जब ईद और जैन संतों के चातुर्मास के धार्मिक आयोजनों पर रोक लगाई गई है तो फिर जयपुर में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा और मंत्रियों के नेतृत्व में पैदल मार्च क्यों निकाला गया?क्या कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की भीड़ से कोरोना वायरस नहीं फैलेगा…?
जयपुर- जुलाई 17 को जयपुर में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और सरकार के कई मंत्रियों के नेतृत्व में पैदल मार्च निकाला गया। इस मार्च में कांग्रेस के हजारों कार्यकर्ता शामिल हुए। बाद में केन्द्र सरकार की नीतियों के विरुद्ध धरना भी दिया गया। पैदल मार्च और धरने में कोविड-19 के दिशा निर्देशों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। सत्तारूढ़ पार्टी का यह प्रदर्शन तब हुआ है जब 16 जुलाई को ही राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर 21 जुलाई को होने वाले ईद के पर्व और जैन संतों के चार्तुमास के धार्मिक आयोजनों पर रोक लगाई है।
सरकार के आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि ईद के दिन किसी भी धार्मिक स्थल पर इबादत का कार्यक्रम नहीं होगा। यानी मुसलमान भाई ईदगाहों अथवा बड़ी मस्जिदों में सामूहिक तौर पर नमाज भी अदा नहीं कर सकेंगे। इसी प्रकार बरसात के दिनों में जैन संतों के चर्तुमास के दौरान होने वाले धार्मिक आयोजनों पर भी पूरी तरह रोक लगा दी गई है। यानी अब चार्तुमास के दौरान कोई जैन संत प्रवचन के आयोजन नहीं कर सकेंगे। सरकार ने यह रोक इसलिए लगाई है ताकि कोरोना वायरस को फैलने से रोका जाए। सरकार की ओर से कहा गया है कि भीड़ एकत्रित होने से कोरोना वायरस फैलता है।
अब विशेषज्ञ भी मानते हैं कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका बनी हुई है। इसमें कोई दो राय नहीं कि दूसरी लहर की परेशानियों को देखते हुए लोगों को कोरोना की तीसरी लहर से बचने की जरूरत है। ऐसे में भीड़ वाले आयोजन नहीं होने चाहिए। लेकिन 17 जुलाई को कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जिस तरह पैदल मार्च और धरना प्रदर्शन किया उससे जाहिर है कि सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ता ही अपनी सरकार के आदेश को नहीं मान रहे हैं। ऐसा नहीं ऐसे राजनीतिक प्रदर्शन सिर्फ कांग्रेस के कार्यकर्ता ही कर रहे हैं। विगत दिनों भाजपा के कार्यकर्ताओं ने भी कानून व्यवस्था को लेकर प्रदेशभर में धरना प्रदर्शन किया था। लेकिन ऐसे धरना प्रदर्शनों को रोकने की जिम्मेदारी सरकार की ही है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जता रहे हैं। अखबारों में बड़े बड़े विज्ञापन देकर भी यह बताया गया है कि कोरोना का डेल्टा प्लस वायरस राजस्थान में प्रवेश कर चुका है। यदि डेल्टा प्लस वायरस अपने पैर पसारता है तो फिर राजस्थान वासियों को परेशानी के दौर से गुजरना पड़ेगा। सवाल यह भी है कि जब किसी दुकान पर भीड़ होने पर जिला प्रशासन दुकान के खिलाफ कार्यवाही करता है तो फिर धरना प्रदर्शनों के दौरान राजनीतिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ कोविड-19 के नियमों के तहत कार्यवाही क्यों नहीं होती हैं? 17 जुलाई को भी कांग्रेस के पैदल मार्च और धरने के समय बड़ी संख्या में पुलिस तैनात थी, लेकिन पुलिस ने किसी भी कार्यकर्ता के खिलाफ कानून को तोड़ने को लेकर कार्यवाही नहीं की।