रिलीव होने के लिए न्यायालय की शरण में गया बंदीरक्षक!

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रिलीव होने के लिए न्यायालय की शरण में गया बंदीरक्षक..! वाराणसी सेंट्रल जेल के बंदीरक्षक ने दायर की थी याचिका,चार वार्डर फिर भी नही हो पाए रिलीव।

राकेश यादव

लखनऊ। प्रदेश कारागार विभाग के बंदीरक्षक स्थानांतरण के बाद रिलीव होने के लिए न्यायालय की शरण में जा रहे है। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन सच है। वाराणसी सेंट्रल जेल से स्थानांतरित किए गए करीब दो दर्जन बंदीरक्षकों को स्थानांतरित करने के बाद रिलीव नहीं किया गया। न्यायालय के आदेश के बाद करीब 20 बंदीरक्षक तो रिलीव कर दिए गए किंतु चार बंदीरक्षक आज भी उसी जेल पर बने हुए है। विभागीय अफसरो की हीलाहवाली का यह मामला सुर्खियों में बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है। चर्चा है कि स्थानांतरण के बाद सुरक्षाकर्मियों को रिलीव नहीं करना इस विभाग की नियति बन गया है। इससे बंदीरक्षकों को खासी दिक्कतों को सामाना करने को मजबूर होना पड़ रहा है।


कारागार विभाग में प्रधान बंदीरक्षक एवं बंदीरक्षक संवर्ग के कर्मियों के तबादल दो स्तर पर किए जाते है। परिक्षेत्र के बाहर की जेलों में तबादले किए जाने का अधिकार जेल मुख्यालय के डीआईजी को होता है। इसके अलावा परिक्षेत्र में आने वाली जेलों में तबादला करने का अधिकार डीआईजी परिक्षेत्र / वरिष्ठ अधीक्षक के पास होता है। वर्ष-2021-22 में स्थानांतरण सत्र के दौरान जेल विभाग में बड़ी संख्या में प्रधान बंदीरक्षक व बंदीरक्षक के तबादले किए गए। कोरोना कॉल की वजह से दो साल से तबादलों पर रोक लगी होने की वजह से अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादल नहीं किए जा सके थे। दो साल बाद शासन की स्थानांतरण नीति आने पर करीब डेढ़ सौ अधिकारियों व डेढ़ हजार के करीब सुरक्षाकर्मियों के तबादले कर दिए गए। आनन-फानन में किए गए तबादलों में अधिकारियों ने एक-एक प्रधान बंदीरक्षक व बंदीरक्षक का तबादला दो-दो जनपदों की जेलों पर कर दिया। इसके साथ ही में बड़ी संख्या में तबादलों की वजह से कर्ई जेलों पर तैनात किए गए बंदीरक्षक रिलीव ही नहीं हो पाए।


सूत्रों का कहना है कि वर्ष-2021-2022 के स्थानांतरण सत्र में वाराणसी सेंट्रल जेल से स्थानांतरित हुए 24 बंदीरक्षकों को रिलीव नहीं किया गया। बंदीरक्षकों के रिलीव नहीं किए जाने के मामले को लेकर बंदीरक्षक भरत सिंह ने न्यायालय में याचिका दायर कर स्थानांतरित बंदीरक्षक को रिलीव किए जाने की गुहार लगाई। न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए 20 बंदीरक्षकों को तो रिलीव कर दिया गया किंतु चार बंदीरक्षक दीपक सिंह, पावन सिंह, राजन पांडे और कृष्ण मोहन सिंह को अभी तक रिलीव नहीं किया गया है। वाराणसी सेंट्रल जेल तो एक बानगी भर है। इसी प्रकार बरेली, आगरा, फतेहगढ़, नैनी जेल में भी कई बंदीरक्षक व प्रधानबंदीरक्षकों को अभी तक रिलीव नहीं किया गया है। यही नहीं लखनऊ जेल से तो एक स्थानांतरित अधिकारी को अधीक्षक ने एक साल बाद भी रिलीव नहीं किया। इस संबंध में वाराणसी परिक्षेत्र के डीआईजी एके सिंह से बात की गई तो उनसे सम्पर्क ही नहीं हो पाया।