विश्वविद्यालय के छात्रनेता का हो सकता है आमना-सामना

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राजधानी की मध्य विधानसभा में दिख सकता है दिलचस्प मुकाबला। विश्वविद्यालय के दो पूर्व दिग्गज छात्रनेता का हो सकता है चुनाव में आमना-सामना।


लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद से ही राजनीतिक घमासान चरम पर है। सत्ताधारी बीजेपी समेत सभी प्रमुख सियासी दल जमकर चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। हालांकि, जनता इस बार किस पर अपना भरोसा जताएगी ये तो 10 मार्च को ही पता चलेगा जब फाइनल नतीजे सामने आएंगे। ऐसे में देश में अपनी खास नजाकत और तरजीह के लिए पहचाने जाने वाले लखनऊ की सीटों पर भी मुकाबला दिलचस्प है। बात करें अगर मध्य विधानसभा की तो फिलहाल यह सीट भाजपा के कब्जे में है मगर नए तैयार होते समीकरणों के चलते सत्तापक्ष के चहरे पर ज़रूर चिंता की लकीरें खिंच गईं हैं।

2017 में बेहद ही कम अंतर से जीत दर्ज करने वाले बृजेश पाठक को भाजपा सरकार में कानून मंत्री का पद मिला और फिलहाल उन्हें प्रमुख ब्राह्मण चेहरे के रूप में आगे किया जा रहा है। लखनऊ विश्विद्यालय की छात्र राजनीति की भट्टी में पक कर निकले इस दिग्गज नेता का सामना इस बार विश्विद्यालय से ही राजनीति का ककहरा सीखने वाले दूसरे दिग्गज नेता जीतेन्द्र सिंह यादव से देखने को मिल सकता है। यूपी की सबसे बड़ी लखनऊ बार एसोसिएशन के मौजूदा महामंत्री जीतू यादव को भी क्षेत्रीय राजनीति का चाणक्य माना जाता है। एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते हुए भी वह बार एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और दो बार महांमत्री बनने का कीर्तिमान अपने नाम दर्ज किया।

21000 अधिवक्ता बना और बिगाड़ सकते हैं किसी का भी गणित

लखनऊ बार एसोसिएशन में करीब 21000 अधिवक्ता रजिस्टर्ड हैं और अकेले मध्य विधानसभा में इनकी संख्या 8 से 10 हज़ार के करीब है। ऐसे में इनकी लामबंदी किसी भी प्रत्याशी की किस्मत बनाने एवं बिगाड़ने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। महामंत्री जीतू यादव के पक्ष में बनता यह समीकरण उन्हें भाजपा पर बीस साबित कर रहा है। क्योंकि पिछले एक दशक से समाजवादी पार्टी की राजनीति करने के साथ ही साथ उनकी पकड़ अधिवक्ताओं पर भी खासी अच्छी है।

रविदास ने बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थ्य के चलते नहीं किया आवेदन-

मध्य विधानसभा से पूर्व विधायक रविदास मेहरोत्रा ने अपने खराब स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के चलते इस बार पार्टी में टिकट के लिए आवेदन तक नहीं किया है। ऐसे में सपा से करीब 11 उम्मीदवारों ने अपनी दावेदारी पेश की है जिसमें सक्रियता को देखते हुए जितेंद्र यादव ही संभावितों की लिस्ट में सबसे ऊपर नजर आ रहे हैं।

लोकल प्रत्याशी को मिल सकता है एडवांटेज-

2004 से 2009 तक उन्नाव के सांसद रहे बृजेश पाठक मूल्यता हरदोई के रहने वाले हैं। बसपा में कभी टॉप लीडरशिप में शामिल रहे पाठक की कर्मभूमि उन्नाव रही। 2016 में बीजेपी जॉइन करने के बाद उन्हें राजधानी की मध्य सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया और लहर में वह विजयी रहे। मगर इस चुनाव में क्षेत्र के लोग सिर्फ पार्टी के नाम पर वोट न देकर ऐसे प्रत्याशी को चाह रहे हैं जो कि उनके बीच का ही हो।

लखनऊ मध्य विधानसभा का जातीय समीकरण

मुस्लिम- 1 लाख 30 हज़ार
यादव- 27 हज़ार 600
कायस्थ- 42000
ब्राह्मण- 32 से 35000
वैश्य- 21000
सोनकर- 19 से 21000
धानुक- 8 से 10000
ठाकुर- 6 से 8000