गौशालाओं में गायें खुले आसमान के नीचे-अजय कुमार लल्लू

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  • उत्तर प्रदेश के कई जिलों से गौशालाओं में गायों के मरने की ख़बरें आ रही हैं।
  • कड़ाके की ठंड में प्रदेश की गौशालाओं में गायें खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।
  • योगी सरकार ने सिर्फ प्रचार, विज्ञापन, होर्डिंग, बैनर, टीवी मैनेजमेंट के अलावा कोई कदम नहीं उठाया है।
अशोक सिंह

भाजपा राज में गायों की दुर्दशा और छुट्टा जानवरों के चलते किसानों को हो रही परेशानी किसी से छिपी नहीं है।उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने प्रदेश में गायों की दुर्दशा और उनके नाम पर हो रही राजनीति को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार इसका समाधान करने के बजाय अपनी नीतियों से लोगों की परेशानियों को और बढ़ाया है।उन्होंने कहा कि मीडिया में लगातार प्रदेश की गौशालाओं में गायों के मरने की खबरें आती हैं। झांसी की घुघुआ गौशाला में पिछले 10 दिन में लगभग 20 से अधिक गायें भूख और ठंड से मर चुकी हैं। रोज 2 से 3 गायें मर रही हैं। ज़िंदा गायों की हालत भी कुछ अच्छी नहीं है। इसी तरह से कानपुर, जालौन, झांसी, ललितपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट में बड़ी संख्या में ठंड से गौशालाओं में गायों के मरने की ख़बर है। कड़ाके की ठंड में प्रदेश की गौशालाओं में गायें खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। गौशालाओं में गायों के रहने के लिए टीन शेड जरूर लगे हैं, लेकिन गायों की संख्या के मुकाबले वे अपर्याप्त हैं।

सरकार की खराब नीतियों के चलते गांव-गांव में किसान परेशान हैं। गौशाला के नाम पर करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है। लेकिन योगी सरकार ने सिर्फ प्रचार, विज्ञापन, होर्डिंग, बैनर, टीवी मैनेजमेंट के अलावा कोई कदम नहीं उठाया है। उत्तर प्रदेश में बीते 5 साल में फसलों को उगाने में किसानों का जितना श्रम और खर्च लगा है, उससे कहीं ज्यादा खर्च और श्रम खेतों में फसलों की रखवाली करते हुए बीत रहा है। बीते पांच साल से पूरे प्रदेश के किसान कड़ाके की सर्दी, चिलचिलाती धूप और गरजते बादलों के बीच रात-रातभर जगकर फसल की रखवाली करने को मजबूर हो रहे हैं।उन्होंने कहा कि प्रदेश में 4-5 लाख छुट्टा पशु सड़कों पर हैं, जिनकी देखभाल कोई नहीं कर रहा है। इससे पहले भी प्रदेश के अनेक हिस्सों से समय-समय पर गोशालाओं में रखरखाव में कमी और पशुओं के बीमार होने और मरने की खबरें आती रही हैं। बांदा, उन्नाव, अमेठी, हमीरपुर, कन्नौज जैसे उनके जिलों में पशु शेड न होने, पशुओं के भीगने यहां तक कि पशुओं को जिंदा दफनाने तक की घटनाएं सामने आती रही हैं। लेकिन कोरे वादों और जांच के झांसे के अलावा सरकार ने न तो कहीं कोई ठोस कदम उठाया और न ही जिम्मेदारों पर कार्रवाई की गई।