ंउचयबड़े कई दल हैं जो अपने-ंउचयअपने दावे ठोक रहे हैं।किन्तु महाभारत युग के कुरूक्षेत्र में जैसे कौरव-ंपांडव के बीच मुख्य संघर्श था उसी तरह प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा के मुकाबले विपक्षी समाजवादी पार्टी ताल ठोंक रही है। कांग्रेस पुराना राष्ट्रीय दल है पर इन दिनों लस्त-पस्त है। मैदान के दो महारथियों का साथ निभाने को छोटे-ंछोटे कई दल मौजूद हैं। भारतीय जनता पार्टी के पास एक मजबूत संगठन के साथ स्टार प्रचारकों की एक बड़ी फौज है। आरएसएस उसके पीछे की ताकत है। भाजपा ने चुनाव घोशणा से पहले ही अपने कील कांटे दुरूस्त करना षुरू कर दिया है। मोदी-ंयोगी जी की जोड़ी धड़ाधड़ लोकार्पण और उद्घाटन कर रही है। चुनावी रणनीति बनाने के लिए गृहमंत्री अमित शह हैं। प्रदेष अध्यक्ष जी की टीम विपक्ष पर बयान पर बयान के तोप के गोले दाग रही है। भाजपा के सबसे बड़े स्टार हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी जो भीड़ को सम्मोहित करने की कला के सबसे बड़े जादूगर हैं। उनके दौरों का कार्यक्रम बन रहा है।


भाजपा के पास दावों की सीरीज है। भाजपा नेताओं की मानें तो उन्होंने उत्तर प्रदेश को भयमुक्त कर दिया है, भ्रश्टाचार पर लगाम लगा दी है और हर तरफ विकास की बहार चल रही है। तमाम योजनाओं से गरीबों की जिंदगी संवर गई है। नियुक्तियां पारदर्शी हैं, रिष्वत बंद है। परिवारवाद हवा हो गया है। गरीब परिवारों को उज्जवला रसोईगैस, शोचालय, आवास बांटे गए हैं। किसानों को अलग से धन मिल रहा है। कृशि सुधार के लिए तीन नए कृशि कानून हैं, एमएसपी पर किसानों की फसल खरीदी जा रही है। राज्य कर्मचारियों को बोनस बंट रहा है। उत्तर प्रदेश राम,कृष्ण और शिव का प्रदेश है। राम की अयोध्या में लाखों दीपों की दीपमालिका सजती है। भव्य राममंदिर बन रहा है। मथुरा और काशी को संवारा जा रहा है। कई जनपदों में धर्मस्थलों को पर्यटन स्थल बनाया जा रहा है। जिलों के विषेश उत्पादों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। महिलाओं की सुरक्षा के विषेश प्रबंध है। स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के दावे हैं। कोरोना से बखूबी निपटने के साथ टीकारण में रिकार्ड बनाया गया है। भाजपा राज में दंगे नहीं हुए हैं। भाजपा के निषाने पर मुख्यतया समाजवादी पार्टी है। परन्तु बसपा और कांग्रेस पर भी उसके तीर चलते रहते हैं। बताया जाता है कि इनके राज में न निश्पक्षता थी, न पारदर्षिता थी और नहीं अपराधियों पर अंकुष था। उल्टे अपराधियों को संरक्षण मिलता था। विकास कार्यों में भ्रश्टाचार होता था। किसानों को विपक्षी बरगला रहे है। सरकार ने गन्ने की काफी बकाया अदा कर दिया है। बिजली की व्यवस्थाएं सुधरी है। विपक्ष में समाजवादी पार्टी ही भाजपा के मुकाबले में दिखती है। भाजपा सरकार के खिलाफ सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेष यादव ही सबसे मुखर होकर बोलते है। वे भाजपा के तमाम दावो को धुएं के हवाले कर देते हैं। वे तीन नए कृशि कानूनों से किसानों की होने वाली दर्दषा की बातें करते हैं।

किसान की आय दुगनी करने के वादे का क्या हुआ? किसान को एमएसपी कहां मिली? खाद की किल्लत में किसान की जानें भी जा रही हैं। नौजवान को नौकरी कहां मिली है? बाहर से पूंजीनिवेष कब कितना आया? बिजली उत्पादन एक यूनिट नहीं हुआ। समाजवादी पार्टी अपने काम गिनाती है। आगरा-ंउचयलखनऊ एक्सप्रेस-ंउचयवे जिस पर वायुसेना के विमान भी उतर चुके हैं। लखनऊ में मेट्रो चल रही है। कैंसर अस्पताल, इकाना स्टेडियम, रिवरफ्रंट, जनेष्वर मिश्र पार्क, जेपी इन्टरनेशनल सेंटर के निर्माण गिनाने के साथ वे कोरोना काल में सरकार पर जनता को अनाथ छोड़ने और अपने दल की ओर से पलायन कर रहे श्रमिकों की मदद करने का दावा करते हैं। अखिलेश जी ने 400सीटों पर जीत का दावा किया है तो भाजपा नेता 300 पार के दावेदार हैं। जबसे प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेष की प्रभारी बनी हैं और श्री अजय कुमार लल्लू प्रदेष अध्यक्ष बने हैं धरना-ंउचय प्रदर्षन के जरिए कांग्रेस को फिर खड़ा करने की कोषिषें होने लगी हैं। खुद प्रियंका जी हर बड़ी घटना में पीडि़त परिवारों से मिलने जाती है। सरकारी रोकटोक की परवाह नहीं करती हैं। वैसे कुछ और दल भी हैं जो जब तब ताल ठोंककर नेपथ्य में चले जाते हैं।


हैदराबाद के ओवैशी साहब बिहार और पष्चिम बंगाल के बाद उत्तर प्रदेष में अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं। आम धारणा है कि वे भाजपा के लिए काम करते हैं पर वे कहते है कि वे मुस्लिमों के सषक्तीकरण के लिए काम कर रहे हैं। कभी मुस्लिमों की हमदर्दी में पीस पार्टी भी चुनाव लड़ती थी, अब वह नाम लेने भर के लिए है। सुभासपा के श्री ओम प्रकाश राजभर कई दरवाजे खटखटाने के बाद समाजवादी पार्टी के साथ हो गए हैं। जनवादी पार्टी और महान दल सपा के साथ है तो अपना दल और निशाद पार्टी भाजपा से जुड़े हैं।


सपा से टूटी प्रसपा (लोहिया) का अपना दावा है कि इस बार सत्ता की ‘चाबाी‘ उसके हाथ में ही रहेगी। राष्ट्रीय लोकदल सपा के साथ है जिसका पष्चिमी उत्तर प्रदेश में अच्छा प्रभाव है। किन्तु उसके अध्यक्ष श्री जयंत चौधरी अपनी अलग पहचान बनाने में भी लगे हैं और अंत में मौसम बदलने के साथ राजनीति में भी मौसम विज्ञानी सक्रिय हो जाते हैं। आयाराम-ंउचयगयाराम का खेल षुरू हो जाता है। एक दल से निराश दूसरे दल में तलाशने निकल पड़ते हैं। भाजपा और सपा में आए दिन आने-ंजानेवालों की फोटो छपती रहती है। इनमें से कितने पार्टी के साथ निश्ठावान रहेंगे, कितने टिकट के लिए फिर पाला बदल लेंगे, यह कहना कठिन नही है। खैर, अब कुछ ही महीने बचे हैं, पहलवान अपने-ंअपने मुगदर सम्हालेंगे, रैली, रथयात्रा, साइकिल यात्रा, जाति सम्मेलन, आरोप-ंप्रत्यारोप की नाटक-ंनौटंकी भी खूब होगी, जिसका मजा मतदाता जरूर लेंगे।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार तथा समाजवादी विचारक हैं)