ग्रीन कॉरिडोर विशिष्ट योजना को 02 महीने में प्रारंभ करें-मुख्यमंत्री

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मुख्यमंत्री ने आवास एवं शहरी नियोजन विभाग द्वारा नामान्तरण प्रभार (म्यूटेशन चार्जेज़) नियमावली-2022, जल शुल्क नियमावली-2022 तथा अम्बार शुल्क नियमावली-2022 पर प्रस्तुतिकरण का अवलोकन किया।मेट्रोपोलिटन बोर्ड की तर्ज पर वृहद कार्ययोजना तैयार कर लखनऊ विकास प्राधिकरण के परिक्षेत्र को विस्तार दिया जाए तथाइसे व्यवस्थित स्वरूप में विकसित किया जाए।सतत-समन्वित प्रयासों से राजधानी लखनऊ आज मेट्रोपोलिटन सिटी के रूप में अत्याधुनिक नगरीय सुविधाओं से लैस हो रही है।लखनऊ ग्रीन कॉरिडोर की विशिष्ट योजना को अगले 02 महीने में प्रारंभ करा दिया जाए।लखनऊ की बटलर झील को अमृत सरोवर के रूप में विकसित किया जाए।प्राधिकरण सीमान्तर्गत सभी आवासीय/निजी/शासकीय,भवनों में रेन वॉटर हार्वेंस्टिंग को प्रोत्साहित किया जाए।विकास प्राधिकरण की भूमि, सार्वजनिक मार्ग अथवा सार्वजनिक स्थान पर निर्माण सामग्री रखने वाले व्यक्तियों अथवा निकाय पर लगने वाले अंबार शुल्क के पुनरीक्षण पर विचार किया जाए।

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मेट्रोपोलिटन बोर्ड की तर्ज पर वृहद कार्ययोजना तैयार कर लखनऊ विकास प्राधिकरण के परिक्षेत्र को विस्तार दिया जाए तथा इसे व्यवस्थित स्वरूप में विकसित किया जाए। यह बात उन्होंने आवास एवं शहरी नियोजन विभाग द्वारा नामान्तरण प्रभार (म्यूटेशन चार्जेज़) नियमावली-2022, जल शुल्क नियमावली-2022 तथा अम्बार शुल्क नियमावली-2022 पर प्रस्तुतिकरण के अवलोकन के दौरान कही। सतत-समन्वित प्रयासों से राजधानी लखनऊ आज मेट्रोपोलिटन सिटी के रूप में अत्याधुनिक नगरीय सुविधाओं से लैस हो रही है। विभिन्न नगरों से लोग यहां आकर अपना स्थायी निवास बनाना चाहते हैं। वर्तमान में 45 लाख से अधिक आबादी एल0डी0ए0 की सीमा के भीतर निवास करती है। साल-दर-साल लखनऊ का विस्तार हो रहा है, इस विकास को और अधिक नियोजित किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि व्यापक जनहित के दृष्टिगत विकास प्राधिकरणों में संपत्ति के नामांतरण की प्रक्रिया का सरलीकरण जरूरी है। वर्तमान में नामांतरण प्रभार सम्बंधित परिसंपत्ति का 01 प्रतिशत देय है, इसे कम किए जाने की आवश्यकता है। वर्तमान प्रक्रिया जटिल है, तकनीक के सहयोग से इसे और व्यवहारिक बनाया जाना चाहिए।


आवास विभाग के अंतर्गत विकास प्राधिकरणों में विधिक उत्तराधिकार/वसीयत की स्थिति में म्यूटेशन फीस अधिकतम 5,000 रुपये तक की जाए। फ्री होल्ड अथवा गिफ्ट संपत्ति के मूल्य के आधार पर अधिकतम 10,000 रुपये का शुल्क लिया जाए। संपत्ति नामांतरण की प्रक्रिया जनहित गारंटी अधिनियम के अंतर्गत है। इसका ध्यान रखते हुए आम नागरिक के आवेदनों का समयबद्ध निस्तारण किया जाना सुनिश्चित कराएं। लखनऊ ग्रीन कॉरिडोर की विशिष्ट योजना को अगले 02 महीने में प्रारंभ करा दिया जाए। यह योजना लखनऊ को एक आकर्षक स्वरूप देने वाली होगी। लखनऊ में गोमती नदी के दोनों तटों पर तथा नैमिषारण्य अतिथि भवन के आस-पास कुछ झुग्गी बस्तियां हैं। इनका चिन्हीकरण यहां के निवासियों का पुनर्स्थापन कराया जाए। नियमानुसार इन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन आदि शासकीय योजनाओं से जोड़ा जाना चाहिए। यह कार्य जल्द से जल्द करा लिया जाए। लखनऊ की बटलर झील को अमृत सरोवर के रूप में विकसित किया जाए।


मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास प्राधिकरण, नगरीय निकाय, स्थानीय प्रशासन और पुलिस यह सुनिश्चित करें कि कहीं भी किसी भी परिस्थिति में अवैध बस्तियां/रिहायशी कालोनी बसने न पाए। हर विकास प्राधिकरण/नगरीय निकाय में टाउन प्लानर की तैनाती की जाए। आई0आई0टी0 अथवा राज्य सरकार तकनीकी शैक्षणिक संस्थानों का सहयोग लिया जाना चाहिए। परियोजनाओं का निर्धारण करते समय आगामी 50 वर्षों की स्थिति को ध्यान में रखें। हर कालोनी में सभी जरूरी सुविधाएं हों। अवैध कालोनियों को विकसित न होने दें। प्राधिकरण सीमान्तर्गत सभी आवासीय/निजी/शासकीय भवनों में रेन वॉटर हार्वेंस्टिंग को प्रोत्साहित किया जाए। इस संबंध में एक सुस्पष्ट नियमावली तैयार कर प्रस्तुत करें। विकास प्राधिकरणों द्वारा निवासियों से जल शुल्क लिए जाने में एकरूपता का अभाव है। अधिकांश विकास प्राधिकरणों द्वारा जल शुल्क नहीं लिया जा रहा है। कुछ विकास प्राधिकरणों जैसे लखनऊ व वाराणसी द्वारा अपने स्तर पर निर्धारित शुल्क पर जल शुल्क लिया जा रहा है। ऐसे में स्पष्ट जल शुल्क नियमावली की आवश्यकता है। इसे यथाशीघ्र तैयार किया जाए।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जहां कोई भूमि/भूखण्ड प्राधिकरण द्वारा विकसित योजना के बाहर हो अथवा जहां प्राधिकरण जलापूर्ति करने में असमर्थ हो, वहां जल शुल्क कतई न लिया जाए। जल शुल्क/अम्बार शुल्क की दरों को प्राधिकरण द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष की प्रथम अप्रैल को आयकर विभाग के कास्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स के आधार पर पुनरीक्षित किया जाना चाहिए। विकास प्राधिकरण की भूमि, सार्वजनिक मार्ग अथवा सार्वजनिक स्थान पर निर्माण सामग्री रखने वाले व्यक्तियों अथवा निकाय पर लगने वाले अंबार शुल्क के पुनरीक्षण पर विचार किया जाना चाहिए। इस सम्बंध में अच्छी और उपयोगी अंबार शुल्क नियमावली तैयार की जाए।इस अवसर पर मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री एस0पी0 गोयल, प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन नितिन रमेश गोकर्ण, लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष इन्द्रमणि त्रिपाठी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। [/Responsivevoice]