उद्धव सरकार का हिन्दू विरोध: विचार मंच

234

  श्याम कुमार

लखनऊ, आज बुद्धिजीवियों की पुरानी एवं महत्वपूर्ण संस्था ‘विचारमंच’ द्वारा कोरोना की बंदिशों के कारण दूरभाष पर अपनी नियमित संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें ‘महाराष्ट्र में हिन्दूविरोधी षड्यंत्र’ विषय पर विचार व्यक्त करते हुए वक्ताओं ने कहा कि महाराष्ट्र में शिवसेना अपना हिन्दूवादी चरित्र त्यागकर अब हिन्दूविरोधी बन गई है। इसका पहला प्रमाण यह है कि महाराष्ट्र के पालघर में अराजक भीड़ द्वारा पुलिस की मौजूदगी में दो साधुओं एवं उनके वाहनचालक की जो निर्मम हत्या की गई थी, उस पर पुलिस ने वास्तविक अपराधियों को बचाते हुए न्यायालय में यह रिपोर्ट दाखिल की है कि उक्त हत्याकांड बच्चा-चोरों के सक्रिय होने की अफवाह के कारण हुआ। दूसरा प्रमाण यह है कि कांग्रेस द्वारा महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर का अपमान किए जाने पर शिवसेना ने उसका विरोध नहीं किया। तीसरा नया प्रमाण यह सामने आया है कि महाराष्ट्र की पाठ्यपुस्तकों में महान शहीद भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु की तिकड़ी में से सुखदेव का नाम हटाकर एक मुसलिम नाम जोड़ दिया गया है।

मुख्य वक्ता के रूप में समाजसेवी कुमार अशोक पांडेय ने कहा कि पालघर की घटना के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री व गृहमंत्री ने जो बात कही थी, वही बात पुलिस की रिपोर्ट में दुहरा दी गई है। इससे सिद्ध होता है कि पुलिस ने वास्तविकता का उल्लेख करने के बजाय सरकार की चाटुकारी की।
      संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पत्रकार श्याम कुमार ने कहा कि सभी चैनलों पर साफ-साफ दिखाई दिया था कि पालघर में पुलिस ने साधुओं की रक्षा करने के बजाय उन्हें हमलावरों के हवालेे कर दिया था। वास्तविक अपराधियों के साथ उन पुलिसजनों को भी जेल भेजा जाना चाहिए। महाराष्ट्र की पाठ्यपुस्तकों में शहीद सुखदेव का नाम पुनः जोड़ा जाना चाहिए। वरिष्ठ मजदूर नेता सर्वेश चंद्र द्विवेदी ने कहाकि पालघर व आसपास के आदिवासी क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियों व कम्युनिस्टों का कब्जा है तथा दोनों ही वहां हिन्दू धर्म के खात्मे के अभियान में लगे हुए हैं। वहां हिन्दू धर्म के विरुद्ध घृणित दुष्प्रचार किया जाता है तथा हिन्दू देवी-देवताओं के प्रति अनुचित बातें कही जाती हैं। वहां आदिवासियों को ईसाई बनाने का अभियान चल रहा है तथा हिन्दुओं के विरुद्ध घृणा फैलाई जा रही है। साधुओं की हत्या के पीछे घृणा का यह अभियान ही वास्तविक कारण है।

       समाजसेवी सुशीला मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक सूर्यभानु सिंह गौतम एवं जितेंद्र कुमार ने कहाकि पालघर के हत्याकांड में पुलिस ने तमाम प्रत्यक्षदर्शियों के बयान ही नहीं लिए। उसने यह जांच भी नहीं की कि जब पालघर क्षेत्र में कड़ाई से लाॅकडाउन लगा हुआ था और वहां पुलिस बल  मौजूद था, फिर भी घटनास्थल पर इतनी बड़ी संख्या में हमलावरों की भीड़ कैसे आ गई? साफ-साफ सिद्ध है कि साधुओं पर हमला भलीभांति पूर्वनियोजित था, जिसमें हिन्दूविरोधियों का हाथ था।

   राजनीतिक विश्लेषक कमलेश कुमार पांडेय एवं समाजसेवी महर्षि इंद्रप्रकाश ने कहाकि बुरे की संगत बुरा बना देती है। यह कहावत इस बात से सिद्ध हो रही है कि हिंदूविरोधी कांग्रेस से  गठबंधन करके हिंदूवादी शिवसेना भी उसी रंग में रंग गई है। इसी से वह कांग्रेस द्वारा वीर सावरकर के अपमान पर चुप रहती है और अब महान शहीदों की प्रसिद्ध तिकड़ी भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु के नामों में से सुखदेव का नाम हटाकर एक मुसलिम नाम जोड़ दिया गया। डाॅ. अजय दत्त शर्मा, डाॅ. महेश दत्त शर्मा, रामलखन यादव, अनुरक्ति मुद्गल, हर्षित पांडेय, शौकत अली, रुकैया परवीन आदि ने पालघर हत्याकांड की सीबीआई से जांच कराने तथा महाराष्ट्र की पाठ्यपुस्तकों में शहीद सुखदेव का नाम पुनः जोड़े जाने की मांग की।