नेताजी एक व्यक्ति मात्र नही, वो एक आन्दोलन थे

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अनुराग यादव

हम सन् 2000 से पहले पैदा हुए लोगों ने एक शताब्दी और एक सहस्त्राब्दी को बदलते देखा है और हमारा सौभाग्य कि नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव जी के रूप में हमने एक आन्दोलन देखा है, एक युग देखा है, एक युगांतर देखा है। इस युग की जब भी बात होगी इसके घटकों में सबसे पहला नाम नेताजी जी का नाम होगा।मेरा सौभाग्य है कि मैने नेताजी के परिवार में जन्म लिया। मेरे पिताजी श्री अभयराम जी नेताजी से छोटे रहे और नेताजी उनके लिये पितातुल्य। हम नेताजी को ‘दाउ’ बुलाते थे। नेताजी जो कि शिक्षक थे और अब करोड़ों लोगों के गुरु हो चले थे हर मुलाकात में कुछ सिखाते थे। उनकी बातों में तटस्थता और व्यावहार में स्थिरता में लोहिया जी और जयप्रकाश नारायण जी जैसों की संगत का अनुभव झलकता था।ऐसे ही एक मौके पर नेताजी से जब मैंने प्रश्न किया कि आपके अनुसार अपने वोटर को समझने का मूलमंत्र क्या है तो नेताजी ने बड़ा सटीक उत्तर दिया जो मुझे कभी नही भूलेगा। नेताजी ने जवाब दिया “वोटर को समझना स्वयं को समझने जैसा है, ये अपने आप में एक ज्ञान प्राप्त हो जाने जैसा है क्योंकि तुम वही हो जो तुम्हारा वोटर है और जो तुम्हारा वोटर है, तुम वही हो”।मैं स्तब्ध था, और नेताजी ने ठहाका लगाते हुए कहा “समझ न आई”?हालाकि ये एक पहेली जैसा था मगर समझ में आता था लेकिन मेरे प्रबोधन के लिये नेताजी ने इसे स्वयं स्पष्ट किया “देखो, हमें लगता है कि हम स्वयं को जानते हैं मगर जब हम अपना स्वयं का विश्लेषण करते हैं गंभीरता से, हमें पता लगता है कि हम कहाँ से आये हैं, वहां की बोली क्या है, वहां के लोगों की पसंद-नापसंद क्या है और जब हमे ये ज्ञान बोध हो जाता है तो हम अपने व्यक्तिव को उसके अनुसार ढाल लेते हैं और हमारा वही रुपांतर हमारी दिशा परिवर्तित कर देता है, तब हम अपना वोटर पहचान जाते हैं और हमारा वोटर हमें”।नेताजी की दी हुई ये शिक्षा मैं आजीवन नही भूल सकता और आज इसे अपने साथियों के संग साझा कर रहा हूं ये आशा करते हुए कि ये उनके राजनीतिक जीवन को नई दिशा एवं दशा देगी। नेताजी आज हमारे साथ भले ही न हों मगर उनके दिये संस्कार हम समाजवादियों की विरासत हैं और सदा सत्य, समर्पण और सेवा के पथ पर हमारा मार्गदर्शन करेगी। ईश्वर नेताजी की पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे।