लखनऊ में बैठकर हो रही बांदा जेल की निगरानी..!

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लखनऊ में बैठकर हो रही बांदा जेल की निगरानी…! प्रयागराज के बजाए राजधानी में डेरा जमाए रहते डीआईजी जेल।लखनऊ में बने रहने के लिए जेटीएस से कराया सम्बद्ध।शासन में सेटिंग-गेटिंग से डीआईजी प्रयागराज की बल्ले बल्ले।

राकेश यादव

लखनऊ। प्रयागराज के डीआईजी जेल लखनऊ में  बैठकर बांदा जेल की निगरानी कर रहे है। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लग रही हो लेकिन सच है। विभागीय दस्तावेज इसकी पुष्टि भी की जा सकती है। प्रदेश की अतिसंवेदनशील बांदा जेल में वर्तमान समय मे बाहुबली विधायक निरुद्ध है। विधायक का विधानसभा चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि अधीक्षक विहीन इस अतिसंवेदनशील जेल की जिम्मेदारी हाल ही में डिप्टी जेलर से प्रोन्नति हुए जेलर के हाथों में है।

बीते दिनों शासन ने जेल विभाग के डीआईजी जेल संजीव त्रिपाठी को प्रयागराज परिक्षेत्र की सेंट्रल जेल नैनी, कौशाम्बी, प्रतापगढ़,  फतेहपुर, हमीरपुर, चित्रकूट महोबा बांदा व अयोध्या परिक्षेत्र की अयोध्या, बाराबंकी, अम्बेडकरनगर, सुल्तानपुर, गोंडा, बहराइच, बलरामपुर समेत कुल 15 जेलो के जिम्मेदारी सौंपी। इसके साथ ही डीआईजी संजीव त्रिपाठी को राजधानी लखनऊ स्थित सम्पूर्णानंद कारागार प्रशिक्षण संस्थान (जेटीएस) में निदेशक का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया।

डीजी ने मातहत अफसरों को दिए सख्ती बरतने के निर्देश-

विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महानिदेशक कारागार आनंद कुमार ने मातहत अधिकारियों जेलो की सुरक्षा को चाक चौबंद रखने से साथ अन्य तमाम निर्देश दिए है। उन्होंने मातहतों से कहा है कि कोई भी अधिकारी बगैर अवकाश स्वीकृत कराए स्टेशन नहीं छोड़ेगा। इसके साथ ही जेलों में नियमित तलाशी कराए जाने के साथ बन्दियों के लिए जारी की गई कोरोना गाइड लाइन का अनुपालन सुनिश्चित कराए। मुलाकात प्रतिबंधित होने की वजह से किसी भी बन्दी की अवैध तरीके से कोई मुलाकात नही कराई जानी चाहिए। मुलाकात की शिकायत मिलने पर दोषी अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।

सूत्रों का कहना है कि जेल मुख्यालय से प्रयागराज परिक्षेत्र के लिए भेजे गए डीआईजी जेल को प्रयागराज के साथ अयोध्या का भी प्रभार दिया गया। डीआईजी ने अपने आप को लखनऊ में बने रहने के लिये शासन से साठ गांठ करके जेल प्रशिक्षण संस्थान से सम्बद्ध करा लिया। उन्हें इन प्रभारों के साथ कार्यवाहक निदेशक का भी अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया। सूत्र बताते है कि यह  प्रभार मिलने पर डीआईजी जेल अधिकांश समय लखनऊ में ही व्यतीत करते है। आलम यह है कि सप्ताह में पांच दिन वह लखनऊ में ही बने रहते है। जानकारों का कहना है कि विभागाध्यक्ष से रेंज की किसी जेल में अनियमिता की शिकायत मिलने पर वह सिर्फ उसकी जांच करने के लिए ही प्रयागराज व अयोध्या जाते है। मजे की बात यह है जांच में भी इन्हें कोई दोषी नहीं मिलता है। उधर मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने संजीव त्रिपाठी के पास प्रयागराज, अयोध्या के साथ जेटीएस का प्रभार होने की बात तो स्वीकार की लेकिन इसको शासन का मामला बताते हुए और कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया।