एक राष्ट्र-एक हेल्पलाइन की व्यापक सोच

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एक राष्ट्र-एक हेल्पलाइन की व्यापक सोच
एक राष्ट्र-एक हेल्पलाइन की व्यापक सोच

‘एक राष्ट्र- एक हेल्पलाइन’ की व्यापक सोच के तहत सरकार ने चाइल्ड हेल्पलाइन को ईआरएसएस-112 के साथ जोड़ने का निर्णय लिया। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जिम्मेदार और जवाबदेह प्रशासन के माध्यम से बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी संभाली जाए और उसे क्रियाशील बनाया जाए। यह संकट में फंसे हुए बच्चों के प्रत्यावर्तन और उनके कल्याण में सहायता करेगा। चाइल्ड हेल्पलाइन का रूपांतरण प्रगति पर है, चरणबद्ध तरीके से 9 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में चाइल्डलाइन का अधिग्रहण करके इसे संचालित किया जा रहा है। एक राष्ट्र-एक हेल्पलाइन की व्यापक सोच

दिल्ली। किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 2(25) के तहत चाइल्डलाइन सेवाओं को संकट में बच्चों के लिए चौबीसों घंटे की आपातकालीन पहुंच सेवा के रूप में परिभाषित किया गया है। यह उन्हें आपातकालीन या दीर्घकालिक देखभाल और पुनर्वास सेवा से जोड़ती है। इस सेवा का उपयोग चार अंकों के टोल फ्री नंबर (1098) डायल करके संकट में फंसा हुआ कोई भी बच्चा या उनकी ओर से कोई वयस्क कर सकता है। एक राष्ट्र एक हेल्पलाइन की व्यापक सोच के एक हिस्से के तहत और दूसरे राष्ट्रीय मुख्य सचिवों के सम्मेलन के दौरान प्राथमिकता के रूप में मंत्रालय ने महिला हेल्पलाइन और चाइल्ड हेल्पलाइन को ईआरएसएस-112 (आपातकालीन प्रतिक्रिया समर्थन प्रणाली) के साथ जोड़ने का निर्णय लिया है।

इससे पहले इंडिया फाउंडेशन (सीआईएफ) और इसके सहयोगी एनजीओ के जरिए मंत्रालय पूर्ववर्ती बाल संरक्षण सेवा (सीपीएस) योजना के तहत चाइल्डलाइन मंत्रालय इस 24×7 हेल्पलाइन चाइल्डलाइन 1098 सेवा का समर्थन कर रहा था। चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन (सीआईएफ), चाइल्डलाइन के रूप में इस सेवा का प्रबंधन करने वाला ‘मदर एनजीओ’ था। सीआईएफ अपने 1,000 से अधिक इकाइयों के नेटवर्क के माध्यम से 568 जिलों, 135 रेलवे स्टेशनों और 11 बस स्टैंडों में चाइल्डलाइन सेवाएं प्रदान कर रहा है। संकट में फंसे हुए बच्चे के लिए किए गए कॉल के लिए सीआईएफ के पास प्रतिक्रिया समय लगभग 60 मिनट है। हालांकि, मौजूदा प्रणाली में पुलिस, अग्निशमन, एम्बुलेंस जैसी अन्य सेवाओं के साथ अंतर-परिचालनीयता का अभाव है, जिससे संकट की स्थिति में बहुमूल्य समय की हानि होती है। इसके अलावा सीआईएफ नेटवर्क केवल 568 जिलों को कवर कर सका था। यानी वह लगभग 200 जिलों को चाइल्डलाइन के तहत शामिल नहीं कर पाया था। इसे देखते हुए सरकार ने ईआरएसएस-112 के साथ चाइल्ड हेल्पलाइन को एकीकृत करने का निर्णय लिया है, जिससे जिम्मेदार और जवाबदेह प्रशासन के माध्यम से संकट में फंसे हुए बच्चों की देखभाल जिम्मेदारी उठाई जा सके।

किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण)- अधिनियम 2015, जिसे 2021 में संशोधित किया गया है, के तहत सेवा वितरण संरचनाओं को मजबूत करने से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सहयोग से संचालित चाइल्ड हेल्पलाइन प्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ईआरएसएस-112 के साथ तकनीकी एकीकरण से सूचना के सहज प्रवाह की शुरुआत होने की आशा है, जो जिले और राज्य राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के भीतर संकट में फंसे हुए बच्चों के प्रत्यावर्तन और पुनर्वासन में प्रभावी ढंग से सहायता करेगा।

एक राष्ट्र-एक हेल्पलाइन की व्यापक सोच ……………………. चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 का अब 112 में विलय

पुरानी प्रणाली और नई चाइल्ड हेल्पलाइन की विशेषताओं की एक तुलनात्मक तालिका:-

क्रम संख्यासीआईएफचाइल्ड हेल्पलाइन
15 स्थानों में 6 केंद्रीकृत कॉल सेंटर (सीसीसी): कोलकाता, गुरुग्राम, बेंगलुरु, चेन्नई और मुंबई36 महिला और बाल विकास नियंत्रण कक्ष
2दिल्ली, चेन्नई, मुंबई और कोलकाता में क्षमता निर्माण के लिए 4 क्षेत्रीय संसाधन केंद्रराज्य प्रशिक्षण संस्थानों के सहयोग से सी-डैक, एनआईपीसीसीडी, रेलवे और निमहंस के जरिए प्रशिक्षण दिया जाएगा
3शहरी मॉडल: शहरी स्तर पर चाइल्डलाइन कार्यक्रम में शहर स्तरीय सलाहकार बोर्ड (सीएबी), एक नोडल संगठन और एक सहयोगी संगठन शामिल हैं।शहरी मॉडल डीसीपीयू आधारित होगा, संकट में फंसे हुए बच्चों की तत्काल सहायता के लिए उप-जिला और वार्ड स्तर पर बाल सहायता समूह होगा और ऐसे मामलों में घटनास्थल पर डीसीपीयू की सीएचएल इकाई की सहायता की जाएगी
4ग्रामीण मॉडल: जिला स्तर पर चाइल्डलाइन कार्यक्रम में जिला स्तरीय सलाहकार बोर्ड (डीएबी), एक नोडल संगठन, एक सहयोगी संगठन और छह जिला उप-केंद्र शामिल हैं।ग्रामीण मॉडल: डीसीपीयू आधारित होगा, उप-जिला और पंचायती राज संस्थान स्तर पर बाल सहायता समूह संकट में फंसे हुए बच्चों की तत्काल सहायता करेगा और ऐसे मामलों में घटनास्थल पर डीसीपीयू की सीएचएल इकाई की सहायता करेंगे
5भागे हुए, अकेले और तस्करी किए गए बच्चे, जो रेलवे के संपर्क में आए हों, की देखभाल व संरक्षण, सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए रेलवे स्टेशनों पर चाइल्ड हेल्प डेस्क की स्थापनारेलवे स्टेशनों पर चाइल्ड हेल्प डेस्क, रेलवे के संपर्क में आने वाले घर से भागे हुए, अकेले और तस्करी किए गए बच्चों की देखभाल व संरक्षण, सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए काम करना जारी रखेगा
6बस स्टैंड पर चाइल्ड हेल्प डेस्क की स्थापनाबस स्टैंड पर चाइल्ड हेल्प डेस्क संचालित रहेगा
731 मार्च 2023 तक सीआईएफ के पास 568 जिलों, 135 रेलवे स्टेशनों और 11 बस स्टैंडों में लगभग 1000 से अधिक इकाइयों का नेटवर्क है।चाइल्ड हेल्पलाइन इन इकाइयों को चरणबद्ध तरीके से जिलेवार संभालेगीअब तक कवर नहीं किए गए जिलों सहित सभी जिलों को चाइल्ड हेल्पलाइन के तहत शामिल किया जाएगा
8सीआईएफ लेगसी डेटा को माइग्रेट करने और नई प्रणाली में सुचारू परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए सहमत हो गया है।पहले चरण के तहत 9 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, दादरा व नगर हवेली और दमन व दीव, गुजरात, गोवा, लद्दाख, मिजोरम और पुडुचेरी शामिल हैं, जिनका कार्यभार 30।06।2023 तक संभाल लिया जाएगा।इसमें अन्य राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को भी चरणबद्ध तरीके से शामिल किया जाएगा।

