कुनो नेशनल पार्क में नौवें चीते की मौत

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कुनो नेशनल पार्क में नौवें चीते की मौत
कुनो नेशनल पार्क में नौवें चीते की मौत

कुनो नेशनल पार्क में नौवें चीते की मौत पर एकबार फिर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बोला हमला.अब केवल 15 चीते जिंदा बचे है,लगतार चीतो के मौत के कारण इस प्रोजेक्ट पर फिर सवाल खड़े हो रहे है चीतो की मौतो पर सुप्रीम कोर्ट भी चिंता व्यक्त कर चुका है.

अजय सिंह
अजय सिंह

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 2 अगस्त को एक और चीते ने दम तोड़ दिया. मार्च से अब तक 9 चीतों की मौत हो चुकी है. मादा चीता धात्री सुबह मृत पाई गई. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कुनो नेशनल पार्क में हो रही चीतों की मौत पर एक बार फिर हमला बोला. उन्होंने आठवें चीते की मौत पर भी बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लिया था. अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि चीतों का राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के बाद कोई ख्याल नहीं रखा गया. अब एक बार फिर उन्होंने नौवें चीते की मौत पर सवाल उठाए.शिवपुरी जिले और श्योपुर की सीमा पर स्थित कूनो नेशनल पार्क से फिर एक दुखद खबर मिल रही है कि पिछले 2 दिन से लापता मादा चीता ‘धात्री’ (टिबलिसी) की मौत हो गई है. अभी तक कूनो में 9 चीते की मौत हो चुकी है. अब केवल 15 चीते जिंदा बचे है,लगतार चीतो के मौत के कारण इस प्रोजेक्ट पर फिर सवाल खड़े हो रहे है चीतो की मौतो पर सुप्रीम कोर्ट भी चिंता व्यक्त कर चुका है वही यह मामला संसद में उछला था।जानकारी के मुताबिक ‘धात्री’ का शव कूनो के बाहरी इलाके में मिला. अभी तक मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है.

चीतों की हो रही मौत पर अखिलेश यादव ने उठाए सवाल

अखिलेश यादव ने कहा कि चीतों को सरकार की शक्ति का प्रतीक मानकर बीजेपी प्रचार-प्रसार करने में जुटी थी. लेकिन चीतों की हो रही मौत से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब हो रही है. बता दें कि चीता प्रोजेक्ट के तहत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से दो चरणों में 20 चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाकर बसाया गया था. चीतों का पहला जत्था पिछले साल सितंबर और दूसरा जत्था इस साल फरवरी में भारत लाया गया. 27 मार्च को नामीबिया से लाई गई मादा चीते साशा की किडनी में संक्रमण की वजह से मौत हो गई थी.

मार्च से अब तक कूनो नेशनल पार्क में मौत का नौंवा मामला

जुलाई में नर चीते सूरज की मौत के बाद आंकड़ा बढ़कर आठ हो गया था. अखिलेश यादव ने चीते की आठवीं मौत पर भी चिंता जताई थी. मार्च के बाद से मादा चीतों में एक धात्री (तिब्लिसी) की मौत का नौंवा मामला है. प्रधान मुख्य वन संरक्षक असीम श्रीवास्तव का कहना है कि मौत की वजह का पता लगाने के लिए पोस्टमार्टम कराया जा रहा है. देश में जंगली प्रजाति के विलुप्त होने पर 70 साल बाद चीतों को फिर से लाया गया. चीता परियोजना के तहत आठ नामीबियाई चीतों में पांच मादा और तीन नर को पिछले साल केएनपी के बाड़ों में छोड़ा गया था. फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते कूनो नेशनल पार्क में बसाए गए थे.