केन्द्रीय सचिवों में obc का प्रतिनिधित्व नगण्य..?

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आरक्षण से बढ़ी सियासी हलचल
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केन्द्रीय सचिवों में ओबीसी का प्रतिनिधित्व नगण्य,ओबीसी, एससी, एसटी का बैकलॉग पूरा करे केन्द्र सरकार-लौटनराम निषाद


लखनऊ। भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ.लौटनराम निषाद ने भाजपा सरकार पर पिछडों,वंचितों का असल मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए तरह तरह का षडयंत्र करने का आरोप लगाया है।उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्रालय के सचिवीय नियुक्ति में वंचित वर्ग का प्रतिनिधित्व नगण्य है।सचिव व अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारियों में ओबीसी का प्रतिनिधित्व शून्य है। केन्द्रीय सचिवों में obc का प्रतिनिधित्व नगण्य..? उन्होंने बताया कि 89 सचिवों में 24 पदों के सापेक्ष ओबीसी का प्रतिनिधित्व शून्य,13 के सापेक्ष एससी एससी को 1 व 7 के सापेक्ष एसटी को 3 सचिव पद पर प्रतिनिधित्व मिला है।अतिरिक्त सचिव के 93 पदों में 25 पद वांछित है लेकिन उसका प्रतिनिधित्व शून्य है।अतिरिक्त सचिव के पद पर एससी को 14 की बजाय 6 व एसटी को 7 की बजाय 5 पद पर प्रतिनिधित्व मिला है।उन्होंने बताया कि 275 संयुक्त सचिव के पदों ओबीसी को मात्र 19,एससी को 13 व एसटी को 9 पदों पर प्रतिनिधित्व मिला है। ओबीसी को 27 प्रतिशत की जगह मात्र 6.91 प्रतिशत,एससी को 15 प्रतिशत की जगह 4.73 व एसटी को 7.5 प्रतिशत की जगह मात्र 3.27 प्रतिशत ही प्रतिनिधित्व मिल पाया है,जो सामाजिक न्याय के प्रतिकूल है।

केन्द्रीय सचिवों में obc का प्रतिनिधित्व नगण्य..?
चौ.लौटनराम निषाद


निषाद ने 2018 से 2022 तक आईएएस, आईपीएस, आईएफएस आदि पदों पर नियुक्ति के सम्बंध में बताया कि 2018 में 906 अधिकारियों की भर्ती में ओबीसी को 134,एससी को 68 व एसटी को 31,2019 में 733 पदों पर भर्ती में ओबीसी को 136,एससी65 व एसटी को 30 पदों पर प्रतिनिधित्व मिला। यूपीएससी-2020 की 858 आईएएस पदों पर भर्ती में ओबीसी को मात्र 133,एससी को 61 व एसटी को मात्र 29 स्थानों पर प्रतिनिधित्व मिला। 2021 में 862 पदों पर भर्ती में ओबीसी को 145,एससी को 71 व एसटी को 34 पद,2022 में 1006 पदों पर भर्ती में ओबीसी को 147,एससी को 69 व एसटी को 42 पदों पर ही प्रतिनिधित्व मिला। उन्होंने बताया कि 2018 से 2022 तक कुल 4365 पदों पर भर्तियों में ओबीसी को 695(15.92%),एससी को 334(7.65%) व एसटी को 166(3.8%) पदों पर ही प्रतिनिधित्व मिला,जबकी 3170 (72.62%) पर सामान्य वर्ग ने कब्जा कर लिया।उन्होंने बताया कि संघ लोक सेवा आयोग व लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा में ओबीसी व अन्य आरक्षित वर्ग को सामान्य वर्ग से अच्छा अंक मिलता है,लेकिन साक्षात्कार में ओबीसी,एससी, एसटी को कम अंक देकर पीछे या बाहर कर दिया जाता है।उन्होंने यूपीएससी,पीसीएस, एसएससी आदि भर्तियों में साक्षात्कार खत्म करने की माँग किया है।


निषाद ने कहा कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग 2011 के पीसीएस भर्ती का परिणाम 14 अगस्त 2013 को प्रकाशित हुआ जिसमें 30 एसडीएम पद पर भर्ती में 5 यादव एसडीएम चयनित हुए थे। भाजपा ने 86 में 56 यादव एसडीएम बनाने के झूठे समाचार का मीडिया ट्रायल व दुष्प्रचार कर कर गैर यादव पिछड़ी जातियों में यादव जाति के विरुद्ध नफ़रत भर दिया।जब से योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं,खुलकर सवर्णीय जातिवाद हो रहा है,तरह तरह के षड़यंत्र कर ओबीसी,एससी, एसटी की हकमारी की जा रही है। जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया में 13 प्रोफेसर में 9 ब्राह्मण,3 भूमिहार ब्राह्मण,उच्च शिक्षा सेवा आयोग द्वारा वनस्पति विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर भर्ती में 11 सवर्ण, 1-1 एससी, एसटी,बाँदा कृषि विश्वविद्यालय में 13 प्रोफेसर भर्ती में 11 ठाकुर व 1-1 पद पर एससी, एसटी का चयन किया गया।गोरखपुर विश्वविद्यालय शिक्षा संकाय में 4 प्राध्यापक भर्ती में सभी ठाकुर की भर्ती की गई,यह जातिवाद नहीं तो क्या है….?

पिछड़ी जातियों की इस तरह की हकमारी से ओबीसी की भावना आहत नहीं हो रही,भाजपा के ओबीसी नेताओं की जुबान पर ताला क्यों लगा है? ईपीएफओ एसएसए(सोशल सिक्योरिटी असिस्टेंट) भर्ती-2023 के लिए विज्ञापित 2674 पदों में ओबीसी को 27 प्रतिशत के स्थान पर मात्र 19.22%, एससी को 15 की बजाय 13.42% ही पड़ आरक्षित किया गया है। सामान्य वर्ग को 37.36%,ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत की जगह 19.78 प्रतिशत व एसटी को 7.5 प्रतिशत की जगह 10.21 प्रतिशत सीटें आवंटित की गई हैं।उन्होंने कहा कि ओबीसी,एससी के पदों की हकमारी कर ईडब्ल्यूएस को इनका हिस्सा देकर अन्याय क्यों किया जा रहा है….? केन्द्रीय सचिवों में obc का प्रतिनिधित्व नगण्य..?