जीवन में शॉर्ट कट नहीं चुनौतीपूर्ण रास्ता अपनाएं Take a challenging path not a short cut in life

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वर्ष 2017 में वर्तमान सरकार के आने के बाद परीक्षाओं में शुचिता और पारदर्शिता लाने का कार्य किया गया, नकल को रोका गया और शिक्षकों की बड़े पैमाने पर भर्ती की गई। ऑपरेशन कायाकल्प के अन्तर्गत बेसिक और माध्यमिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रहीं, आज उसका परिणाम हम सभी के सामने। प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के माध्यम से निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था की गई, लोक सेवा आयोग की परीक्षा में मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना की कोचिंग करने वाले 43 अभ्यर्थी पास हुए, इस प्लेटफॉर्म ने छात्र-छात्राओं को आगे बढ़ने का एक अच्छा स्कोप दिया। मेधावी छात्र-छात्राओं को यह तय करना होगा कि किस फील्ड में आगे बढ़कर अपने भविष्य को बेहतरीन तरीके से सजा और संवार सकते हैं तथा अन्य लोगों के लिए एक रोल मॉडल बन सकते। रोल मॉडल बनने के लिए यह आवश्यक होगा कि जीवन में शॉर्ट कट का रास्ता नहीं, बल्कि चुनौतीपूर्ण रास्ता अपनाएं। प्रदेश की मेरिट में जिन बच्चों का नाम आया है, उनके गांव या मोहल्ले के मुख्य मार्गों को गौरव पथ के रूप में विकसित करने की व्यवस्था की गई। जब समाज बड़ा बनता है, तो प्रतिभाशाली युवा आगे बढ़ते हैं, जब समाज का योगदान उसके साथ जुड़ता है, तो उसकी प्रतिभा में निखार आता है और जब प्रतिभा का सम्मान समाज करता है, तो समाज को प्रगति के पथ पर अग्रसर होने से कोई नहीं रोक सकता।

लखनऊ। मुख्यमंत्री इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित ‘मेधावी छात्र सम्मान’ समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने माध्यमिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश की वर्ष 2022 की हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट परीक्षाओं में प्रदेश स्तर पर प्रथम 10 स्थान व जिला स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्ष 2017 में वर्तमान सरकार के आने के बाद परीक्षाओं में शुचिता और पारदर्शिता लाने का कार्य किया गया। नकल को रोका गया और शिक्षकों की बड़े पैमाने पर भर्ती की गई। बेसिक शिक्षा विभाग में 01 लाख 26 हजार शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। माध्यमिक शिक्षा विभाग में 40,000 से अधिक शिक्षकों को नियुक्त किया गया। ऑपरेशन कायाकल्प के अन्तर्गत बेसिक और माध्यमिक शिक्षा परिषद से जुड़े विद्यालयों में बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं। उनकी लैब और लाइब्रेरी अच्छी बने, इसकी भी व्यवस्था की गई है। आज उसका परिणाम हम सभी के सामने है।



प्रदेश शासन की ओर से सभी मेधावी छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों, शिक्षकों, प्रधानाचार्यों को बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम प्रदेश के मेधावी छात्र-छात्राओं के सम्मान के लिए आयोजित किया गया है। अमर उजाला परिवार द्वारा विगत कई वर्षों से माध्यमिक शिक्षा परिषद की परीक्षाओं में मेरिट में आने वाले विद्यार्थियों का सम्मान एवं अभिनन्दन किया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने बहुत सारे सुधार किए हैं। शिक्षकों की भर्ती के साथ-साथ विद्यालयों को तकनीक युक्त बनाने के लिए स्मार्ट क्लासेज स्थापित की जा रही हैं। बड़े पैमाने पर डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हुए उसमें व्यापक सुधार लाने का प्रयास किया गया। पाठ्यक्रम में व्यापक सुधार किया गया है। यह व्यवस्था भी की गई है कि सी0बी0एस0ई0 पैटर्न पर ही उत्तर प्रदेश बोर्ड में एन0सी0ई0आर0टी0 का पाठ्यक्रम लागू किया जाए, ताकि बच्चे अखिल भारतीय स्तर की किसी भी परीक्षा के लिए विद्यालय में अध्ययन के दौरान मानसिक रूप से तैयार हो सकें। प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के माध्यम से निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि लोक सेवा आयोग की परीक्षा में मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना की कोचिंग करने वाले 43 अभ्यर्थी पास हुए हैं। इस प्लेटफॉर्म ने छात्र-छात्राओं को आगे बढ़ने का एक अच्छा स्कोप दिया है।


