मोदी कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति को दी हरी झंडी

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केवल 12वीं क्‍लास में होगा बोर्ड, MPhil होगा बंद, कॉलेज की डिग्री 4 साल की कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति (New Education Policy 2020) को हरी झंडी दे दी हैमोदी सरकार ने घोषित की 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति, MHRD का बदला नाम सरकारी, निजी, डीम्‍ड सभी संस्‍थानों के लिए होंगे समान नियम हायर एजुकेशन सेक्रटरी अमित खरे ने बताया, ‘ नए सुधारों में टेक्नॉलॉजी और ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है,अभी हमारे यहां डीम्ड यूनविर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं । नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत सभी के लिए नियम समान होंगे। 34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है.खास बातें34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव 10वीं बोर्ड खत्‍म, MPhil भी होगा बंदमानव संसाधन मंत्रालय अब होगा शिक्षा मंत्रालयनई दिल्‍ली, कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति (New Education Policy 2020) को हरी झंडी दे दी है मोदी सरकार ने घोषित की 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति, MHRD का बदला नाम सरकारी, निजी, डीम्‍ड सभी संस्‍थानों के लिए होंगे समान नियम हायर एजुकेशन सेक्रटरी अमित खरे ने बताया, ‘ नए सुधारों में टेक्नॉलॉजी और ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है,अभी हमारे यहां डीम्ड यूनविर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं । नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत सभी के लिए नियम समान होंगे। 34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है, HRD मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि ये नीति एक महत्वपूर्ण रास्ता प्रशस्‍त करेगी.  ये नए भारत के निर्माण में मील का पत्थर साबित होगी मोदी सरकार ने घोषित की 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति, MHRD का बदला नाम सरकारी, निजी, डीम्‍ड सभी संस्‍थानों के लिए होंगे समान नियम हायर एजुकेशन सेक्रटरी अमित खरे ने बताया, ‘ नए सुधारों में टेक्नॉलॉजी और ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है,अभी हमारे यहां डीम्ड यूनविर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं । नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत सभी के लिए नियम समान होंगे। इस नीति पर देश के कोने कोने से राय ली गई है और इसमें सभी वर्गों के लोगों की राय को शामिल किया गया है. देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि इतने बडे़ स्तर पर सबकी राय ली गई हैअहम बदलाव – नई शिक्षा नीति के तहत अब 5वीं तक के छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही पढ़ाया जाएगामोदी सरकार ने घोषित की 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति, MHRD का बदला नाम सरकारी, निजी, डीम्‍ड सभी संस्‍थानों के लिए होंगे समान नियम हायर एजुकेशन सेक्रटरी अमित खरे ने बताया, ‘ नए सुधारों में टेक्नॉलॉजी और ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है,अभी हमारे यहां डीम्ड यूनविर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं । नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत सभी के लिए नियम समान होंगे। बाकी विषय चाहे वो अंग्रेजी ही क्यों न हो, एक सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ाया जाएगा- अब सिर्फ 12वींं में बोर्ड की परीक्षा देनी होगी मोदी सरकार ने घोषित की 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति, MHRD का बदला नाम सरकारी, निजी, डीम्‍ड सभी संस्‍थानों के लिए होंगे समान नियम हायर एजुकेशन सेक्रटरी अमित खरे ने बताया, ‘ नए सुधारों में टेक्नॉलॉजी और ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है,अभी हमारे यहां डीम्ड यूनविर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं । नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत सभी के लिए नियम समान होंगे।जबकि इससे पहले 10वी बोर्ड की परीक्षा देना अनिवार्य होता था, जो अब नहीं होगामोदी सरकार ने घोषित की 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति, MHRD का बदला नाम सरकारी, निजी, डीम्‍ड सभी संस्‍थानों के लिए होंगे समान नियम हायर एजुकेशन सेक्रटरी अमित खरे ने बताया, ‘ नए सुधारों में टेक्नॉलॉजी और ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है,अभी हमारे यहां डीम्ड यूनविर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं । नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत सभी के लिए नियम समान होंगे।

  • 9वींं से 12वींं क्लास तक सेमेस्टर में परीक्षा होगी. स्कूली शिक्षा को 5+3+3+4 फॉर्मूले के तहत पढ़ाया जाएगा।
  • वहीं कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल की होगी. यानि कि ग्रेजुएशन के पहले साल पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल पर डिप्‍लोमा, तीसरे साल में डिग्री मिलेगी।
  • 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेना है. वहीं हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी। 4 साल की डिग्री करने वाले स्‍टूडेंट्स एक साल में  MA कर सकेंगे।
  • अब स्‍टूडेंट्स को  MPhil नहीं करना होगा. बल्कि MA के छात्र अब सीधे PHD कर सकेंगे।
कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति को हरी झंडी दे दी है, 34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है।

10वीं में नहीं होगा बोर्ड एग्‍जाम

इतने बड़े पैमाने पर जुटाई गई थी राय,इस शिक्षा नीति के लिए कितने बड़े स्तर पर रायशुमारी की गई थी, इसका अंदाजा इन आंकड़ों से सहज ही लगाया जा सकता है. इसके लिए 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6,600 ब्लॉक्स, 676 जिलों से सलाह ली गई थी।

