आखिर क्यों भ्रष्ट अफसरों को संरक्षण..?

92
  • सरकार शासन में बैठे बड़े अफसरों नहीं करती कोई कार्यवाही ….!
  • एसीएस आबकारी पर कब होगी कार्यवाही ….!
  • आखिर क्यों भ्रष्ट अफसरों को शासन का संरक्षण..?
  • कार्यकाल में जहरीली शराब से हो चुकी 500 से अधिक मौतें ।
  • हर बार की तरह इस बार भी छोटे कर्मियों पर हुई कार्यवाही ।
राकेश यादव

लखनऊ। अपर मुख्य सचिव आबकारी के बीते करीब पांच साल के कार्यकाल में जहरीली शराब पीने से सैकड़ो की संख्या में लोगों की मौत हो चुकी है। घटनाएं होने के बाद हर बार विभाग के छोटे अधिकारियों व कर्मियों को निलंबित कर मामले को निपटा दिया जाता है। रायबरेली घटना में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। हकीकत यह है कि ईमानदारी का लबादा ओढ़े एसीएस आबकारी के खिलाफ कार्यवाही करने में शासन भी मौन धारण किये हुए हैं। अलीगढ़ में हुए विभत्स हादसे और रायबरेली हादसे के बाद में भी शासन ने उच्च अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की है। भ्रष्ट अफसरों को शासन का संरक्षण प्राप्त है। यही वजह है कि उन पर कोई कार्यवाही नही होने से घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है।

सहकारी चीनी मिल कर्मियों को डी0ए0 नहीं तो वोट नही…!

राज्य सरकार ने राज्यकर्मियों को तीन फीसद डीए दिए जाने का दिसंबर 2021 में ऐलान किया। इसके तहत सहकारी चीनी मिल कर्मियों को भी बढे हुए डीए का भुगतान होना था। सूत्रों का कहना है कि शासन में फेडरेशन के चेयरमैन ने कर्मियों के डीए की फ़ाइल को दबा रखा है। इससे सहकारी चीनी मिल अधिकारियों व कर्मियों में व्यापक आक्रोश व्याप्त है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है। चर्चा है कि एसीएस गन्ना की तानाशाही की वजह से कर्मियों को डीए नहीं मिल पा रहा है। आक्रोशित कर्मियों का कहना है एसीएस गन्ना की तानाशाही का खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ सकता है। सरकार ने डीए नही दिया तो कर्मचारी वोट भी नही देंगे।

मिली जानकारी के मुताबिक अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी के पास आबकारी विभाग के साथ गन्ना और गन्ना आयुक्त का प्रभार है। प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद वर्ष-2019 से आबकारी विभाग की जिम्मेदारी संजय भूसरेड्डी के पास है। श्री भूसरेड्डी के कार्यकाल में पहली घटना 5 फ़रवरी 2019 को कुशीनगर में जहरीली शराब पीने से आठ व्यक्तियों की मौत हो गयी। इसी प्रकार 8 फरवरी 2019 को सहारनपुर में 70, नौ मार्च 2019 को कानपुर नगर में छह, मई 2019 में बाराबंकी में 37 लोगों की मौत हुई। प्रतापगढ़ में एक घटना में तीन दूसरी में दो, चित्रकूट में चार,लखीमपुर में दो,मेरठ में एक बार मे तीन,दूसरी बार में चार,बागपत में आठ,हापुड़ में 14, लखनऊ में चार व्यक्तियों की जहरीली शराब के सेवन से मौत हुई।

आबकारी से मिले आकड़ो के अनुसार वर्ष-2020-21 दिसंबर में प्रयागराज में 16, जनवरी में बुलन्दशहर में छह, हाथरस में 15, फरवरी में प्रतापगढ़ में चार, जून में अम्बेडकरनगर में 11, आजमगढ़ में छह, कानपुर नगर में दो, जालौन में तीन, मिर्जापुर में तीन, फतेहपुर में तीन, सीतापुर में पांच, हमीरपुर में दो,महोबा में दो के बाद जून 2021 में अलीगढ़ में बड़ा हादसा हुआ। इसमे सवा सौ से ज्यादा लोगो की मौत हुई। इसके बाद अगस्त में आगरा में 14 लोग मरे थे। दो दिन पहले गणतंत्र दिवस के दिन रायबरेली में एक वैवाहिक कार्यक्रम में जहरीली शराब पीने से 17 लोगों की मौत हो गयी। 37 लोगो अस्पताल में ज़िंदगी मौत से जूझ रहे है। इस मामले हर बार की तरह इस बार भी जिला आबकारी अधिकारी (डीओ), आबकारी निरीक्षक, सिपाहियों को निलंबित कर मामले को रफादफा करने की तैयारी है। पूर्व की कई घटनाओं में तो डीओ तक को निलंबित नहीं किया गया।एसीएस आबकारी के कार्यकाल में अब तक पांच सौ से अधिक लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत होने के बाद सरकार ने किसी बड़े अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की गयी।