जब सबै नंगे हैं तो हमार नंगा हमरे लिए ठीक है …

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जब सबै नंगे हैं तो हमार नंगा हमरे लिए ठीक है …

जब सबै नंगे हैं तो हमार नंगा हमरे लिए ठीक है …अभी चर्चाएं चल ही रही थी की जाड़े के बाद भी क्या बच्चों तक स्वेटर पहुंची तो अखिलेश कार्यकाल की एक घटना का जिक्र भी हुआ लखनऊ में एक बुजुर्ग समाजवादी चिंतक ने कहा कि संपादक जी पूत के पावं पालने में ही दिख जाते हैं मै आपको बताऊं की 3 साल पहले जाडे़ के माह में अखिलेश यादव का जनता दरबार लगा था। कोई पुराना समावादी कार्यकर्त्ता अखिलेश यादव के पास जाता है और कहता है बेटवा तुम्हारे पिता जी ठीक हैं और उनका हालचाल लेता है उस बुजुर्ग व्यक्ति की उम्र लगभग 70 बरस रही होगी।
वह तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को आदेश के लहजे में कहता है पोती की शादी है 20 दिन बाद। गांव में आरसीसी सड़क तुरन्त बनवाओ। उस बुजुर्ग के आदेश परक निवेदन को देखकर सब हैरान थे। लेकिन अखिलेश यादव कहते हैं दादा आराम से घर जाओ हम 15 दिन में सड़क बनवा देंगें। जाड़ा काफी था ऐसे में अखिलेश यादव उसे मुलायम सिंह के लिए आये कमीज को भी देते हैं लेकिन वह तुरन्त अखिलेश को मना कर देते हैं और कान में अखिलेश से बुदबुदा कर कहते हैं देखो, गांव से एक पंडित जी आये हैं ये उनको दे देना, नहीं तो वह कहेंगे की हम यादव थे तो देखो उन्हें कमीज दी…और नेता जी जब सैफाई से आये तो बता देना की फलाने गांव के फलाने आये थे… आज भी आम जनमानस में इस बात की चर्चा सदैव रहती है कि नेताजी मुलायम सिंह यादव का परिवार आमजन नागरिकों के लिए काफी संवेदनशील रहता है
खैर बात इसलिए बता रहा हँू कि कहते मुलायम अपने कार्यकत्ताओं के लिए कुछ कर गुजरने के लिए तैयार रहते हैं तो क्या अखिलेश उनके नक्शे कदम पर चल रहे हैं…खैर हम तो पत्रकार ठहरे बाबा जी से जानकारी के लिए कुछ अखिलेश के बिपच्छ दीपक विपक्ष में बातें भी बोलीं अंततः उस बुजुर्ग ने मुझे बोल दिया देखो संपादक जी जब सबै नंगे हैं तो हमारा नंगा हमारे लिए ठीक है।।
इन शब्दों ने हमारे प्रश्नो का जबाब दे दिया था की आखिर कैसे हिंदुस्तान की सियासत तय होती है