जनगणना के धर्म संबंधी आंकड़े जारी, जाति के लिए आनाकानी-लोटन राम निषाद

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अजय सिंह

लखनऊ। आंकड़ों के अनुसार 2011 में देश की कुल आबादी एक अरब 21 करोड़ थी। इसमें से हिन्‍दुओं की आबादी 79.8 फीसदी यानी 96.63 करोड़ थी,वहीं मुस्लिमों की आबादी 14.2 फीसदी थी। सेन्सस-2011 की रिपोर्ट के अनुसार हिंदुओं की आबादी 0.7 फीसदी घटी थी,जबकि मुस्लिम आबादी में अल्प वृद्घि यानी 0.8 फीसदी बढ़ी है।3जुलाई,2015 को रजिस्ट्रार जनरल ऑफ सेंसस ने 2001 से लेकर 2011 तक धार्मिक आधार पर जनगणना के आंकड़े जारी किए। इन आंकड़ों के मुताबिक एक दशक में देश की आबादी 17.7 फीसदी बढ़ी थी।

अलग-अलग संप्रदाय की बात की जाए तो हिंदुओं की आबादी 16.8%, मुस्लमानों की 24.6%, ईसाइयों की 15.5%, सिखों की 8.4%,बौद्धों की 6.1% और जैनियों की आबादी में 5.4 फीसदी बढ़ी थी। आंकड़ों के अनुसार इस देश की कुल जनसँख्या में हिंदुओं की कुल आबादी 96.63 करोड़ और मुस्लिमों की 17.22 करोड़ थी। जैनों की आबादी 45 लाख बताई गई थी। धर्म आधारित आंकड़े जारी होने के बाद अब लोगों को इंतजार है जाति आधारित आंकड़ों का, जिसको लेकर सरकार देरी करते करते जारी करने से पीछे हट गई । जबकि धर्म आधारित जनगणना के बारे में आलोचकों का कहना है कि यह गलत समय पर जारी किया गया आंकड़ा है।

क्योंकि उस समय बिहार विधानसभा चुनाव होने वाले थे और इन आंकड़ाें को लेकर सियासत गरम करने के उद्देश्य से किया गया। आलोचकों का कहना है कि अगर धर्म आधारित आंकड़े जारी कर दिए गए तो जाति आधारित क्यों नहीं किए गए।

धर्म आधारित जनगणना के आंकड़े जारी हो गए हैं। आंकड़ों के अनुसार 2011 में देश की कुल आबादी एक अरब 21 करोड़ थी। इसमें से हिन्‍दुओं की आबादी 79.8 फीसदी यानी 96.63 करोड़ है। वहीं मुस्लिमों की आबादी 14.2%।

जनगणना के आंकड़े एकत्रित करने के चार साल से अधिक समय बाद 3जुलाई ,2015 को धर्म आधारित आंकड़े जारी किये गये वहीं जाति आधारित जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किये गये।राजद, जदयू,सपा और द्रमुक तथा अन्य कुछ दल सरकार से जाति आधारित जनगणना जारी करने की मांग कर रहे हैं। जनसंख्या के सामाजिक आर्थिक स्तर पर आंकड़े 3 जुलाई को जारी किये गये थे।

महापंजीयक और जनगणना आयुक्त द्वारा जारी 2011 के धार्मिक जनगणना डाटा के अनुसार देश में 2011 में कुल जनसंख्या 121.09 करोड़ थी।इसमें हिंदू जनसंख्या 96.63 करोड़ (79.8 प्रतिशत), मुस्लिम आबादी 17.22 करोड़ (14.2 प्रतिशत), ईसाई 2.78 करोड़ (2.3 प्रतिशत), सिख 2.08 करोड़ (1.7 प्रतिशत), बौद्ध 0.84 करोड़ (0.7 प्रतिशत), जैन 0.45 करोड़ (0.4 प्रतिशत) तथा अन्य धर्म और मत (ओआरपी) 0.79 करोड़ (0.7 प्रतिशत) रही।

जनसंख्या के आंकड़ों के अनुसार 2001 से 2011 के बीच मुस्लिम आबादी में बढ़ोतरी हुई और हिंदू जनसंख्या घटी। सिख समुदाय की आबादी में 0.2 प्रतिशत की कमी आई और बौद्ध जनसंख्या 0.1 प्रतिशत कम हुई। ईसाइयों और जैन समुदाय की जनसंख्या में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ।

सेन्सस- 2001 के आंकड़ों के अनुसार भारत की कुल आबादी 102 करोड़ थी जिसमें हिंदुओं की आबादी 82.75 करोड़ (80.45 प्रतिशत) और मुस्लिम आबादी 13.8 करोड़ (13.4 प्रतिशत) थी।