मेधावी छात्र-छात्राओं को यह तय करना होगा कि किस फील्ड में आगे बढ़कर अपने भविष्य को बेहतरीन तरीके से सजा और संवार सकते हैं तथा अन्य लोगों के लिए एक रोल मॉडल बन सकते हैं। रोल मॉडल बनने के लिए यह आवश्यक होगा कि जीवन में शॉर्ट कट का रास्ता नहीं, बल्कि चुनौतीपूर्ण रास्ता अपनाएं। चुनौतियां हमेशा व्यक्ति को मजबूत बनाती हैं। शॉर्ट कट का रास्ता हमेशा व्यक्ति को गर्त और पतन की ओर लेकर जाता है, कभी ऊँचाई पर नहीं पहुंचा सकता। इसलिए चुनौतीपूर्ण रास्ते को स्वीकार करते हुए हमें जीवन में सफलता की नई ऊँचाइयों को प्राप्त करने के लिए निरन्तर प्रयास करने होंगे। यह भी निश्चय करना होगा कि सैद्धान्तिक और व्यावहारिक दोनों प्रकार के ज्ञान को अपने जीवन का हिस्सा बनाकर हम निरन्तर आगे बढ़ने का कार्य करेंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि मेधावी छात्र-छात्राएं जीवन में चुनौतियों के मार्गों को स्वीकार करेंगे, मेहनत से नहीं भागेंगे, शॉर्टकट का रास्ता कभी नहीं अपनाएंगे।


प्रदेश की मेरिट में जिन बच्चों का नाम आया है, उनके गांव या मोहल्ले के मुख्य मार्गों को गौरव पथ के रूप में विकसित करने की पहले से व्यवस्था की गई है। जो बच्चे प्रदेश की मेरिट सूची में टॉप-10 होंगे, उन्हें गौरव पथ से जोड़ा जाएगा, ताकि वह गौरव की अनुभूति कर सकें। उन्होंने कहा कि प्रतिभा परिवार की ही नहीं, बल्कि समाज की भी होती है। मेधावी छात्र-छात्राओं की प्रतिभा में परिवार का बहुत बड़ा और सर्वाधिक योगदान होता है, लेकिन समाज के योगदान को भी हमें विस्मृत नहीं करना है। जब समाज बड़ा बनता है, तो प्रतिभाशाली युवा आगे बढ़ते हैं। जब समाज का योगदान उसके साथ जुड़ता है, तो उसकी प्रतिभा में निखार आता है और जब प्रतिभा का सम्मान समाज करता है, तो समाज को प्रगति के पथ पर अग्रसर होने से कोई नहीं रोक सकता है। वर्ष 2017 के पूर्व, उत्तर प्रदेश में परीक्षाओं की शुचिता एवं पारदर्शिता अपने आप में प्रश्न बनी हुई थी। नकल के अड्डे खुले थे और बहुत जगह यह व्यवसाय बन चुका था। शिक्षा की स्थिति अत्यन्त खराब थी। बहुत जगह यह देखने को मिलता था कि भवन हैं, तो बच्चे नहीं हैं, बच्चे हैं तो शिक्षक नहीं हैं और यदि इन तीनों की उपलब्धता भी है, तो पठन-पाठन का माहौल नहीं है। लोगों के मन में यह बात आ चुकी थी कि नकल से पास होना है, तो क्लास क्यों अटेण्ड करें।


मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले जब मेधावी छात्र-छात्राएं प्रदेश के बाहर जाते थे, तो उसके सामने पहचान का संकट था। लोग यही मानते थे कि यह नकल करके पास हुआ होगा और उसे कोई महत्व नहीं दिया जाता था। वर्ष 2017 के बाद इसमें परिवर्तन आया। गणित, विज्ञान, अंग्रेजी से जुड़े शिक्षक रिटायर हो चुके थे, सरकार द्वारा संचालित या सहायता प्राप्त संस्थानों से अगर नियुक्ति नहीं है, निश्चित मानदेय पर शिक्षक रखने की छूट वहां के प्रबन्धक को प्रदान की गई। मानदेय सरकार देती थी और अभी भी बहुत सारी संस्थाओं को दिया जा रहा है। प्रदेश में यह व्यवस्था बनायी गई। विगत 02 वर्ष हमारे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण रहे। पूरी दुनिया ने कोरोना जैसी महामारी को झेला और देखा है। कोरोना महामारी के दौरान परीक्षाएं नहीं हो पायीं, प्रमोशन देना पड़ा। इस वर्ष समय पर परीक्षाएं हुईं और समय पर परिणाम आया। वर्ष 2017 से पूर्व, 03 महीने तक हाईस्कूल और इण्टरमीडिएट की परीक्षाएं चलती थीं और रिजल्ट आने में दो से ढाई महीने लगते थे। फिर प्रवेश लेने में 03 महीने लगते थे।


