नेताजी सुभाषचंद्र बोस को मिली थी ‘देशभक्तों के देशभक्त’ की उपाधि, रहस्य बनकर रह गई मौत।
-प्रतिमा जायसवाल-
भारत की स्वतंत्रता के लिए आज़ाद हिंद फ़ौज का नेतृत्व करने वाले सुभाष चंद्र बोस की मौत एक रहस्य बनी हुई है। हाल में इस मुद्दे पर फिर राजनीतिक हलकों और बुद्धिजीवियों के बीच तीखी बहस छिड़ गई है।आख़िर ‘नेताजी’ सुभाष बोस किन परिस्थियां में ग़ायब हुए या फिर उनकी मौत हुई? क्यों कई जाने-माने लोग उनकी मौत की ख़बर पर भरोसा नहीं कर रहे है?
आजादी के लिए लड़ने वाले क्रांतिकारी देश के वो असली हीरो हैं। जिन्हें हमेशा याद रखा जाएगा। इनमें से कई क्रांतिकारी तो ऐसे हैं जिनकी कहानियां आज भी युवाओं के बीच काफी चर्चित हैं। बात करें, नेताजी सुभाषचंद्र बोस की, तो उनके जीवन से ज्यादा उनकी मौत रहस्यमय थी। आज उनका जन्मदिन है। आइए, जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े खास पहलू।
सरकारी नौकरी ठुकराकर देश सेवा को बनाया था मकसद –
सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ कटक के मशहूर वकील थे। कटक में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने रेवेनशा कॉलिजियेट स्कूल में दाखिला लिया। जिसके बाद उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। 1919 में बीए की परीक्षा उन्होंने प्रथम श्रेणी से पास की, यूनिवर्सिटी में उन्हें दूसरा स्थान मिला था। उनके पिता की इच्छा थी कि सुभाष आईसीएस बनें। उन्होंने अपने पिता की यह इच्छा पूरी की।
1920 की आईसीएस परीक्षा में उन्होंने चौथा स्थान पाया मगर सुभाष का मन अंग्रेजों के अधीन काम करने का नहीं था। 22 अप्रैल 1921 को उन्होंने इस पद से त्यागपत्र दे दिया।गांधी जी से इस बात से नाराज हो गए थे सुभाष चंद्र बोस की पहली मुलाकात गांधी जी से 20 जुलाई 1921 को हुई थी। गांधी जी की सलाह पर वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए काम करने लगे।भगत सिंह को फांसी की सजा से रिहा कराने के लिए वे जेल से प्रयास कर रहे थे।
उनकी रिहाई के लिए उन्होंने गांधी जी से बात की और कहा कि रिहाई के मुद्दे पर किया गया समझौता वे अंग्रेजों से तोड़ दें। इस समझौते के तहत जेल से भारतीय कैदियों के लिए रिहाई मांगी गई थी। गांधी जी ब्रिटिश सरकार को दिया गया वचन तोड़ने के लिए राजी नहीं हुए, जिसके बाद भगत सिंह को फांसी दे दी गई। इस घटना के बाद वे गांधी और कांग्रेस के काम करने के तरीके से बहुत नाराज हो गए थे। गांधीजी ने सुभाष चंद्र बोस को ‘देशभक्तों के देशभक्त’ की उपाधि से नवाजा था।
विमान हादसे में हुई थी नेताजी की मौत..!
तथ्यों के मुताबिक 18 अगस्त, 1945 को नेताजी हवाई जहाज से मंचुरिया जा रहे थे और इसी हवाई सफर के बाद वो लापता हो गए। हालांकि, जापान की एक संस्था ने उसी साल 23 अगस्त को ये खबर जारी किया कि नेताजी का विमान ताइवान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसके कारण उनकी मौत हो गई। लेकिन इसके कुछ दिन बाद खुद जापान सरकार ने इस बात की पुष्टि की थी कि, 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में कोई विमान हादसा नहीं हुआ था।
इसलिए आज भी नेताजी की मौत का रहस्य खुल नहीं पाया है। वहीं, भारत सरकार ने RTI के जवाब में ये बात साफ़ तौर पर कही है कि उनकी मौत एक विमान हादसे में हुई थी। हालांकि, भारत सरकार की इस बात से सुभाष चंद्र बोस का परिवार काफी नाराज है और इसे एक गैर जिम्मेदाराना हरकत बताया था। नेताजी के पोते चंद्र कुमार बोस ने ये कहा है, ‘केंद्र सरकार इस तरह कैसे जवाब दे सकती है, जबकि मामला अभी सुलझा नहीं है।’ नेताजी अपने क्रांतिकारी विचारों की वजह से युवाओं के बीच आज भी पॉपुलर हैं।