लता जैसी गायिका अब नहीं आएंगी….!

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संसार से विदाई हो तो लता मंगेशकर जैसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई पहुंच कर लता दीदी के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र चढ़ाए। राष्ट्रीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार।लता जैसी गायिका अब नहीं आएंगी।

विश्व विख्यात गायिका लता मंगेशकर का 92 वर्ष की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 6 फरवरी को सुबह निधन हो गया। लता दीदी के निधन के समाचार से पूरे देश में शोक का माहौल हो गया। लेकिन यदि कोई व्यक्ति संसार से विदा ले तो लता दीदी की तरह ही ले। लता दीदी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद मुंबई पहुंचे। पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र चढ़ाया। देश में दो दिन का राष्ट्रीय शोक भी घोषित किया गया है। फिल्मी दुनिया का ऐसा कोई अवार्ड नहीं है जो लता दीदी को न मिला हो। 2001 में लता दीदी को भारत रत्न से नवाजा गया। देश का शायद ही कोई नागरिक होगा जो लता दीदी के निधन से दुख न हुआ हो। फिल्म अभिनेता रजा मुराद ने कहा है कि लता दीदी जैसी गायिका न तो फिल्मों में थी और न आएगी।

फिल्मों में लता दीदी के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। 1942 में मात्र 13 वर्ष की उम्र में गायन शुरू किया तो फिर वर्ष 2000 तक पीछे मुड़ कर नहीं देखा। कोई एक हजार फिल्मों में लता दीदी ने अपनी आवाज का जादू चलाया। लता दीदी ने सिर्फ हिन्दी में ही नहीं बल्कि देश-विदेश की 36 भाषाओं में 50 हजार से भी ज्यादा गाने गाए। राज कपूर जैसे कई फिल्म निर्माता रहे, जिन्होंने अपनी हर फिल्म में लता दीदी से गायिकी करवाई। लता के पिता दीनानाथ मंगेशकर रंगमंच के गायक थे। लेकिन लता ने अपनी आवाज का जादू बिखेरा तो सभी पीछे छूट गए। पांच भाई बहनों में लता सबसे बड़ी थी। परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने के कारण लता दीदी ने विवाह भी नहीं किया। 1962 में चीन से युद्ध के बाद जब देश का माहौल खुशनुमा नहीं था तब 1963 के गणतंत्र दिवस के समारोह में लता दीदी ने सुप्रसिद्ध कवि प्रदीप की एक कविता को अपनी आवाज दी।

ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी वाली कविता जब लता दीदी ने अपनी मर्मस्पर्शी आवाज में सुनाई तो समारोह में उपस्थित तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन की आंखों में भी आंसू आ गए। आज भले ही भारतीय क्रिकेट बोर्ड दुनिया का सबसे धनाढ्य बोर्ड हो, लेकिन 1983 में जब कपिल देव की कप्तानी में पहली बार विश्व कप जीता, तब क्रिकेट खिलाडिय़ों की स्थिति अच्छी नहीं थी। इस स्थिति को देखते हुए ही लता मंगेशकर ने एक समारोह आयोजित किया और इस समारोह से जो आय हुई उसे विजेता टीम के खिलाडिय़ों में बांट दिया। लता दीदी का शुरू से ही क्रिकेट के प्रति लगाव रहा। भारतीय टीम के कप्तान रहे सचिन रमेश तेंदुलकर तो लता दीदी को अपनी मां के समान मानते थे। लता दीदी के निधन का सभी देशवासियों को दुख है। लेकिन जिस शान से लता दीदी ने 6 फरवरी को संसार से विदाई ली है ऐसी विदाई बहुत कम लोगों को मिलती है। गानों के इतने लंबे सफर में लता दीदी कभी विवादों में नहीं रही। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक लता दीदी के प्रशंसक हैं।