कश्मीर के अलगाववादी नेता गिलानी के इंतकाल पर पाकिस्तान में एक दिन का राष्ट्रीय शोक।पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद ने कहा तालिबान को हमने मजबूत किया।अफगानिस्तान के हालातों का बहुत असर पड़ेगा भारत पर।
एस0 पी0 मित्तल
आने वाले दिन भारत के कैसे होंगे, इसका अंदाजा पाकिस्तान की गतिविधियों से लगाया जा सकता है। एक सितम्बर को कश्मीर के अलगाववादी नेता और तहरीक ए हुर्रियत के संस्थापक अली शाह गिलानी का इंतकाल हो गया। जिलानी की उम्र 92 साल थी और वे श्रीनगर स्थित अपने निवास पर ही रह रहे थे। चूंकि जिलानी जिंदगी भर पाकिस्तान के समर्थक रहे, इसलिए उनके इंतकाल पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने देशभर में एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। जिलानी तीन बार सोपोर से विधायक चुने गए, लेकिन उनकी वफादारी अपने देश के बजाए पाकिस्तान के प्रति थी। चूंकि वे भारत में रह पाकिस्तान के इशारे पर काम कर रहे थे, इसलिए अब पाकिस्तान में ही राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया। इमरान खान ने यह चाल तब चली है, जब हाफिज सईद जैसे आतंकी पाकिस्तान में बैठ कर हमारे कश्मीर को लेकर तालिबानियों से रणनीति बना रहे हैें।
एक सितम्बर को ही पाकिस्तान के गृहमंत्री और पाकिस्तानी फौज के प्रवक्ता माने जाने वाले शेख राशिद ने कहा कि तालिबान को हमने ही मजबूत किया है। यानी जो हथियार अमरीका से मुफ्त में मिल रहे थे, पाकिस्तान उन्हें तालिबानियों को दे रहा था। हालांकि अब पाकिस्तान का दोहरा चरित्र अमरीका और दुनिया के सामने उजागर हो गया है, लेकिन अफगानिस्तान में जो हो रहा है, उसका असर भारत पर पड़ेगा। भले ही रणनीति के तहत भारत कतर में तालिबान से बात कर रहा हो, लेकिन तालिबान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। जिस प्रकार पाकिस्तान ने अमरीका से सहायता लेकर तालिबान की मदद की, उसी प्रकार अफगानिस्तान को कब्जाने के बाद तालिबान भी हमारे कश्मीर में आतंकियों की मदद करेगा। तालिबान को मजबूत करने वाले ही भारत के दुश्मन हैं। जब पाकिस्तान कश्मीर के अलगाववादी नेता गिलानी के इंतकाल पर राष्ट्रीय शोक घोषित कर सकता है तो फिर आतंकियों की मदद तो करेगा ही।
तालिबान भले ही अभी यह कह रहा हो कि हम भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं। लेकिन कश्मीर में आतंकियों की मदद करना तालिबान की मजबूरी होगी। गंभीर बात तो यह है कि भारत में तालिबान की सोच वाले अनेक लोग हैं। ऐसे लोग अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे को लेकर जश्न मना रहे हैं। हालांकि भारतीय सेना देश की सीमाओं की सुरक्षा करने में सक्षम हैं, लेकिन असल खतरा देश के अंदर से ही है। देशवासियों को देशद्रोहियों से सावधान रहने की जरुरत हे। भारत के लोकतंत्र की यह खूबसूरती है कि हर नागरिक अपने धर्म के अनुरूप रह सकता है। यह खूबसूरती बनी रहनी चाहिए। यदि कश्मीर में अलगाववादी तत्व फिर से मजबूत होते हैं तो इसका असर देशभर पर पड़ेगा।