फाइलेरिया मुक्त होने की राह पर सात और जनपद

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UP होगा फाइलेरिया मुक्त
UP होगा फाइलेरिया मुक्त

फाइलेरिया मुक्त होने की राह पर सात और जनपद। नाइट ब्लड सर्वे की रिपोर्ट पर लिया गया फैसला। 10 फरवरी से 17 जिलों में चलेगा एमडीए राउन्ड। फाइलेरिया मुक्त होने की राह पर सात और जनपद

लखनऊ। यूपी में छह और जनपद फाइलेरिया मुक्ति की राह पर हैं। यह जिले हैं अंबेडकरनगर, जालौन, मऊ, भदोही, चित्रकूट और महोबा। इन जनपदों में पिछले वर्ष फरवरी में सर्वजन दवा सेवा (एमडीए) राउन्ड के बाद नाइट ब्लड सर्वे (एनबीएस) हुआ। इस रिपोर्ट के आधार पर इस बार के एमडीए राउन्ड में इन जिलों को बाहर कर दिया गया है। फाइलेरिया मुक्ति के लिए 10 फरवरी में जिन 17 जिलों में अभियान चलेगा। वह हैं अमेठी, आजमगढ़, बलिया, बांदा, बाराबंकी, बरेली, हमीरपुर, जौनपुर, जालौन, लखनऊ, पीलीभीत, शाहजहांपुर, प्रयागराज, प्रतापगढ़, सोनभद्र, उन्नाव और वाराणसी हैं।

पिछले वर्ष फरवरी में जिन 18 जिलों में अभियान चला था। वह हैं अमेठी, अयोध्या, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, बलिया, बांदा, बाराबंकी, हमीरपुर, जालौन, लखनऊ, पीलीभीत, शाहजहांपुर, मऊ, सोनभद्र, जौनपुर, भदोही, चित्रकूट और महोबा। पिछली वर्ष की तुलना में अमेठी, आजमगढ़, बलिया, बांदा, बाराबंकी, बरेली, हमीरपुर, जौनपुर, जालौन, लखनऊ, पीलीभीत, शाहजहांपुर और सोनभद्र तो वही हैं। जबकि इस बार अंबेडकरनगर, जालौन, मऊ, भदोही, चित्रकूट और महोबा हटाकर इनके स्थान पर जौनपुर, प्रयागराज, प्रतापगढ़, उन्नाव और वाराणसी नए जनपद जोड़े गए हैं। गत वर्ष की तुलना में इस बार के एमडीए राउन्ड में बाहर होने वाले छह जिलों में अब ट्रांसमिशन असेस्मेंट सर्वे (टास) किया जाएगा। इसमें भी नेगेटिव रिपोर्ट आने पर जनपदों को पूरी तरह फाइलेरिया मुक्त घोषित कर दिया जाएगा। वर्तमान में प्रदेश में फाइलेरिया प्रभावित 50 जिले हैं। प्रदेश में वर्तमान में लिम्फ़ोडिमा के 95097 मरीज हैं। इसमें 24207 मरीज हाइड्रोसील के हैं।

यहां चलेगा अभियान

इस बार कुल 17 जनपदों में कुल 10 जिलों में त्रिपल ड्रग और 7 जिले में डबल ड्रग का सेवन कराएंगे। त्रिपल ड्रग वाले जिले हैं अमेठी, आजमगढ़, बांदा, बाराबंकी, बरेली, लखनऊ, प्रतापगढ़, प्रयागराज, उन्नाव और वाराणसी। जबकि बलिया, हमीरपुर, जालौन, जौनपुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर और सोनभद्र में डबल ड्रग का सेवन कराया जाएगा। डॉ. रमेश सिंह ठाकुर, संयुक्त निदेशक, फाइलेरिया ने बताया कि 10 फरवरी से शुरू होने वाले एमडीए राउन्ड की तैयारियां चल रही हैं। स्वास्थ्य टीम और फ्रंट लाइन कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस अभियान के तहत यह टीम घर-घर जाकर अपने सामने दवा खिलाएगी।

यह भी जानें….

• फाइलेरिया मच्छर जनित रोग है और किसी को कभी भी हो सकता है।
• यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति को विकलांग बना सकती है। इसका संक्रमण अक्सर बचपन में ही हो जाता है।
• इस बीमारी के लक्षण 10 वर्ष से 15 वर्ष बाद दिखते हैं।
• यह न तो आनुवंशिक या पुस्तैनी बीमारी हैं न ही गर्भवस्था या पूर्णिमा व अमावस्या में उभरने वाली बीमारी है।
• यदि कोई व्यक्ति इससे प्रभावित होता हैं तो न सिर्फ वह बल्कि उसका पूरा परिवार आर्थिक सामाजिक व भवानात्मक अवनती झेलता है।
• फाइलेरिया रोग किसी भी व्यक्ति को आर्थिक या सामाजिक रूप से कमजोर बना देता है।
• एमडीए के दौरान दवाई खाकर जीवन भर के लिए इस बीमारी से बचाव संभव है।
• शरीर में माइक्रोफाइलेरिया होने पर इस दवा के प्रतिकूल प्रभाव दिख सकते हैं जो कुछ देर बाद स्वतः ठीक हो जाते हैं।
• यह दवा सुरक्षित है। खुद खाएं और दूसरों को भी दवा खाने के लिए प्रेरित करें।
• फाइलेरिया रोधी दवा अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर भी जाकर खा सकते हैं।
• यह दवा गर्भवती, दो वर्ष से कम उम्र और गंभीर बीमारी से ग्रस्त लोगों को नहीं खानी है।
• फाइलेरिया का कोई इलाज संभव नहीं है लेकिन इससे बचाव संभव है।
• 10 फरवरी से 28 फरवरी तक स्वास्थ्य टीम घर-घर जाकर दवा खिलाएगी। फाइलेरिया मुक्त होने की राह पर सात और जनपद