सेन्सस-2011:राज्यवार धार्मिक जनसँख्या
1.उत्तर प्रदेश
1.हिन्दू-79.73%
2.मुस्लिम-19.26%
3.सिक्ख-0.32%
4.ईसाई-0.18%
5.जैन-0.11%
6.बौद्ध-0.10%
7.अधार्मिक-0.30%
2-बिहार
1.हिन्दू-83.2%
2.मुस्लिम-16.5%
3.ईसाई-0.1%
3-राजस्थान
1.हिन्दू-88.8%
2.मुस्लिम-8.5%
3.सिक्ख-1.4%
4.जैन-1.2%
5.ईसाई-0.1%
4-आन्ध्र प्रदेश
1.हिन्दू-89.0%
2.मुस्लिम-9.2%
3.ईसाई-1.6%
4.अन्य-0.2%
5-असम
1.हिन्दू-65.0%
2.मुस्लिम-30.9%
3.ईसाई-3.7%
4.बौद्ध-0.2%
5.अन्य-0.2%
6-पश्चिम बंगाल
1.हिन्दू-72.5%
2.मुस्लिम-25.2%
3.ईसाई-0.60%
4.बौद्ध-0.3%
5.अन्य-1.40%
7-कर्नाटक
1.हिन्दू-83.9%
2.मुस्लिम-12.2%
3.ईसाई-1.9%
4.बौद्ध-0.7%
5.जैन-0.8%
6.अन्य-0.5%
8-गुजरात
1.हिन्दू-89.1%
2.मुस्लिम-9.1%
3.जैन-1.0%
4.बौद्ध-0.8%
9-महाराष्ट्र
1.हिन्दू-80.4%
2.मुस्लिम-10.6%
3.ईसाई-1.1%
4.बौद्ध-6%
5.जैन-1.3%
6.अन्य-0.6%
10-मध्य प्रदेश
1.हिन्दू-91.1%
2.मुस्लिम-6.4%
3.जैन-0.9%
4.ईसाई-0.3%
5.अन्य-1.3%
11-केरल
1.हिन्दू-56.2%
2.मुस्लिम-24.7%
3.ईसाई-19.0%
4.अन्य-0.1%
12-हरियाणा
1.हिन्दू-88.2%
2.मुस्लिम-5.8%
3.सिक्ख-5.5%
4.जैन-0.3%
5.ईसाई-0.2%
13-छत्तीसगढ़
1.हिन्दू-94.7%
2.मुस्लिम-2.0%
3.ईसाई-1.9%
4.सिक्ख,बौद्ध,जैन-1.4%
14-हिमांचल प्रदेश
1.हिन्दू-95.4%
2.मुस्लिम-2.0%
3.सिक्ख-1.2%
4.बौद्ध-1.3%
5.ईसाई-0.1%
15-झारखण्ड
1.हिन्दू-68.6%
2.मुस्लिम-13.8%
3.ट्राइबल धर्म-13.0%
4.ईसाई-4.6%
16.उड़ीसा
1.हिन्दू-94.4%
2.मुस्लिम-2.1%
3.ईसाई-2.4%
4.अन्य-1.1%
17-जम्मू कश्मीर
1.हिन्दू-24.6%
2.मुस्लिम-67.0%
3.सिक्ख-2.0%
4.बौद्ध-1.1%
5.ईसाई-0.3%
18-अरुणांचल प्रदेश
1.हिन्दू-34.6%
2.मुस्लिम-1.9%
3.एथनिक-30.7%
4.बौद्ध-13.0%
5.ईसाई-18.7%
19-गोआ
1.हिन्दू-65.8%
2.मुस्लिम-6.8%
3.ईसाई-26.7%
4.अन्य-0.7%
जातियों के आँकड़े घोषित करने में नुकसान क्या?

सेन्सस-2011 में सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना कराई गई थी।30 जून,2015 को जब जनगणना के आँकड़ों की घोषणा की गई तो ओबीसी व सामान्य वर्ग के आँकड़े घोषित नहीं किये गए।सेन्सस-2011 के अनुसार धार्मिक अल्पसंख्यक-मुस्लिम,सिक्ख,ईसाई, जैन,बौद्ध,ट्राइबल,पारसी,एससी, एसटी,ट्रांसजेंडर, दिव्यांग आदि की जनसंख्या को घोषित कर दिया गया,ओबीसी के आँकड़े उजागर नहीं किये गए।पहली बार 1881 में सभी वर्गों व जातियों की जनगणना ब्रिटिश सरकार ने कराया और 1931 तक होती रही।देश की आजादी के बाद 1951 में एससी, एसटी की हर 10 वर्ष में जनगणना के जनसांख्यिकीय घोषित किये जाते हैं,पर 1951 से 2001 तक ओबीसी की जनगणना सरकारों ने कराया ही नहीं।2011 में जातीय जनगणना हुई भी तो भाजपा सरकार ने घोषित हज नहीं किया।आखिर ओबीसी की जनगणना कराने से कौन सी महामारी फैल जाएगी।संविधान के अनुच्छेद-246 के अनुसार हर सेन्सस में कास्ट सेन्सस कराया जाना चाहिए, यह संविधान सम्मत व्यवस्था है।