स्‍टूडेंट्स बीच में कर सकेंगे दूसरे कोर्स ,हायर एजुकेशन में 2035 तक ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो 50 फीसदी हो जाएगा, वहीं नई शिक्षा नीति के तहत कोई छात्र एक कोर्स के बीच में अगर कोई दूसरा कोर्स करना चाहे तो पहले कोर्स से सीमित समय के लिए ब्रेक लेकर वो दूसरा कोर्स कर सकता है।

हायर एजुकेशन में भी कई सुधार किए गए हैं। सुधारों में ग्रेडेड अकेडमिक, ऐडमिनिस्ट्रेटिव और फाइनेंशियल ऑटोनॉमी आदि शामिल हैं । इसके अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्स शुरू किए जाएंगे. वर्चुअल लैब्स विकसित किए जाएंगे। एक नैशनल एजुकेशनल साइंटफिक फोरम (NETF) शुरू किया जाएगा. बता दें कि देश में 45 हजार कॉलेज हैं।

केंद्र सरकार एक बड़ी घोषणा करते हुए शिक्षा नीति में अहम बदलाव कर दिया है। देश में प्रचलित 34 साल पुरानी शिक्षा नीति में बदलाव करके अब नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी गई हे। इस नीति की सबसे खास बात यह है कि अब 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह से समाप्‍त कर दिया जाएगा। इसे शिक्षा जगत में निर्णायक बदलाव माना जा रहा है। कैबिनेट की बैठक के बाद यह ऐलान किया गया। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई। केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदल कर अब शिक्षा मंत्रालय किया गया है। भारत सरकार के अनुसार, कैबिनेट ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दी। उच्च शिक्षा में प्रमुख सुधारों में 2035 तक 50 फीसद सकल नामांकन अनुपात का लक्ष्य रखा गया है। इसमें एकाधिक प्रवेश/ निकास का प्रावधान शामिल है।मोदी सरकार ने घोषित की 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति, MHRD का बदला नाम सरकारी, निजी, डीम्‍ड सभी संस्‍थानों के लिए होंगे समान नियम हायर एजुकेशन सेक्रटरी अमित खरे ने बताया, ‘ नए सुधारों में टेक्नॉलॉजी और ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है,अभी हमारे यहां डीम्ड यूनविर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं । नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत सभी के लिए नियम समान होंगे।

उच्‍च शिक्षा में किए गए ये आवश्‍यक सुधार

उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने कहा कि उच्‍च शिक्षा में कई सुधार किए गए हैं। सुधारों में ग्रेडेड अकैडमिक, प्रशासनिक और वित्‍तीय स्‍वायत्‍त्‍तता आदि शामिल है। नई शिक्षा नीति और सुधारों के बाद हम 2035 तक 50 फीसद सकल नामांकन अनुपात प्राप्त करेंगे।

  • नई शिक्षा नीति में सभी उच्च शिक्षा के लिए एक एकल नियामक गठन किया जाएगा। कई ‘निरीक्षणों’ के स्थान पर अनुमोदन के लिए स्व प्रकटीकरण आधारित पारदर्शी प्रणाली के तहत काम करना शामिल है।
  • क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्स शुरू किए जाएंगे। वर्चुअल लैब्स विकसित किए जाएंगे। एक नेशनल एजुकेशनल साइंटफिक फोरम शुरू किया जाएगा।
  • देश में 45,000 कॉलेज हैं। ग्रेडेड स्वायत्तता के तहत कॉलेजों को शैक्षणिक, प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता दी जाएगी।
  • मल्टिपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल बाद डिग्री दी जाएगी।
  • 4साल का डिग्री प्रोग्राम फिर M.A. और उसके बाद बिना M.Phil के सीधा PhD कर सकते हैं।
  • बोर्ड परीक्षाओं के लिए कई प्रस्ताव नई एजुकेशन पॉलिसी में है। बोर्ड परीक्षाओं के महत्व के कम किया जाएगा। इसमें वास्तविक ज्ञान की परख की जाएगी।
  • कक्षा 5 तक मातृभाषा को निर्देशों का माध्यम बनाया जाएगा। रिपोर्ट कार्ड में सब चीजों की जानकारी होगी।
  • नए सुधारों में टेक्नोलॉजी और ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है। अभी हमारे यहां डीम्ड यूनविर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं। नई एजुकेशन पॉलिसी के तहते सभी के लिए नियम समान होगा।

नई शिक्षा नीति जानिये एक नज़र में-

  • हर छात्र की क्षमताओं को बढ़ावा देना प्राथमिकता होगी।
  • छात्रों के लिए कला और विज्ञान के बीच कोई कठिनाई, अलगाव नहीं होगा।
  • शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी जागरूक करने पर जोर।
  • वैचारिक समझ पर जोर होगा, रचनात्मकता और महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा मिलेगा।
  • नैतिकता, संवैधानिक मूल्य पाठ्यक्रम का प्रमुख हिस्सा होंगी।

स्कूली शिक्षा का बदलेगा स्वरूप

  • राज्य की खूबियों और जानकारियों के आधार पर सभी राज्य अपना पाठ्यक्रम तैयार करेंगे। सभी स्थानीय भाषाओं में स्कूली किताबों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने पर फोकस रहेगा। बस्ते का बोझ कम रखा जाएगा।
  • 10+2 के ढांचे को 5+3+3+4 के चार स्तर में बदला जाएगा।
  • स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने के लिए राज्य स्तर पर स्कूल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी गठित की जाएगी। गली-मोहल्लों में खुले कम गुणवत्ता वाले स्कूलों पर रहेगी नजर।
  • पांच साल के पहले चरण में तीन साल आंगनवाड़ी या प्री-स्कूल और दो साल पहली व दूसरी कक्षा की पढ़ाई होगी।
  • इसके बाद तीसरी से पांचवीं कक्षा, छठी से आठवीं कक्षा और नौवीं से 12वीं कक्षा के तीन स्तर रहेंगे।
  • तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षा में संबंधित अथॉरिटी द्वारा परीक्षाओं का आयोजन होगा। 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं होती रहेंगी।

उच्च शिक्षा का स्तर होगा ऊंचा

  • सरकारी और निजी सभी उच्च शिक्षण संस्थानों पर एक ही तरह के नियम और मानक लागू होंगे।
  • उच्च शिक्षा में शोध की संस्कृति और क्षमता बढ़ाने के लिए सर्वोच्च संस्था के तौर पर नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का गठन किया जाएगा।
  • उच्च शिक्षा में विषयों के क्रिएटिव कॉम्बिनेशन के साथ छात्रों को बीच में विषय बदलने का मौका मिलेगा।
  • विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों से मिले क्रेडिट का लेखजोखा रखने के लिए डिजिटल स्तर पर एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट बनाया जाएगा। फाइनल डिग्री में इन क्रेडिट को जोड़ा जा सकेगा।
  • मेडिकल और लीगल के अलावा पूरी उच्च शिक्षा को एक दायरे में लाने के लिए हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया का गठन होगा।
  • सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक प्रवेश परीक्षा होगी, जिससे छात्रों का समय और धन दोनों बचेगा।

अध्यापन के मानक भी बदलेंगे

  • अध्यापकों के लिए कॉमन नेशनल प्रोफेशनल स्टैंडर्ड्स तैयार किए जाएंगे। एनसीईआरटी, एससीईआरटी, अध्यापकों एवं विशेषज्ञ संस्थानों से चर्चा के आधार पर नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन इसे तैयार करेगा।
  • 2030 तक अध्यापन के लिए 4 साल की न्यूनतम इंटीग्रेटेड बीएड की डिग्री जरूरी की जाएगी।
  • इच्छुक वरिष्ठ एवं रिटायर्ड अध्यापकों का बड़ा पूल बनेगा, जो यूनिवर्सिटी व कॉलेज के अध्यापकों को पेशेवर सहयोग देंगे।

कुछ अहम बातें

  • सभी राज्यों/जिलों को डे-टाइम बोर्डिंग स्कूल के रूप में “बाल भवन” बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसमें कला, करियर और खेल से जुड़ी गतिविधियां होंगी।
  • शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले खर्च को जीडीपी के छह फीसद तक लाने का लक्ष्य। अभी यह जीडीपी के चार फीसद के बराबर है।
  • कला और विज्ञान संकाय के बीच, शैक्षणिक व गैर-शैक्षणिक गतिविधियों के बीच, वोकेशनल व एकेडमिक स्ट्रीम के बीच कोई सख्त बंटवारा नहीं होगा।
  • कक्षा पांच तक अनिवार्य रूप से मातृभाषा और स्थानीय भाषा में पढ़ाई होगी। इसके बाद की कक्षाओं में भी इसे प्राथमिकता में रखा जाएगा।
  • स्कूल और उच्च शिक्षा में संस्कृत का विकल्प मिलेगा। सेकेंडरी लेवल पर कोरियाई, स्पेनिश, पुर्तगाली, फ्रेंच, जर्मन, जापानी और रूसी आदि विदेशी भाषाओं में से चुनने का भी मौका होगा।
  • छात्रवृत्ति पाने वाले छात्रों का लेखाजोखा रखने के लिए नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल बनेगा, निजी उच्च शिक्षण संस्थानों को भी मुफ्त शिक्षा एवं छात्रवृत्ति के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • महामारी के कारण उपजी स्थिति को ध्यान में रखते हुए नीति में यह प्रस्ताव भी है कि जहां शिक्षा के पारंपरिक तरीके संभव नहीं हों, वहां वैकल्पिक माध्यमों को बढ़ावा दिया जाए।

नई नीति के पांच स्तंभ

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर नई शिक्षा के पांच स्तंभों का उल्लेख किया। ये पांच स्तंभ हैं एक्सेस (सब तक पहुंच), इक्विटी (भागीदारी), क्वालिटी (गुणवत्ता), अफोर्डेबिलिटी (किफायत) और अकाउंटेबिलिटी (जवाबदेही)।