पीढ़ियों में परिवर्तन का आधार है शिक्षा

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पीढ़ियों में परिवर्तन का आधार है शिक्षा
पीढ़ियों में परिवर्तन का आधार है शिक्षा

पीढ़ियों में परिवर्तन लाना है तो समाज का हर व्यक्ति उठाए गरीब मेधावियों की जिम्मेदारी। महामना शिक्षण संस्थान द्वारा आयोजित हुआ महामना मदन मोहन मालवीय जयंती समारोह। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और समाज के हर वर्ग के प्रबुद्ध नागरिक हुए समारोह में शामिल। बोले सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार तिवारी, मोदी-योगी के संत चरित्र से सीखें विद्यार्थी। पद्मश्री विद्या विंदु ने की महामना शिक्षण संस्थान के विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना। गरीब मेधावी बच्चों को आईआईटी, जेईई और नीट की नि:शुल्क तैयारी कराता है संस्थान। पीढ़ियों में परिवर्तन का आधार है शिक्षा

लखनऊ। भाऊराव देवरस सेवा संस्थान द्वारा संचालित महामना शिक्षण संस्थान की ओर से शनिवार को महामना मदन मोहन मालवीय जयंती समारोह का आयोजन भारतीय गन्ना अनुसंधान केंद्र के ऑडिटोरियम में किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अवध प्रांत के प्रांत प्रचारक कौशल ने अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने महामना शिक्षण संस्थान के द्वारा गरीब मेधावियों को दी जा रही नि:शुल्क आईआईटी, जेईई और नीट की परीक्षाओं की तैयारियों की आवासीय कोचिंग की प्रशंसा की। साथ ही समाज से अपील की कि अगर प्रत्येक समर्थ नागरिक अपने आस-पड़ोस के किसी एक गरीब बालक-बालिका की जिम्मेदारी उठाएं तो पीढ़ियों में परिवर्तन लाया जा सकता है।

कार्यक्रम की शुरुआत महामना शिक्षण संस्थान के विद्यार्थियों द्वारा गणगान से किया गया। इस अवसर पर कवियत्री डॉ मानसी द्विवेदी ने श्रीराम पर आधारित ओजस्वी कविताओं का पाठ किया। वहीं शिक्षण संस्थान के बालक प्रकल्प और बालिका प्रकल्प के ऐसे पूर्व विद्यार्थियों, जिनका चयन देश की प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज में हुआ है, अपने अनुभवों को साझा किया। एनआईटी श्रीनगर से बीटेक कर रही रायबरेली की दिव्या द्विवेदी, एनआईटी दिल्ली से बीटेक कर रहे अनुराग गौतम, एमएमटीयू गोरखपुर से बीटेक कर रही सुनन्या भारती और आईईटी लखनऊ से बीटेक कर रहे सात्विक वाजपेयी ने महामना शिक्षण संस्थान को शिक्षा के साथ साथ संस्कार प्रदान करने वाला गुरुकुल बताया।

मुख्य अतिथि पद्श्री विद्या विंदु ने महामना मदन मोहन मालवीय को नमन करते हुए उनके दृढ़ संकल्पों को याद किया। उन्होंने कहा कि महामना अपने जीवन काल में ही किंवदंति पुरुष बन चुके थे। उन्होंने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि संस्कारों की सबसे बड़ी पाठशाला संवाद से तैयार होती है। उन्होंने लोगों से अपील की कि ऐसे शिक्षण संस्थानों से जुड़ें और इन्हे आगे बढ़ने में योगदान दें। वहीं विशिष्ठ अतिथि दैनिक जागरण लखनऊ के संपादक आशुतोष शुक्ल ने महामना शिक्षण संस्थान के कार्यों की तारीफ करते हुए कहा महामना ने आज से 100 साल पहले काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना करते वक्त ही आत्मनिर्भर भारत की कल्पना की थी। विशिष्ठ अतिथि जैन साध्वी अनंतमई बाई जी ने विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना की।

मुख्य वक्ता प्रांत प्रचारक कौशल ने अपने संबोधन में कहा कि आज संघ का जो विचार प्रवाह दिखता है उसके पीछे भाऊराव देवरस जी की ही परिकल्पना है। संघ विभिन्न प्रकल्पों के माध्यम से राष्ट्र समाज की सेवा कर रहा है। उन्होंने कहा कि महामना ने उस काल में भारत में शिक्षा के माध्यम से नवजागरण की शुरुआत की जब हमारा समाज स्वयं को हिन्दू कहने में भी शर्म करता था। उस वक्त उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की। ऐसे महापुरुष समय समय पर राष्ट्र को नई दिशा देने आते हैं। उन्होंने गोस्वामी तुलसी दास, स्वामी विवेकानंद और दयानंद सरस्वती का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा कि इन सभी ने आत्मविस्मृत हो चुके हिन्दू समाज को नई दिशा दी है।

पूर्व आईपीएस और सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार तिवारी ने कहा कि महामना शिक्षण संस्थान की ओर से दिये जा रहे संस्कार भविष्य में यहां के विद्यार्थियों के लिए कवच बनेंगे। यहां से निकले बच्चे देश-दुनिया में जहां भी जाएंगे अपने संस्कारों से पहचाने जाएंगे। उन्होंन बच्चों से प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी के संत चरित से प्रेरणा लेने की बात कही।

डॉ. अरुणिमा जाम्बवाल ने महामना शिक्षण संस्थान के बालिका प्रकोष्ठ के कार्यकलापों की जानकारी दी। वहीं राजीव तिवारी ने बालक प्रकल्प की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर आईआईटी, जेईई और नीट परीक्षाओं में सफल हुए संस्थान के विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से पूर्व एडीजी एवं राज्यसभा सदस्य बृजलाल, राज्यसभा सदस्य अशोक वाजपेयी, पूर्व आईएएस सदाकांत, आदित्य, संजय गुप्ता, जेके सिन्हा, ओपी श्रीवास्तव, रमेश शर्मा, शैल चंद्रा, पूर्व जिला जज शीतला प्रसाद, विनय जैन सहित बड़ी संख्या में समाज के विभिन्न वर्गों से गणमान्य लोग मौजूद रहे। पीढ़ियों में परिवर्तन का आधार है शिक्षा