सुरक्षाकर्मी पर्चा बनवाते रहे बन्दी हुआ फुर्र

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सुरक्षाकर्मी पर्चा बनवाते रहे बन्दी हुआ फुर्र।उपचार के लिए सुल्तानपुर से केजीएमयू लाया गया था बन्दी।जेल प्रशासन की लापरवाही पुलिस के बजाए जेलगार्ड से भेज दिया बन्दी।

राकेश यादव

लखनऊ। सुल्तानपुर जेल से उपचार के लिए केजीएमयू लाया गया बन्दी सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर फरार हो गया। दिलचस्प बात यह रही कि सुरक्षाकर्मी बन्दी को भर्ती करवाने का पर्चा ही बनवाते रहे बन्दी मौका देकर निकल गया। जेल प्रशासन ने इस खूंखार बन्दी को पुलिस सुरक्षा के बजाए जेल गार्ड की सुपुर्दगी में उपचार के लिए लखनऊ भेज दिया। चर्चा है कि जेल चिकित्सक से सेटिंग कर बन्दी उपचार के लिए लखनऊ लाया गया था। युवा बन्दी की सुरक्षा में हुई लापरवाही ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है। उधर सुरक्षा में लगे दोनों वार्डर को निलंबित कर दिया गया है।

मिली जानकारी के मुताबिक सुल्तानपुर जेल में मादक द्रव्यों की आपूर्ति समेत अन्य गंभीर धाराओं में अंसार अहमद को जेल भेजा गया था। स्थानीय पुलिस ने अंसार अहमद को गिरफ्तार कर बीती दस अगस्त 21 को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। बताया गया है कि 29 नवम्बर को बन्दी अंसार अहमद की जेल में तबियत बिगड़ी। जेल चिकिसाधिकारी ने बन्दी को उपचार देने के बजाए जिला चिकित्सालय भेज दिया। करीब तीन दिन उपचार करने के बाद जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों ने बन्दी को लखनऊ के केजीएमयू के लिए रेफर कर दिया।

बगैर वसूली के नही होता जेल अस्पताल में इलाज – प्रदेश के जेलो में बगैर सुविधा शुल्क लिए बन्दियों को उपचार नही दिया जाता है। जेल में बन्दियों के उपचार के लिए प्रतिवर्ष लाखों रुपये का बजट आवंटित होता है, लेकिन बन्दियों को नाममात्र की ही दवाएं दी जाती है। बीते दिनों मिर्जापुर में गलत दवा देने की वजह से सैकड़ो की संख्या में बन्दी बीमार व बेहोश हो गए थे। बन्दियों से जेल चिकित्सक व फार्मासिस्ट मोटी रकम वसूल करते है। रकम नही देने वाले बन्दी बैरेक में ही दम तोड़ देते है। जेल के बाहर जाने के लिए बन्दी को जेल चिकित्सक व अधीक्षक को मोटी रकम देने के लिए विवश होना पड़ता है।

जिला अस्पताल से बेहतर इलाज के लिए किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ रेफर किया गया। शनिवार को दोपहर लगभग 12 बजे दिन में केजीएमयू में इलाज के लिए पर्चा बनवाते समय बंदी अभिरक्षा में ड्यूटी पर तैनात सुल्तानपुर जेल के बंदीरक्षकों रामबली निषाद व अभिषेक कुमार को चकमा देकर फरार हो गया। जेल मुख्यालय के अनुसार बंदी की फरारी की इस घटना की सूचना केजीएमयू पुलिस चौकी को दी गई है। उसकी पुनः गिरफ्तारी का प्रयास किया जा रहा है। ड्यूटी के प्रति लापरवाही के लिए प्रथमदृष्ट्या दोषी पाए गए दोनों बंदीरक्षकों रामबली निषाद व अभिषेक कुमार के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करते हुए  तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। 

सूत्रों का कहना है कि जिला अस्पताल से रेफर हुए बन्दी को जेल प्रशासन के अधिकारियों ने पुलिस गार्ड के बजाए दो वार्डर की जेल गार्ड से लखनऊ भेज दिया। लखनऊ के केजीएमयू में उपचार के बन्दी को भर्ती करवाने के लिए वार्डर पर्चा बनवा रहे थे, इसी दौरान बन्दी अंसार अहमद सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर भाग निकला। वार्डर ने आनन फानन में बन्दी के फरार होने की सूचना जेल प्रशासन को दी। जेल प्रशासन के अधिकारियों ने जेल चिकित्सक व जेल प्रशासन की हुई लापरवाही को छिपाने के लिए तत्काल जेल के दोनों वार्डरों को निलंबित कर फरारी के इस गंभीर मामले को रफादफा कर दिया। दिन दहाड़े हुई बन्दी की इस फरारी को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है। चर्चा है कि जेल में बगैर सुविधा शुल्क लिए बन्दियों का उपचार ही नही किया जाता है। यही नही बन्दी को जेल के बाहर अस्पताल भेजने के लिए जेल चिकित्सक व अधीक्षक मोटी रकम वसूल करते है।