कुछ अच्छी आदतें, जिनका हमें प्रयोग करना चाहिए….?

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 कहीं भी बाहर से घर आने के बाद, किसी बाहरी वस्तु को हाथ लगाने के बाद, खाना बनाने से पहले, खाने से पहले, खाने के बाद और बाथरूम का उपयोग करने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। यदि आपके घर में कोई छोटा बच्चा है तब तो यह और भी जरूरी हो जाता है। उसे हाथ लगाने से पहले अपने हाथ अच्छे से जरूर धोएं।हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा स्वस्थ रहें। इसके लिए आप उन्हें हैल्दी डाइट देते भी हैं लेकिन इसके बावजूद भी बच्चे बीमार पड़ जात हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सेहतमंद रहने के लिए अच्छी डाइट के साथ-साथ अच्छी आदतें होना भी जरूर हैं। सुबह जल्दी उठने से लेकर समय-समय पर हाथ धोना जैसी अच्छी आदतों से ही बच्चे सेहतमंद रहते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी ही आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं, जोकि आपके बच्चे को स्वस्थ और चुस्त-फुर्त रखेगी। खाने के बीच में पानी ना पीना-आमतौर पर बच्चे खाने के बीच में ही पानी पीने लगते है लेकिन इससे सेहत को नुकसान होता है। खाना खाते समय पानी पीने से बच्चों के पेट में गैस्ट्रिक ज्यूसेस का बनता है, जिससे खाना डाइजेस्ट नहीं हो पाता और उन्हें एसिडिटी की प्रॉब्लम हो जाती है। इसलिए बच्चों को हमेशा खाना खाने के बाद ही पानी पीने के लिए कहें।

भोजन सही समय पर करना- बच्चों को 8 बजे खाना खिलाने के बाद जल्दी सोने के लिए कहें। आयुर्वेद के अनुसार, हर किसी को रात 8 बजे तक भोजन कर लेना चाहिए। इससे आप बच्चों को मोटापे और पाचनतंत्र से जुड़ी समस्याओं से बचा सकते हैं। इसके साथ ही इससे बच्चों को नींद भी अच्छी आती है और अगले दिन वह तरोताजा महसूस करते हैं।

खाने से पहले और बाद में हाथ धोएं-  सेहतमंद रहने के लिए अपने बच्चों को ये हैल्दी आदत जरूर सिखाएं। अगर आपको अपने बच्चों को स्वस्थ रखना है तो उन्हें खाने से पहले और बाद में हाथ धोने के लिए जरूर कहें। इससे आप बच्चों को डायरिया, भोजन से जुड़े इंफेक्शन और हेपटाइटिस जैसी प्रॉब्लम से बचा सकते हैं। इसके अलावा उन्हें बाहर से आने पर बी हाथ-पैर साफ करने के लिए कहें।

खाना खाने के बाद कुल्ला करना-     क्या भोजन करने के बाद आप बच्चों को कुल्ला करने के लिए कहते हैं?… अगर नहीं तो ही बच्चों को यह आदत अपनाने के लिए कहें। बच्चों को जमर्स प्रॉब्लम ज्यादातर इसी कारण होती है। क्योंकि खाना मुंह में फंसा रह जाता है, जिससे बाद में बैक्टीरिया पैदा होते हैं। इसके कारण बच्चों को कैविटीज सांस की बदबू और मसूड़ों में दर्द हो सकता है। इसलिए बच्चों को खाने के बाद कुल्ला करने के लिए जरूर कहें।

      ताजी सब्जियों-फलों का प्रयोग करें। उपयोग में आने वाले मसाले, अनाजों तथा अन्य सामग्री का भंडारण भी सही तरीके से करें तथा एक्सपायरी डेट वाली वस्तुओं पर तारीख देखने का ध्यान रखें।बहुत ज्यादा तेल, मसालों से बने, बैक्ड तथा गरिष्ठ भोजन का उपयोग न करें। खाने को सही तापमान पर पकाएं और ज्यादा पकाकर सब्जियों आदि के पौष्टिक तत्व नष्ट न करें। साथ ही ओवन का प्रयोग करते समय तापमान का खास ध्यान रखें। भोज्य पदार्थों को हमेशा ढंककर रखें और ताजा भोजन खाएं।खाने में सलाद, दही, दूध, दलिया, हरी सब्जियों, साबुत दाल-अनाज आदि का प्रयोग अवश्य करें। कोशिश करें कि आपकी प्लेट में ‘वैरायटी ऑफ फूड’ शामिल हो। खाना पकाने तथा पीने के लिए साफ पानी का उपयोग करें। सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लाएं।