नरक की आदि जनता

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श्याम कुमार, वरिष्ठ पत्रकार

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आजादी के बाद नेहरू वंश के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने देश की हर तरह से दुर्दशा की, जिससे देश उन्नति करने के बजाय निरंतर पिछड़ता चला गया। नेहरू वंश की हर पीढ़ी बार-बार गरीबी हटाने के जुमले उछालकर जनता को बेवकूफ बनाती रही, किन्तु सत्तर साल में गरीबी समाप्त होने के बजाय और विकराल रूप लेती गई।चीन भारत की आजादी के एक वर्ष बाद आजाद हुआ, पर वह कई साल पहले विश्व की तीसरी महाशक्ति बन चुका है। इसके विपरीत भारत गरीब और विकासशील ही बना रहा। इसके लिए सत्ता को अधिकाधिक समय तक अपने कब्जे में रखने वाला नेहरू वंश नहीं जिम्मेदार है तो और कौन जिम्मेदार है?

उस स्थिति के परिणामस्वरूप देशवासी यह भूल गए थे कि हमारे देश में कभी उजाला होगा।खोखली नारेबाजी व जुमलेबाजी, फर्जी विकास का दिखावा, घोर वंशवाद तथा चरम भ्रष्टाचार, लूट व घोटाले हमारे देश की नियति बन गए थे। देश का धन चलनी की तरह छनकर लुटेरे नेताओं एवं भ्रष्ट अफसरों की तिजोरियां भरता रहा।ऐसी बात नहीं कि देश को मोदी से पहले ईमानदार प्रधानमंत्री नहीं मिले। मुरारजी देसाई व लालबहादुर शास्त्री ईमानदार, योग्य एवं साहसपूर्ण प्रधानमंत्री थे। मगर उनका कार्यकाल इतना छोटा था कि वे अधिक कुछ नहीं कर पाए। मुरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी की सरकार को कांग्रेस ने कुचक्र रचकर गिरा दिया था। मुरारजी देसाई निकले तो थे कांग्रेसी कोख से, लेकिन कांग्रेस को नेहरू वंश ने जो भयंकर रूप से प्रदूषित कर डाला था और देशद्रोह के रंग में रंग दिया था, उससे उन्होंने अपने को पूरी तरह मुक्त कर लिया था। बिलकुल वैसे ही, जैसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस, डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, डाॅ. अम्बेदकर, डाॅ. लोहिया आदि तमाम देशभक्त नेताओं का जन्म कांग्रेसी घर में हुआ, लेकिन वे अपने को उस माहौल से पूरी तरह अलग करने में सफल रहे।


जवाहरलाल नेहरू एवं इंदिरा गांधी ने सत्ता की लोलुपता में मुसलिम- तुष्टिकरण की पराकाष्ठा करते हुए देशहित का परित्याग कर दिया था। उसी कड़ी में उन्होंने भारत के परम हितैषी हो सकने वाले इजराइल का बहिष्कार कर रखा था। लेकिन इस कांग्रेसी विकृति से मुक्ति पाने वाले मुरारजी देसाई ने इजराइल से भारत का सम्बंध बनाने की दिशा में पहल की।लालबहादुर शास्त्री लाला लाजपत राय के अनुयायी थे, लेकिन नेहरू के कार्यकाल में उनके चाटुकार माने जाने लगेे थे। मगर नेहरू के बाद प्रधानमंत्री बनते ही लाल बहादुर शास्त्री ने मात्र अट्ठारह महीने के अपने कार्यकाल में देश को नेहरूवाद के चोले से आजाद करते हुए भारत को कायर देश से बहादुर देश का रूप देने का प्रयास किया और पाकिस्तान को युद्ध में जोरदार पटकनी भी दी। नेहरू वंश को यह परिवर्तन बर्दाश्त नहीं हुआ और लालबहादुर शास्त्री की हत्या हो गई।


नेहरू भ्रष्ट, कायर, अदूरदर्शी व पूरी तरह अयोग्य प्रधानमंत्री थे और हकीकत में अपने समय के ‘राहुल गांधी’ थे।नेहरू वंश के उत्तराधिकारी के रूप में इंदिरा गांधी भी अपने पिता की तरह पूर्णतया वंशवादी एवं स्वार्थी तो थीं ही, बेहद कमजोर, भ्रष्ट और मूर्ख प्रधानमंत्री सिद्ध हुईं। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि उन्होंने भारतीय सेना द्वारा बंदी बनाए गए लगभग एक लाख कैदियों को बिना शर्त पाकिस्तान को सौंप दिया था। वह कैदियों को छोड़ने के बदले में बड़ी आसानी से पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर का हिस्सा वापस ले सकती थीं। लेकिन उन्होंने तो बदले में पाकिस्तानी जेल में बंद भारतीय कैदियों तक को नहीं मुक्त कराया।नेहरू की तरह इंदिरा गांधी भी देश का विकास करने के बजाय सिर्फ जुमले उछालती रहीं तथा अपने खानदान एवं उसके चाटुकारों का विकास करती रहीं।