चाइल्ड हेल्पलाइन

मंत्रालय ने पूर्ववर्ती बाल संरक्षण सेवा (सीपीएस) योजना को सम्मिलित करते हुए मिशन वात्सल्य योजना के दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके तहत चाइल्ड हेल्पलाइन को पुलिस, काउंसलर, केस वर्कर्स सहित राज्य व जिला पदाधिकारियों के साथ समन्वय में चलाया जाएगा और गृह मंत्रालय (एमएचए) की आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली 112 (ईआरएसएस-112) के साथ एकीकृत किया जाएगा।

इसके अलावा मंत्रालय ने देश में चाइल्ड हेल्पलाइन सेवाओं के कार्यान्वयन के लिए सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को चाइल्ड हेल्पलाइन की विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी जारी की है। इसके तहत हर एक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में चाइल्ड हेल्पलाइन के लिए एक 24×7 समर्पित डब्ल्यूसीडी नियंत्रण कक्ष (डब्ल्यूसीडी-सीआर) स्थापित किया जाएगा और इसे ईआरएसएस-112 के साथ एकीकृत किया जाएगा। इसके अलावा जिला स्तर पर जिला बाल संरक्षण इकाई (डीसीपीयू) में चाइल्ड हेल्पलाइन (सीएचएल) इकाई चौबीसों घंटे उपलब्ध रहेगी, जिससे संकट में फंसे हुए बच्चों को आपातकालीन व दीर्घकालिक देखभाल और पुनर्वास सेवाओं से जोड़ा जा सके। रेलवे के मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार राज्य/केंद्रशासित प्रदेश चयनित रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंडों पर चाइल्ड हेल्प डेस्क/कियोस्क/बूथ की स्थापना जारी रखेंगे।

मंत्रालय ने चाइल्ड हेल्पलाइन-1098 के स्वचालन और ईआरएसएस-112 के साथ इसके एकीकरण की जिम्मेदारी टोटल सॉल्यूशन प्रोवाइडर (टीएसपी) के रूप में केरल स्थित सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (प्रगत संगणन विकास केंद्र यानी सी-डैक) को सौंपी है। कॉल प्रोटोकॉल: 1098 पर इनकमिंग कॉल को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाएगा- आपातकालीन कॉल, गैर-आपातकालीन कॉल और सूचना कॉल। सभी आपातकालीन कॉलों को 1098 से 112 या इसके उलट एक बटन के जरिए अग्रेषित किया जा सकता है। गैर-आपातकालीन कॉलों को डीसीपीयू में संबंधित सीएचएल इकाइयों में स्थानांतरित किया जा सकता है और सूचना कॉलों को डब्ल्यूसीडी सीआर में ही संभाला जाएगा या इसे कॉल करने वाले को जानकारी प्रदान करने के लिए डीसीपीयू की सीएचएल इकाइयों को स्थानांतरित किया जा सकता है।

1098 पर सभी कॉल संबंधित राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में चाइल्ड हेल्पलाइन के डब्ल्यूसीडी-सीआर पर आएंगी और आपातकालीन कॉल ईआरएसएस-112 को अग्रेषित की जाएंगी। चाइल्ड हेल्पलाइन का रूपांतरण प्रगति पर है और इसे चरणबद्ध तरीके से 9 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में चाइल्डलाइन का अधिग्रहण करके इसे शुरू किया जा रहा है। एक राष्ट्र-एक हेल्पलाइन की व्यापक सोच