विभागीय अधिकारियों से पूछा कि 03 महीने परीक्षा में लगते हैं, 03 महीने परिणाम आने में लगते हैं, 03 महीने प्रवेश में लगते हैं और बाकी के 03 महीने पर्व एवं त्योहारों में व्यतीत हो जाते हैं। बाकी स्कूल में क्लासेज चलती कब थीं। जो 3-3 महीने का रोटेशन बना हुआ है, उसे एक महीने और 15 दिन में किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जहां चाह है, वहां राह है। आज परिणाम सबके सामने है। आज माध्यमिक शिक्षा परिषद की परिक्षाएं 01 महीने में पूरी होती हैं। परिणाम उस महीने के 15 दिन के अन्दर आने प्रारम्भ हो जाते हैं। 15 दिन के अन्दर अगले प्रवेश की प्रक्रिया पूरी करते हुए वर्ष में 02 महीने के अन्दर पूरी प्रक्रिया को सम्पन्न करके 10 महीने का जो समय होता है, उसे पठन-पाठन के लिए बनाने की व्यवस्था की जाती है। इस वर्ष हाईस्कूल की परीक्षा में 25 लाख 20 हजार 634 बच्चे सम्मिलित हुए थे। परीक्षा का परिणाम 88.18 प्रतिशत था। बालकों का पास होने का प्रतिशत 85.25 प्रतिशत और बालिकाओं के पास होने का प्रतिशत 91.69 था। मेरिट की सूची में हाईस्कूल की परीक्षा में बालकों का प्रतिशत 28 फीसदी और बालिकाओं का 72 फीसदी था। इसी प्रकार, इण्टरमीडिएट की परीक्षा में 22 लाख 37 हजार 578 बच्चे शामिल हुए थे। परीक्षा का परिणाम 85.33 प्रतिशत था। बालकों का पास होने का प्रतिशत 81.21 प्रतिशत तथा 90.15 प्रतिशत बालिकाएं पास हुई थीं। इसमें भी बालिकाओं ने छलांग लगायी और आगे रहीं। मेरिट सूची में बालकों का प्रतिशत 47 तथा बालिकाएं 53 प्रतिशत पर रहीं।


आज पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। साथ ही, अमर उजाला अपनी स्थापना का अमृत महोत्सव मना रहा है। समाचार पत्र को आमजनमानस तक सत्य, सटीक और तथ्यपरक न्यूज पहुंचाने का दायित्व बनता है। अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए सामाजिक सरोकारों से जुड़ना भी होता है। अमर उजाला समूह द्वारा पहले से मेधावी माहेश्वरी छात्रवृत्ति का वितरण तथा मेधावी छात्र सम्मान किया जा रहा है। गोरखपुर में विगत 29 अक्टूबर को अमर उजाला समूह द्वारा दिव्यांगजन के लिए सहायक उपकरण वितरण का विशाल कैम्प आयोजित किया गया था।समय से जो कार्य हो जाता है, वह अच्छा होता है। हमें समय से कार्य करने की आदत डालनी ही चाहिए। अच्छा होता कि माध्यमिक शिक्षा परिषद भी तालमेल बिठाकर मेधावी छात्रों को टैबलेट उपलब्ध करवाने की कार्यवाही को समयबद्ध ढंग से आगे बढ़ाता। राष्ट्रीय शिक्षा नीति छात्र-छात्राओं को आगे बढ़ने की अनेक सम्भावनाएं दे रही है। हमें और संस्थानों को उसके साथ जुड़ना होगा।


उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि मेधावी छात्र-छात्राओं ने अपने माता-पिता, विद्यालय और प्रदेश सरकार का नाम रोशन किया है। उन्होंने प्रदेश सरकार की ओर से विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि राज्य सरकार उनके जीवन के हर पहलू हो खूबसूरत बनाने और आगे बढ़ाने के लिए कार्य करेगी। प्रत्येक स्तर पर मेधावी छात्र-छात्राओं की मेधा का सम्मान होता है। प्रदेश में 47 लाख बच्चों ने परीक्षा दी है, जिनमें से आपने टॉप किया है। प्रदेश को आगे बढ़ाने में छात्र-छात्राओं की बड़ी भूमिका है। आगे चलकर मेहनत कर आप कुछ भी बन सकते हो। इस बात का ध्यान रखें कि जीवन में जो उद्देश्य बनाया है, उसे कभी छोड़ना नहीं है। उसी मार्ग पर चलते रहेंगे, तो सफलता आपके कदम चूमेगी और सभी लोग आपके पीछे खड़े होंगे।इस अवसर पर माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी, परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह, अमर उजाला के स्थानीय सम्पादक विजय त्रिपाठी, अमर उजाला समूह के पदाधिकारी, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा एवं माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, गृह एवं सूचना संजय प्रसाद, सूचना निदेशक शिशिर, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षकगण तथा विद्यार्थीगण उपस्थित थे।