इंदिरा गांधी के बाद राजीव गांधी अवैध रूप से प्रधानमंत्री बन गए और पूर्णरूपेण डपोरशंख प्रधानमंत्री सिद्ध हुए। सत्ता संभालते ही उन्होंने पांच हजार सिखों का निर्मम नरसंहार कराया। उनकी सरकार भी मूर्खताओं एवं भ्रष्टाचार का पर्याय थी।राजीव गांधी एक विदेशी महिला को पत्नी बनाकर ले आए, जिसने विवाह के अनेक वर्षों तक भारत की नागरिकता ली ही नहीं। वर्ष १९६८ में विवाह हुआ तो वर्ष १९८३ में यहां की नागरिकता ली।देश में तमाम उथलपुथल के बाद आई अटल सरकार ने देश की किस्मत बदलने का काम शुरू किया। अटलबिहारी वाजपेयी एवं लालकृष्ण अडवाणी की जोड़ी के नेतृत्व में उस सरकार ने देश की दिशा व दशा बदलने में महत्वपूर्ण कदम उठाए। लेकिन वह भाजपा के नेतृत्व वाले जनतांत्रिक गठबंधन(एनडीए) की खिचड़ी सरकार थी। इसीलिए उसकी सीमा थी और वह नर्म रहने को विवश थी।


सुना तो यह गया था कि अटलबिहारी वाजपेयी ने सोनिया गांधी से यह गुप्त समझौता किया है कि सोनिया गांधी उनकी सरकार के संचालन में बाधक नहीं होंगी, जिसके बदले में अटल सरकार सोनिया गांधी और उनके घर के लोगों के अथाह भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करेगी। संभवतः यही चर्चित कारण था कि जब राहुल गांधी अमरीका में चरस के साथ गिरफ्तार किए गए थे तो सोनिया गांधी के अनुरोध पर अटलबिहारी वाजपेयी ने अमरीका-स्थित भारतीय दूतावास से कहकर राहुल गांधी को छुड़वाया था।वर्ष २००४ में हुए लोकसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पिछड़ गई तो उसके नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सत्ताच्युत हो गया। यद्यपि उस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को पूर्ण बहुत नहीं मिला, किन्तु जोड़तोड़ कर कांग्रेस ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(यूपीए) के रूप में सरकार बनाने में सफलता प्राप्त कर ली। उस समय सबसे पहले सोनिया गांधी गठबंधन की मुखिया बनकर प्रधानमंत्री पद की दावेदारी लेकर राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के पास गई थीं। लेकिन राष्ट्रपति ने सोनिया गांधी को यह कहकर प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाने से मना कर दिया था कि विदेशी मूल के व्यक्ति को देश का प्रधानमंत्री नहीं बनाया जा सकता। इसी से सोनिया गांधी एपीजे अब्दुल कलाम से इतना खार खा बैठीं कि बाद में एक बार जब अब्दुल कलाम को पुनः राष्ट्रपति बनाए जाने की बात उठी तो कांग्रेस पार्टी ने साफ मना कर दिया था।


जब सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाने से मना कर दिया गया तो शातिर-दिमाग उन्होंने अपने परखे हुए अंधसमर्थक मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनवा दिया। अपने बारे में सोनिया गांधी ने बड़ी चतुराई से यह प्रचारित किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री पद को ठुकराकर बहुत बड़ा त्याग किया है, जबकि वास्तविकता यह थी कि वह तो प्रधानमंत्री पद का दावा लेकर राष्ट्रपति के पास गई थीं, जहां से उन्हें निराश लौटा दिया गया था। मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद नेहरू वंश की डरबी- वाली लाटरी खुल गई। मनमोहन सिंह कुरसी के लालच में डूबकर सोनिया गांधी के कठपुतले बन गए और उस सरकार का असली संचालन सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी एवं राॅबर्ट वाड्रा के हाथ में आ गया। देशद्रोही वामपंथियों की भी चांदी हो गई, जो फर्जी सेकुलरवाद व मुसलिमवाद के नाम पर सोनिया गांधी के दाहिने हाथ बन गए। भरपूर संरक्षण पाकर देशद्रोही तत्व देश के कोने-कोने में फैल गए और उन्होंने अपने को बहुत मजबूत कर लिया। आज वही तत्व देश में हर जगह उत्पात मचा रहे हैं।मनमोहन सिंह/सोनिया गांधी की वह सरकार पूरी तरह लुटेरी सरकार थी। धरती, आकाश, पाताल, हर जगह घोटाले ही घोटाले होते रहे। उस सरकार के दस-वर्षीय कार्यकाल में बारह लाख करोड़ के घोटाले हुए। घोटालों के साथ महंगाई ने भी विश्व-कीर्तिमान बना लिया था। [/responsivevoice]

साभार श्याम कुमार की फेसबुक वाल से